ट्रांसपोर्टरों को राहत, बरकरार आमजन की आफत; पढ़िए पूरी खबर

शायद व्यवसायिक वाहनों के संचालकों की कद्र आमजन से ज्यादा है। यही वजह है कि केवल व्यवसायिक वाहन संचालकों को राहत दी जा रही है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Fri, 03 Jan 2020 02:33 PM (IST) Updated:Fri, 03 Jan 2020 02:33 PM (IST)
ट्रांसपोर्टरों को राहत, बरकरार आमजन की आफत; पढ़िए पूरी खबर
ट्रांसपोर्टरों को राहत, बरकरार आमजन की आफत; पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, अंकुर अग्रवाल। परिवहन विभाग के अफसरों की नजरों में शायद व्यवसायिक वाहनों के संचालकों की कद्र आमजन से ज्यादा है। परिवहन विभाग से जुड़े कार्यों में विलंब शुल्क में सरकार से मिली जिस राहत का इंतजार आमजन गुजरे डेढ़ माह से कर रहा, वह राहत मिली जरूर लेकिन केवल व्यवसायिक वाहन संचालकों को।वाहनों की फिटनेस, चालक के डीएल की वैधता खत्म होने के साथ ही वाहन की पंजीकरण अवधि समाप्त होने पर 2016 से जो तगड़ा बिलंब शुल्क वसूला जा रहा था, उसे हाईकोर्ट के आदेश पर सरकार ने खत्म कर दिया था।साथ ही सरकार ने 2016 से पूर्व चली आ रही व्यवस्था बहाल करने का आदेश दिया था। अब डेढ़ माह बाद शुल्क में राहत तो मिली लेकिन सिर्फ व्यवसायिक वाहन वाहनों की फिटनेस में, पंजीकरण एवं डीएल नवीनीकरण में नहीं। अधिकारी सर्वर में तकनीकी दिक्कत का हवाला देकर पिंड छुड़ा रहे, उधर आमजन विलंब शुल्क कम होने की आस में रोजाना परिवहन दफ्तरों के चक्कर काट रहे। 

दिसंबर 2016 से पहले प्रदेश में वाहनों की फिटनेस, पंजीकरण या लाइसेंस से जुड़े विलंब शुल्क की दरें काफी कम थीं। इसमें हल्के मोटर वाहन पर 200 रुपये व मध्यम मोटर वाहन पर 400 रुपये और भारी वाहन पर 600 रुपये फिटनेस विलंब शुल्क लिया जाता था। यह विलंब शुल्क वाहन फिटनेस में एक दिन की देरी से शुरू होता था और इसके लिए कोई अवधि निर्धारित नहीं थी। इसके अलावा वाहन की पंजीकरण अवधि खत्म होने और ड्राइविंग लाइसेंस की वैधता समाप्त होने पर 100 रुपये सालाना जुर्माना लगता था। केंद्र सरकार 29 दिसंबर 2016 को एक अधिसूचना जारी कर जुर्माना राशि में काफी बदलाव कर दिए थे, जबकि पूर्व में यह अधिकार राज्य सरकार के पास था। केंद्र के नए आदेश में विलंब शुल्क की दरें काफी ज्यादा हो गईं। 

फिटनेस समाप्त होने पर वाहन पर प्रतिदिन 50 रुपये जुर्माना और वाहन का पंजीकरण खत्म होने पर तीन सौ रुपये प्रतिमाह जुर्माना लगने लगा। साथ ही ड्राइविंग लाइसेंस वैधता खत्म होने पर एक हजार रुपये प्रति साल के हिसाब से जुर्माना वसूला जाने लगा। चेन्नई व उत्तर प्रदेश के परिवहन व्यवसायियों ने हाईकोर्ट की शरण ली। मद्रास व इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में केंद्र द्वारा विलंब शुल्क लगाने के निर्णय को सही नहीं बताया और इसे खत्म कर दिया। उत्तराखंड परिवहन विभाग द्वारा भी न्याय विभाग से राय के बाद बीती 21 नवंबर को यह व्यवस्था समाप्त कर पुरानी जुर्माना दरें लागू करने के आदेश दिए, मगर सॉफ्टवेयर अपडेट न होने से आदेश पिछले महीने से मान्य नहीं हो पाए थे। एनआइसी के जरिए सॉफ्टवेयर में अपडेट की प्रक्रिया चल रही थी।नया शुल्क अपडेट न होने से प्रदेश के सभी आरटीओ-एआरटीओ दफ्तरों में कंप्यूटर पर पुराना शुल्क ही आ रहा था।

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इस बीच बुधवार से सॉफ्टवेयर में विलंब शुल्क की दरें कम हो गईं, मगर यह केवल वाहनों की फिटनेस के लिए। लाइसेंस और वाहन पंजीकरण के मामले में यह दरें अभी भी कम नहीं हुईं। आमजन इस गफलत में हैं कि मौजूदा विलंब शुल्क जमा कर अपना काम कराएं या नए आदेश के लागू होने का इंतजार करें। सबसे ज्यादा दिक्कत लाइसेंस व वाहन पंजीकरण की वैधता खत्म होने के मामलों में आ रही। आरटीओ में दर्जनों की संख्या में लोग इसी काम से आ रहे व बैंरग लौट रहे। 

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उप परिवहन आयुक्त एसके सिंह ने बताया कि नए आदेश के बाद विलंब शुल्क की दरें सॉफ्टवेयर में अपडेट करने का कार्य कराया जा रहा है। फिटनेस शुल्क में अपडेट किया जा चुका है जबकि लाइसेंस और वाहन की वैधता से जुड़े विलंब शुल्क में कुछ दिक्कत आ रहीं। दरअसल, लाइसेंस और वाहन के वैधता का जो विलंब शुल्क पुरानी व्यवस्था में था, उसे नया सॉफ्टवेयर अभी कैच नहीं कर रहा। जल्द ही यह दिक्कत दूर कर ली जाएगी।

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