शोध और नवाचार से देश में तैयार होगी बौद्धिक संपदा: डोभाल Dehradun News

इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अधिक से अधिक शोध और नवाचार को प्राथमिकता दी जानी चाहिए ताकि देश को बौद्धिक संपदा मिले।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Sun, 19 Jan 2020 01:13 PM (IST) Updated:Mon, 20 Jan 2020 07:12 AM (IST)
शोध और नवाचार से देश में तैयार होगी बौद्धिक संपदा: डोभाल Dehradun News
शोध और नवाचार से देश में तैयार होगी बौद्धिक संपदा: डोभाल Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अधिक से अधिक शोध और नवाचार को प्राथमिकता दी जानी चाहिए ताकि देश को बौद्धिक संपदा मिले। इंजीनियरिंग सीधे देश के विकास से जुड़ा पाठ्यक्रम है। इसलिए इंजीनियरिंग संस्थानों की जिम्मेदारी है कि वह देश को सर्वश्रेष्ठ इंजीनियर दें। जो आगे चलकर देश के ढांचागत विकास में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाएं। यह बातें यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल ने इंजीनियरिंग नवाचार के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में कहीं। द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया उत्तराखंड स्टेट सेंटर की ओर से आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन शनिवार को शुरू हुआ। 

आइएसबीटी के समीप इंजीनियर्स भवन सभागार में 'नवीनतम अभियांत्रिकी परिकल्पना' विषय पर आयोजित सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत और विशिष्ट अतिथि यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल ने दीप जलाकर किया। डॉ. राजेंद्र डोभाल ने कहा कि आज पूरे विश्व के इंजीनियरों के सामने विज्ञान के नए शोध चुनौती के रूप में सामने आ रहे हैं। जिनसे निपटना जरूरी है। उन्होंने कहा कि देश में एनआइटी और आइआइटी बेहतर कार्य कर रहे हैं, लेकिन वैश्विक स्पर्धा में बने रहने के लिए कड़ी मेहनत की जरूरत है।  

प्रदेश के विवि शोध में बरतें गंभीरता 

उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि इंजीनियङ्क्षरग के क्षेत्र में बेहतर कार्य तो हो रहा है, लेकिन प्रदेश के विश्वविद्यालयों में शोध और नवाचार पर और अधिक गंभीरता बरतने की जरूरत है। जिससे बेहतर परिणाम सामने आएं। उन्होंने कहा, यह कहने में उन्हें कोई गुरेज नहीं है कि अभी छात्र-छात्राएं जो शोध रिपोर्ट तैयार करते हैं, वह ज्यादातर नकल करके तैयार की जाती है। शोधार्थी अपनी रिपोर्ट मौलिक रूप से तैयार करें तो उससे छात्रों को भी लाभ होगा और प्रदेश में विकास के नए आयाम भी स्थापित होंगे। उन्होंने द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया उत्तराखंड स्टेट सेंटर से जुड़े करीब ढाई हजार इंजीनियरों से कहा कि उनके कंधों पर राज्य के विकास की बड़ी जिम्मेदारी है।

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एनआइटी, आइआइटी विशेषज्ञों ने रखे विचार             

सम्मेलन में आइआइटी रुड़की के प्रो. अपूर्व कुमार शर्मा, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) के निदेशक प्रो. श्याम लाल सोनी, द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया कोलकाता के राष्ट्रीय अध्यक्ष ई. नरेंद्र सिंह, डीआइटी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केके रैना, इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया कोलकाता के चेरयमैन ई. जगरूप सिंह, ग्राफिक एरा विवि के कुलाधिपति प्रो. आरसी जोशी, एनआइटी श्रीनगर के प्रोफेसर डॉ. पवन कुमार राकेश, डॉ. हरिहरन आदि ने भी विचार रखे।

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तीन दिन में 91 शोध पत्र होंगे प्रस्तुत

इस सम्मेलन में डिलाइन, प्रोसेस, आर्टीफिशियल इंटेलीजेंसी, सुरक्षा, स्मार्ट बिल्डिंग आदि विषयों पर चीन, हंगरी, सिंगापुर, इथोपिया सहित देशभर से 91 शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे। सर्वश्रेष्ठ शोध को सम्मेलन के अंतिम दिन सम्मानित किया जाएगा। 

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