डेंगू की जांच को नाकाफी इंतजाम, एक जगह जांच; एक कर्मचारी तैनात Dehradun News

राजधानी दून में डेंगू से हाहाकार मचा है। डेंगू के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इंतजाम में स्वास्थ्य महकमा फिर भी कंजूसी बरत रहा है।

By Edited By: Publish:Thu, 08 Aug 2019 03:00 AM (IST) Updated:Thu, 08 Aug 2019 08:20 PM (IST)
डेंगू की जांच को नाकाफी इंतजाम, एक जगह जांच; एक कर्मचारी तैनात Dehradun News
डेंगू की जांच को नाकाफी इंतजाम, एक जगह जांच; एक कर्मचारी तैनात Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। राजधानी दून में डेंगू से हाहाकार मचा है। डेंगू के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसके बावजूद इंतजाम में स्वास्थ्य महकमा फिर भी कंजूसी बरत रहा है। हम बात कर रहे हैं एलाइजा जांच की। इसकी एकमात्र व्यवस्था दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में है। हद देखिए कि यहां भी इस काम के लिए मात्र एक कर्मचारी तैनात है। 

कोरोनेशन अस्पताल में जांच शुरू करने का दावा था, पर यहां एलाइजा रीडर मशीन ही खराब पड़ी है। इसे अधिकारी ठीक तक कराने की जहमत नहीं उठा रहे। डेंगू के खौफ के चलते अब सामान्य वायरल से पीड़ित लोग भी जांच करा रहे हैं। इससे एलाइजा जांच के लिए नमूनों का दबाव बढ़ता जा रहा है। रोजाना औसतन 350-400 सैंपल जांच के लिए आ रहे हैं। पर एक कर्मचारी के होने से इनकी टेस्टिंग में दिक्कत आ रही है। मरीजों को भी बिना वजह इंतजार करना पड़ रहा है। 

बता दें, दून अस्पताल, दून मेडिकल कॉलेज व कोरोनेशन अस्पताल को सेंटिनल सर्विलास इकाई के रूप में संगठित किया है। स्वास्थ्य विभाग का ये दावा था कि एलाइजा जांच कोरोनेशन में भी शुरू कर दी जाएगी। कारण ये कि केवल एक जगह जाच होने से काम का अत्याधिक दबाव रहता है। पर इस पर अमल अब तक नहीं हुआ है। 

कोरोनेशन अस्पताल में एलाइजा रीडर है, पर ये मशीन खराब पड़ी है। डेंगू के बढ़ते प्रकोप के बीच भी विभाग इस मशीन को ठीक कराने की जहमत नहीं उठा पा रहा। इधर, जिला वैक्टर जनित रोग निवारण अधिकारी सुभाष जोशी का कहना है कि दून के अलावा तीन और जगह जांच की व्यवस्था की जानी है। कोरोनेशन के साथ ही ऋषिकेश व विकासनगर में भी एलाइजा जांच शुरू की जाएगी। इस पर काम चल रहा है। जल्द जांच शुरू कर दी जाएगी। 

रैपिड के नाम पर खेल कर रहे निजी लैब 

डेंगू की जांच के नाम पर कई निजी लैब भी खेल कर रहे हैं। वे जांच के लिए रैपिड डायग्निोस्टिक किट का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसकी न तो कोई मान्यता है और न इसके आधार पर डेंगू की पुष्टि संभव है। इस किट का इस्तेमाल केवल पैसा बनाने के लिए किया जा रहा है। इस टेस्ट के भी वह मनमाने रेट ले रहे हैं। 

क्या है डेंगू की एलाइजा जांच 

डेंगू की एलाइजा जांच में मरीज के खून के सैंपल के सीरम और प्लाच्मा के इम्यूनोफ्लोसेंट एस्से विधि से एंटीजन की जाच की जा रही है। सीरोटाइप पॉजिटिव आने के बाद सैंपल में एंटीबॉडी की पहचान की जाती है। एलाइजा में सीबीसी या कंपलीट ब्लड काउंट जाच की जाती है। इस विधि से की गई डेंगू जाच की रिपोर्ट चार घटे में आ जाती है। एलाइजा जाच सरकारी अस्पताल में निश्शुल्क है। 

