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पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ अध्यादेश लाए प्रदेश सरकार

अखिल भारतीय समानता मंच के राष्ट्रीय सम्मेलन में पदोन्नति में आरक्षण और एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ आंदोलन को धार देने का फैसला किया गया।

By Edited By: Published: Sun, 24 Nov 2019 07:54 PM (IST)Updated: Mon, 25 Nov 2019 11:43 AM (IST)
पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ अध्यादेश लाए प्रदेश सरकार
पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ अध्यादेश लाए प्रदेश सरकार

देहरादून, जेएनएन। अखिल भारतीय समानता मंच के राष्ट्रीय सम्मेलन में पदोन्नति में आरक्षण और एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ आंदोलन को धार देने का फैसला किया गया। इस अवसर पर राज्य में पदोन्नति में आरक्षण को समाप्त करने के लिए अध्यादेश लाने की मांग की गई।

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नत्थनपुर स्थित एक बैंक्वेट हाल में आयोजित सम्मेलन का उद्घाटन समानता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष एम. नागराज, राष्ट्रीय महासचिव बीपी नौटियाल, जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी ने किया। अध्यक्ष एम नागराज ने कहा कि संविधान में सिर्फ 10 साल के लिए आरक्षण दिया गया था, 26 जनवरी 2020 को आरक्षण को 70 साल हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि किसी भी राज्य में 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं होना चाहिए, लेकिन तमिलनाडु में 69 प्रतिशत, कर्नाटक में 68 प्रतिशत आरक्षण है। 

अब कम आय वाले सवर्णो के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है, इससे हर राज्य में 60 प्रतिशत आरक्षण हो गया है। उन्होंने कहा कि यही हाल रहा तो प्रतिभाएं देश के बाहर काम करेंगी और इससे देश समृद्ध नहीं होगा। 'आरक्षण हटाओ प्रतिभा बैठाओ' का बिगुल बजाना होगा, फिर यह प्रतिभा किसी भी वर्ग की क्यों न हो तभी देश समृद्ध बनेगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एट्रोसिटी एक्ट में सिर्फ इतना कहा कि जांच के बिना कोई गिरफ्तारी नहीं की जाए, लेकिन एससी-एसटी वर्ग के विरोध को देखते हुए केंद्र सरकार ने संविधान संशोधन कर दिया। नागराज ने कहा वे इस संशोधन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए हैं, जो विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि सामान्य ओबीसी की आगामी पीढ़ी को भविष्य बचाने के लिए अभी संघर्ष करना होगा।

इसके लिए सभी को जागरूक और एकजुट होकर काम करना होगा। प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि प्रदेश में रुकी हुई पदोन्नति प्रक्रिया को इस हफ्ते से ही चालू करवाना लक्ष्य है। यदि सरकार ने ऐसा नहीं किया तो सरकार के खिलाफ आंदोलन होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश ने उप्र आरक्षण अधिनियम 1994 को एडॉप्ट किया है। उप्र ने विधायी प्रक्रिया अपनाते हुए पदोन्नति में आरक्षण को समाप्त करने के लिए अध्यादेश जारी किया। अब उत्तराखंड में भी इसका हवाला देते हुए पदोन्नति में आरक्षण को जड़ से समाप्त करने के लिए अधिनियम अध्यादेश लाने की मांग की जाएगी। 

यदि राज्य सरकार अपने नियम का हवाला देती है तो इसके लिए नए नियम बनाने की मांग की जाएगी। जोशी ने बताया कि एसोसिएशन एससी-एसटी वर्ग का डाटा इकट्ठा करने के मानकों को बनाने में भी सरकार की मदद करेगी। ताकि प्रदेश के मूल एससी-एसटी वर्ग को फायदा हो और दूसरे प्रांत से आए एससी-एसटी वर्ग को इसका फायदा नहीं मिले। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट के हाल ही में आदेश दिया, जिसमें राज्य सरकार को चार माह के भीतर एससी एसटी का डाटा इकट्ठा करने को कहा है। इसके खिलाफ एसोसिएशन सुप्रीम कोर्ट गई है। 

आज इस एसएलपी पर सुनवाई होनी है। इस दौरान राष्ट्रीय महासचिव बीपी नौटियाल, प्रदेश महासचिव एचएन पांडे, प्रदेश अध्यक्ष त्रिभुवन शर्मा, केके गोयल, जगपाल सिंह फोगाट, एसएल शर्मा, बीएस कलूड़ा, केसी मिश्रा, रवि जोशी, सीता राम पोखरियाल, डीपी चमोली, मुकेश बहुगुणा, देवेंद्र सिंह, जेपी गौड़, कुशलानंद भट्ट, मोहन जोशी, कैलाश पुनेठा, भूपेंद्र प्रसाद जोशी, मनोज तिवारी, गोविंद सिंह वोरा, आशुतोष बहुगुणा, वीरेंद्र गुसाई, विष्णु दत्त बेंजवाल आदि मौजूद थे। 

इन संगठनों ने की शिरकत 

डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ, वन बीट अधिकारी संघ, एजुकेशन मिनिस्ट्रीयल कर्मचारी एसोसिएशन, राष्ट्रीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन, अखिल भारतीय राष्ट्रीय समानता पार्टी, राजकीय पेंशनर्स संघ, आबकारी और कोषागार विभाग के संघों ने भी हिस्सा लिया। 

आय-व्यय का ब्योरा हुआ पेश 

प्रांतीय कोषाध्यक्ष सीएल असवाल ने आय-व्यय का ब्योरा पेश करते हुए बताया कि सभी जनपदों व संघों से 30.80 लाख रुपये प्राप्त हुए। इनमें न्यायालयों, बैठकों सम्मेलन में कुल खर्च 21.06 लाख रुपये हुए। वहीं 9.74 लाख रुपये बैलेंस है।

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तीन दिसंबर को जंतर मंतर पहुंचने का आह्वान 

समानता मंच के पदाधिकारी ने बताया कि आरक्षण और एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ सोनीपत के रविंद्र जैठानी जंतरमंतर पर आमरण अनशन कर रहे हैं। उन्होंने सम्मेलन में मौजूद सदस्यों को तीन दिसंबर को दिल्ली के जंतरमंतर पहुंचने का आह्वान किया।

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