राजनीति में वह सम्मान नहीं मिला, जिसका हकदार था: शत्रुघ्न सिन्हा

जागरण संवाददाता, देहरादून: सांसद और अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि हर घर में तकरार होती है,

By JagranEdited By: Publish:Mon, 29 Jan 2018 03:00 AM (IST) Updated:Mon, 29 Jan 2018 03:00 AM (IST)
राजनीति में वह सम्मान नहीं मिला, जिसका हकदार था: शत्रुघ्न सिन्हा
राजनीति में वह सम्मान नहीं मिला, जिसका हकदार था: शत्रुघ्न सिन्हा

जागरण संवाददाता, देहरादून: सांसद और अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि हर घर में तकरार होती है, फिर सब ठीक हो जाता है। साथ ही इशारों में यह भी कह डाला कि उन्हें राजनीति में वह सम्मान नहीं मिल रहा, जिसके वह वास्तविक हकदार हैं। क्योंकि उन्होंने राजनीति और फिल्मी क्षेत्र में अपने बलबूते पर ही नाम और शोहरत कमाई है। उन्होंने देश के हालात पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि आज आसियान देशों को निवेश के लिए बुलाया जा रहा है, जबकि दूसरी ओर देश में पद्मावत पर बवाल मचा है।

रविवार को समर वैली स्कूल में आयोजित लिटरेचर फेस्ट के कर्टेन रेजर में पहुंचे अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी जीवनी पर आधारित 'एनीथिंग बट खामोश' पुस्तक का विमोचन किया। उन्होंने पुस्तक का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें उन्होंने अपने राजनीति एवं फिल्मी कॅरियर से जुड़े अनुभवों को साझा किया है। इसे लिखने में उन्हें सात वर्ष का समय लगा। कहा कि एक समय वह भी था, जब वह जेब में पांच सौ रुपये जेब में लेकर हीरो बनने के लिए पुणे पहुंच गए। इस दौरान उनके चेहरे पर कटे के निशान थे। लोग कहा करते थे कि अगर तुम्हें सच में हीरो बनना है तो प्लास्टिक सर्जरी करा लो, लेकिन उन्होंने कभी विषम हालात के सामने हाथ खड़े नहीं किए। उन्होंने कहा कि आज राजनीतिक कॅरियर में बिना नेता-मंत्रियों से जान-पहचान के कोई एक सीढ़ी नहीं चढ़ता है, लेकिन मैंने फिल्म और राजनीति के क्षेत्र में जो भी पहचान बनाई, अपने दम पर बनाई। कहा कि किताबों में उकेरा अनुभव युवाओं को प्रेरणा देगा। उन्होंने राजनीति से जुड़े सीमित सवालों का ही जवाब दिया और कहा कि यह साहित्य से जुड़ा कार्यक्रम है, राजनीति पर ज्यादा बोलना ठीक नहीं। इस अवसर पर पुस्तक की लेखिका भारती एस प्रधान, फेस्ट के आयोजक अनुराग चौहान उपस्थित रहे।

तंबाकू सेवन करने वालों को बुढ़ापा नहीं आता

अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने जीवन के अनुभव साझा करते हुए कहा कि वह भी पहले तंबाकू का सेवन करते थे, लेकिन एक बार उन्होंने इस पर गंभीरता से विचार किया और अंत में तंबाकू त्यागने का फैसला लिया। उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि तंबाकू पीने वालों को बुढ़ापा नहीं आता, क्योंकि वे बुढ़ापे तक पहुंच ही नहीं पाते।

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