क्या है रैपिड जांच 

इस जांच विधि में खून के सैंपल में डेंगू वायरस की एनएसवन एंटीजन जाच के साथ ही आइजीएम और आइजीएम एंटीजन देखे जाते हैं। इस जांच में दो से तीन घटे का समय लगता है। रैपिड जांच में एक हजार से 1500 का खर्च आता है। डेंगू के अति गंभीर दो से तीन प्रतिशत मरीजों में पीसीआर या पॉलीचेन रिएक्शन जाच की जाती है। 

डेंगू का डंक गहराया, 15 और मरीजों में पुष्टि 

तमाम जतन के बाद भी डेंगू की बीमारी फैलाने वाले मच्छर की सक्रियता कम नहीं हो रही है। ऐसा कोई दिन नहीं बीत रहा जब डेंगू के नए मरीज सामने नहीं आ रहे हैं। ताजा रिपोर्ट में देहरादून में 15 और मरीजों में डेगू की पुष्टि हुई है। इस तरह दून में डेगू पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़कर 218 पहुंच गई है। वहीं, अन्य जनपदों से भी अब तक डेंगू के नौ मामले सामने आ चुके हैं। प्रदेश में डेगू के मरीजों की कुल संख्या 227 हो गई है। 

डेंगू के बढ़ते मामलों को लेकर स्वास्थ्य विभाग की चिंता भी बढ़ती जा रही है। इसकी रोकथाम व बचाव के लिए विभागीय स्तर से उठाए जा रहे कदम नाकाफी ही साबित हो रहे हैं। इतना जरूर है कि नगर निगम के साथ समन्वय बनाकर स्वास्थ्य विभाग की टीम डेंगू प्रभावित इलाकों में पहुंचकर लोगों को बीमारी से बचने के लिए जागरूक कर रही है। 

वहीं नगर निगम ने भी निरोधात्मक कार्रवाई में सहयोग नहीं करने वालों पर सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। बुधवार को मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी की अगुआई में प्रभावित क्षेत्रों में पहुंची टीम ने कुछ लोगों का चालान भी किया है।

मलेरिया अनुसंधान संस्थान की टीम भी उतरी मैदान में 

दून के रायपुर क्षेत्र डेंगू में ज्यादा प्रभावित है। स्वास्थ्य विभाग व राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान संस्थान की संयुक्त टीम ने रायपुर में वाणी विहार, शांति विहार, तपोवन आदि क्षेत्रों का दौरा किया और स्थिति की समीक्षा भी की।

राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञ डॉ. एसी पांडे ने क्षेत्र में आशा फैसिलेटर्स व आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से लोगों के घरों में जाकर डेंगू की बीमारी फैलाने वाले मच्छर के प्रभाव का जायजा लिया। वहीं कई घरों से मच्छर का लार्वा भी एकत्र किया गया। 

इसका प्रयोगशाला में परीक्षण कर मच्छर की प्रजाति की पहचान की जाएगी। इससे डेंगू वायरस के प्रकार (स्ट्रेन) की जानकारी भी हो पाएगी। बताया गया कि लिए गए लार्वा के सैंपल की जांच के आधार पर डेंगू की बीमारी के निरोधात्मक व उपचार में आसानी होगी। 

उन्होंने लोगों से अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखने व खाली बर्तनों में पानी जमा नहीं होने देने की अपील की। बताया कि डेंगू का मच्छर रुके हुए साफ पानी में ज्यादा पनपता है। वहीं पंपलेट बांटकर भी क्षेत्र के लोगों को बीमारी से बचाव व उपचार की जानकारी दी गई। 

टीम में स्वास्थ्य विभाग के सहायक निदेशक डॉ. पंकज कुमार, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एनके त्यागी, जिला वैक्टर जनित रोग नियंत्रण अधिकारी सुभाष जोशी, मंगत राम, राजेश कुमार, पदम प्रकाश आदि शामिल रहे।

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