आधी-अधूरी व्यवस्थाओं से रेरा बेपटरी, अहम पदों पर अधिकारियों की स्थायी नियुक्ति तक नहीं; 296 शिकायतें लंबित

रेरा के गठन को करीब चार साल हो चुके हैं और इसकी व्यवस्था अब भी भगवान भरोसे चल रही है। पहले अध्यक्ष विष्णु कुमार और एक सदस्य एमसी जोशी सेवानिवृत्त हो चुके हैं और नए अध्यक्ष व सदस्यों के समक्ष 296 से अधिक लंबित शिकायतों के निस्तारण की जिम्मेदारी है।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Mon, 08 Nov 2021 12:29 PM (IST) Updated:Mon, 08 Nov 2021 12:29 PM (IST)
आधी-अधूरी व्यवस्थाओं से रेरा बेपटरी, अहम पदों पर अधिकारियों की स्थायी नियुक्ति तक नहीं; 296 शिकायतें लंबित
आधी-अधूरी व्यवस्थाओं से रेरा बेपटरी। प्रतीकात्मक फोटो

सुमन सेमवाल, देहरादून। उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी (रेरा) के गठन को करीब चार साल हो चुके हैं और इसकी व्यवस्था अब भी भगवान भरोसे चल रही है। पहले अध्यक्ष विष्णु कुमार और एक सदस्य एमसी जोशी सेवानिवृत्त हो चुके हैं और नए अध्यक्ष व सदस्यों के समक्ष 296 से अधिक लंबित शिकायतों के निस्तारण की जिम्मेदारी है। जो आदेश पूर्व में किए जा चुके हैं, उनमें से कितनों का अनुपालन हो पाया, इसका अब तक अता-पता नहीं है। रेरा का यह हाल देखकर नए अध्यक्ष रबिंद्र पंवार तनाव में दिख रहे हैं। क्योंकि, रेरा के अहम पदों पर अधिकारियों की स्थायी नियुक्ति तक नहीं की गई है। यहां तक कि रेरा की अपनी वेबसाइट भी नहीं बन पाई है।

रेरा के नए अध्यक्ष रबिंद्र पंवार व्यवस्था में सुधार के लिए शासन का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में हैं। इसी उधेड़बुन में नियुक्ति के करीब एक माह बाद भी स्वयं अध्यक्ष व नए सदस्य अमिताभ मैत्रा सुनवाई शुरू नहीं कर पाए हैं। अभी पूर्व से तैनात सदस्य मनोज कुमार ही सुनवाई कर रहे हैं। अध्यक्ष रबिंद्र पंवार के मुताबिक रेरा में सचिव, वित्त अधिकारी व सलाहकार के पदों पर स्थायी नियुक्ति न हो पाने के चलते कामकाज सुचारू नहीं किया जा सकता।

दूसरी तरफ जिन मामलों में फ्लैट आदि के खरीदार मुआवजे की मांग कर रहे हैं, उनकी राशि तय करने के लिए न्याय निर्णायक अधिकारी की तैनाती भी नहीं की जा सकी है। लिहाजा, इस तरह के मामले आदेश होने के बाद भी ठंडे बस्ते में पड़े हैं। अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश रेरा में तैनात कार्मिकों की संख्या मांगी गई है। जिससे उसके मुताबिक यहां भी पर्याप्त संख्या में कार्मिकों की तैनाती की जा सके। इसके बाद शासन के समक्ष प्रस्ताव भेजा जाएगा। जब तक रेरा को संसाधनों से लैस नहीं कर दिया जाता, तब तक संपत्ति खरीदारों के हितों की समुचित रक्षा नहीं की जा सकती।

वेबसाइट का काम महीनों से लटका

रेरा की वेबसाइट बनाने का काम एक फर्म को करीब छह माह पहले दिया गया था। अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कितना काम पूरा हुआ। रेरा के नए अध्यक्ष ने संबंधित फर्म को तलब कर शीघ्र वेबसाइट तैयार करने को कहा है।

प्राधिकरणों की नाफरमानी पर रेरा के हाथ खाली

प्रदेश में जितनी आवासीय व कामर्शियल परियोजनाओं का निर्माण किया जा रहा है, उसके मुताबिक रेरा में बिल्डर व प्रापर्टी डीलर का पंजीकरण नहीं है। अब तक प्रदेश में महज 306 के करीब परियोजनाओं व 220 के करीब रियल एस्टेट एजेंट/प्रापर्टी डीलर का पंजीकरण हो पाया है। बिल्डर व डीलर पर नकेल कसने के लिए रेरा ने पूर्व में कई दफा विभिन्न विकास प्राधिकरणों से पास किए गए नक्शों की जानकारी मांगी थी। यह जानकारी कभी समुचित रूप से रेरा को नहीं मिल पाई और रेरा भी इस दिशा में कुछ नहीं कर पाया। अब नए अध्यक्ष रबिंद्र पंवार ने कहा है कि ऐसे प्राधिकरणों पर नकेल कसी जाएगी और पूर्व में मांगी गई सूचनाओं की समीक्षा भी की जाएगी। विभिन्न परियोजनाओं की जांच के लिए शीघ्र तकनीकी अधिकारियों की तैनाती भी की जाएगी।

इन मामलों की भी होगी समीक्षा

-जिन मामलों में रेरा ने बिल्डर को फ्लैट आदि के खरीदारों की राशि ब्याज सहित लौटाने के आदेश दिए हैं, उनमें कितनी वसूली हो पाई है।

-राशि न लौटाने वाले जिन बिल्डर की आरसी कटी है, उनसे वसूली के लिए संबंधित जिला प्रशासन कितनी प्रगति हासिल कर पाए। कुछ समय पहले तक 46 से अधिक आदेश में 12 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली को आरसी काटी गई थी और महज 70 लाख की वसूली हो पाई।

-कितने बिल्डर हर तीन माह में परियोजना की प्रगति रेरा से साझा कर रहे हैं।

-कितनी परियोजनाओं की अवधि पूरी हो चुकी है और उनका काम अब भी अधूरा है।

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