हाई कोर्ट के फैसले के बाद भी पदोन्नति पर संशय बरकरार, पढ़ि‍ए पूरी खबर

ज्ञान चंद्र बनाम राज्य सरकार मामले में आए फैसले के बाद भी 11 सितंबर 2019 को बंद हुई डीपीसी की प्रक्रिया शुरू करने पर संशय बरकरार है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sat, 30 Nov 2019 09:59 AM (IST) Updated:Sat, 30 Nov 2019 09:59 AM (IST)
हाई कोर्ट के फैसले के बाद भी पदोन्नति पर संशय बरकरार, पढ़ि‍ए पूरी खबर
हाई कोर्ट के फैसले के बाद भी पदोन्नति पर संशय बरकरार, पढ़ि‍ए पूरी खबर

देहरादून, जेएनएन। ज्ञान चंद्र बनाम राज्य सरकार मामले में आए फैसले को आधार बनाकर डाली गई सभी याचिकाओं को हाई कोर्ट ने निस्तारित कर दिया है। इसके बाद भी 11 सितंबर 2019 को बंद हुई डीपीसी की प्रक्रिया शुरू करने पर संशय बरकरार है। इस बाबत जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन और एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन दोनों के अलग-अलग तर्क है।

जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन का दावा है कि पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए। रही बात पदोन्नति में आरक्षण की तो हाई कोर्ट की ओर से ज्ञान चंद्र बनाम राज्य सरकार के रिव्यू में 15 नवंबर 2019 को दिया फैसला मान्य होगा। इसमें एससी-एसटी का डाटा एकत्र कर प्रतिनिधित्व के आधार पर प्रमोशन होगा। वहीं, एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन का तर्क है कि ज्ञानचंद्र बनाम राज्य सरकार मामले में एक अप्रैल 2019 और 15 नवंबर 2019 को दिए दोनों फैसले मान्य होंगे। चूंकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए जब तक मामला निस्तारित नहीं होता डीपीसी बंद रहेगी। 

दीपक जोशी (प्रांतीय अध्यक्ष, जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन) काकहना है कि 11 सितंबर 2019 को बंद हुई पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू करने की एक और बाधा समाप्त हो गई है। एसोसिएशन ने कार्मिक विभाग से निवेदन किया है कि सशर्त पदोन्नति खोली जाए ताकि रिटायर होने वाले कर्मियों को डीपीसी का लाभ मिले। सशर्त होने से यह फायदा होगा कि पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला देगा वो मान्य होगा। बस सरकार को डीपीसी शुरू करनी चाहिए। 

करम राम (प्रांतीय अध्यक्ष, एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन, देहरादून) काकहना है कि हाई कोर्ट ने एक अप्रैल 2019 को ज्ञान चंद्र के मामले में फैसला दिया था। 15 नवंबर को इस फैसले को कुछ संशोधित किया गया। नंद किशोर, एससी-एसटी फेडरेशन समेत अन्य की याचिकाओं को निस्तारित कर ज्ञान चंद्र के मामले में दिए आदेश को लागू किया है। इसका फेडरेशन सम्मान करता है। वहीं पदोन्नति के मामले में सरकार खुद ही सुप्रीम कोर्ट गई है। फेडरेशन ने भी इसको चुनौती दी है, जब तक सुप्रीम कोर्ट से इसका फैसला नहीं होगा तब तक कोई पदोन्नति नहीं दी जाएगी। 

आरक्षण बचाने को एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन भरेगा हुंकार

पदोन्नति में आरक्षण बचाने के लिए एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन विशाल सम्मेलन का आयोजन करने जा रहा है। 10 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद बैठक करके इसकी रणनीति तय की जाएगी।

एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन के प्रांतीय अध्यक्ष करमराम ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ दायर याचिका पर 10 दिसंबर को सुनवाई होनी है। इस सुनवाई के बाद आगे की रणनीति बनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि एससी-एसटी के सभी घटक संघों और अल्पसंख्यक वर्ग के साथ बैठक के लिए 15 दिसंबर की तिथि प्रस्तावित है। हालांकि, इसमें बदलाव हो सकता है। बैठक में पदोन्नति में आरक्षण, सीधी भर्ती के रोस्टर के निर्धारण को लेकर रणनीति बनाई जाएगी।

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करमराम ने कहा कि दिसंबर-जनवरी में आरक्षण बचाने के लिए विशाल सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार दलित विरोधी गतिविधियों में लिप्त है। उत्तराखंड की भाजपा सरकार देश की पहली ऐसी राज्य सरकार है, जो पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने कदम पीछे नहीं खींचे तो प्रदेश का एससी-एसटी वर्ग देहरादून कूच करेगा। साथ ही कहा कि अभी भी गेंद सरकार के पाले में है। हाई कोर्ट ने सरकार को डाटा एकत्र करने के लिए कहा था। ऐसे में सरकार इंदु कुमार कमेटी और जस्टिस इरशाद हुसैन आयोग की रिपोर्ट को पेश कर डाटा के आधार पदोन्नति में आरक्षण दे सकती है।

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