सर्वे ऑफ इंडिया ने बनाया गंगा का आधुनिक डाटाबेस, पढ़िए पूरी खबर

सर्वे ऑफ इंडिया के ले. जनरल (वीएसएम) गिरीश कुमार ने कहा कि गंगा की निर्मलता एवं स्वच्छता के लिए नेशनल मिशन ऑफ क्लीन गंगा और सर्वे ऑफ इंडिया मिलकर काम करेंगे।

By Edited By: Publish:Thu, 27 Jun 2019 07:52 PM (IST) Updated:Sun, 30 Jun 2019 08:35 AM (IST)
सर्वे ऑफ इंडिया ने बनाया गंगा का आधुनिक डाटाबेस, पढ़िए पूरी खबर
सर्वे ऑफ इंडिया ने बनाया गंगा का आधुनिक डाटाबेस, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, जेएनएन। सर्वे ऑफ इंडिया जीवनदायिनी गंगा को स्वच्छ बनाने की परियोजना 'नमामि गंगे' में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। गंगा की निर्मलता एवं स्वच्छता के लिए नेशनल मिशन ऑफ क्लीन गंगा और सर्वे ऑफ इंडिया मिलकर काम करेंगे। जिसके तहत सर्वे ऑफ इंडिया ने गंगा और हुगली नदी के दोनों किनारों पर 10 किलोमीटर चौड़े गलियारे के लिए हाई रेजोल्यूशन डिजिटल थ्री-डी मॉडल (डीईएम) और जीआइएस डाटाबेस तैयार किया है। इस डाटाबेस के जरिये ही गंगा स्वच्छता की तमाम परियोजनाएं सफल हो पाएंगी। 

यह जानकारी गुरुवार को सर्वे ऑफ इंडिया के ले. जनरल (वीएसएम) गिरीश कुमार ने हाथीबड़कला स्थित बिग्रेडियर गंभीर सिंह ऑडिटोरियम में आयोजित एक दिवसीय 'जियोस्पेशियल टेक्नोलॉजी कार्यशाला' में दी। इस अवसर पर विभिन्न संस्थानों से आए विशेषज्ञों के साथ यूजर इंटरेक्शन मीट का आयोजन भी किया गया। जिसमें विभिन्न नोडल एजेंसियों और स्वच्छ गंगा मिशन के अन्य हितधारकों के बीच भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी के संबंध में चर्चा हुई।

कार्यशाला में एनएमसीजी के डीजी राजीव रंजन मिश्रा, आइआइआरएस के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान, उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक प्रो. एमपीएस बिष्ट ने हिमालयी इकोलॉजी पर प्रस्तुतिकरण दिया। जबकि आइआइटी कानपुर से प्रोफेसर भरत लोहानी ने लाइडर मैपिंग के फायदे बताए। इस मौके पर झारखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र से डॉ. सर्वेश सिंघल, जीएंडआरबी के निदेशक डॉ. एसके सिंह, आरटीईएस, एनएमसीजी के उपाध्यक्ष पियूष गुप्ता, वैज्ञानिक डॉ. मोहित कुमार पूनिया आदि मौजूद रहे। ग्लोबल वार्मिग से घट रहे ग्लेशियर नमामि गंगे के तहत आयोजित कार्यशाला में मुख्य अतिथि समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य रहे। 

उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते ग्लेशियर कम हो रहे हैं, लिहाजा नदियों की चौड़ाई भी कम हो रही है। विशेषज्ञ कहते थे कि आने वाले समय में तीसरा विश्वयुद्ध पानी के लिए होगा। लेकिन वह समय तो हमारे शहरों में आज ही दिखने लगा है। शहरों में लोगों में पानी को लेकर मारपीट होने लगी है। इसलिए हम लोगों को ठोस कार्य योजनाएं बनानी होंगी। पौधरोपण से लेकर पौधों की देखभाल को लेकर गंभीरता बरतनी होगी।

यह भी पढ़ें: सौरमंडल की गतिविधियां देख खुश और अचंभित हो रहे हैं पर्यटक Dehradun News

यह भी पढ़ें: अनिल जोशी बोले, विकास के लिए गावों तक विज्ञान की सीधी पहुंच बेहद जरूरी

chat bot
आपका साथी