मुख्यमंत्री आवास कूच कर रहे दिव्यांगों को पुलिस ने रोका, अपर सिटी मजिस्ट्रेट दिया ज्ञापन

मुख्यमंत्री आवास कूच कर रहे नंदादेवी निर्धन दिव्यांग कल्याण एसोसिएशन के सदस्यों को पुलिस ने हाथीड़कला में रोक दिया। दिव्यांगों ने 18 सूत्री मांग के निराकरण की मांग की।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Tue, 16 Jul 2019 11:19 AM (IST) Updated:Tue, 16 Jul 2019 11:19 AM (IST)
मुख्यमंत्री आवास कूच कर रहे दिव्यांगों को पुलिस ने रोका, अपर सिटी मजिस्ट्रेट दिया ज्ञापन
मुख्यमंत्री आवास कूच कर रहे दिव्यांगों को पुलिस ने रोका, अपर सिटी मजिस्ट्रेट दिया ज्ञापन

देहरादून, जेएनएन। मुख्यमंत्री आवास कूच कर रहे नंदादेवी निर्धन दिव्यांग कल्याण एसोसिएशन के सदस्यों को पुलिस ने हाथीड़कला में रोक दिया। इस दौरान नारेबाजी करते हुए दिव्यांगों ने 18 सूत्री मांगों के निराकरण की मांग की। बाद में अपर सिटी मजिस्ट्रेट अवधेश कुमार के मार्फत मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। 

राज्य के दिव्यांगजन लंबे समय से मासिक दिव्यांग पेंशन को ढाई हजार रुपये करने, सरकारी एवं गैर सरकारी विभागों में दिव्यांगों के लिए चार फीसद कोटा तय करने, समेत अन्य मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। पूर्व प्रस्तावित कार्यक्रम के तहत दिव्यांग रविवार को दून पहुंचे। जहां सोमवार को मुख्यमंत्री से मुलाकात करने के लिए कूच किया। मगर, यहां हाथीबड़कला पहुंचते ही दिव्यांगजनों को पुलिस ने रोक दिया। इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष बसंत कुमार थपलियाल ने प्रतिनिधि मंडल को मुख्यमंत्री से मिलाने की मांग की। लेकिन पुलिस की सख्ती के बाद अपर सिटी मजिस्ट्रेट के मार्फत मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा गया। ज्ञापन देने वालों में ललित कुमार, अशोक कुमार, उपेंद्र पंवार, योगेंद्र सिंह आदि शामिल रहे। 

पुलिस को गच्चा देकर हाथीबड़कला तक पहुंचे 108 कर्मी

108 सेवा के पूर्व कर्मचारियों ने सोमवार को अचानक मुख्यमंत्री आवास कूच किया। कर्मचारी पुलिस को गच्चा देकर अलग-अलग जत्थों में हाथीबड़कला तक पहुंच गए। इससे पुलिस-प्रशासन के हाथ-पैर फूल गए। पुलिस ने इन्हें किसी तरह हाथीबड़कला चौकी से पहले रोक लिया। जिस पर कर्मचारी सड़क पर ही धरने पर बैठ गए। इस दौरान पुलिस व प्रदर्शनकारियों के बीच काफी नोकझोंक भी हुई। कर्मचारियों के सड़क पर धरना देने के कारण न्यू कैंट रोड पर कई किमी तक जाम लग गया। जिस वजह से लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। 

बाद में मंगलवार को जिलाधिकारी से वार्ता कराने के आश्वासन पर कर्मचारी धरने से उठे।

आपातकालीन सेवा 108 व खुशियों की सवारी के 717 पूर्व कर्मचारियों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। बीते दो माह से ये कर्मचारी आदोलन कर रहे हैं, पर अब उनका सब्र जवाब देने लगा है और तेवर उग्र हो गए हैं। रविवार को सरकार की सांकेतिक शव यात्रा निकालने को लेकर उनकी पुलिस से साथ झड़प हुई थी। जिसमें कई कर्मचारी घायल भी हुए। सोमवार को फिर कर्मचारियों ने एकाएक सीएम आवास कूच कर दिया। पूर्व कर्मचारी गुपचुप सीएम आवास की ओर बढ़ गए थे कि तभी पुलिस ने उन्हें हाथीबड़कला पर रोक लिया। जिससे क्षुब्ध कर्मचारी वहीं धरने पर बैठ गए। साथ ही कई प्रदर्शनकारी वहां से गुजर रहे वाहनों के आगे लेट गए। 

पुलिस ने काफी मशक्कत के बाद इन्हें ऐसा करने से रोका। इस कारण दिलाराम चौक से लेकर न्यू कैंट रोड तक करीब दो घंटे जाम की स्थिति बनी रही।

एसपी सिटी श्वेता चौबे व अपर सिटी मजिस्ट्रेट अवधेश कुमार ने कर्मचारियों को बहुत समझाया पर वह नहीं माने। वह शाम पांच बजे तक धरने पर डटे रहे। इधर, उक्रांद ने भी धरना स्थल पर पहुंचकर कर्मचारियों को अपना समर्थन दिया।

पुलिस को डायवर्ट करना पड़ा ट्रैफिक

108 के पूर्व कर्मचारियों के सीएम आवास कूच और फिर सड़क पर धरना देने से काफी लंबा जाम लग गया। इस कारण पुलिस को ट्रैफिक तक डायवर्ट करना पड़ा। न्यू कैंट रोड के लिए जाने वाले ट्रैफिक को सर्वे एस्टेट से वाया नया गांव रूट से भेजा गया। 

इसी तरह शहर की तरफ जाने वाला कुछ ट्रैफिक कालीदास रोड की तरफ से भेजा गया। हाथीबड़कला में ही ग्रेस ऐकेडमी स्कूल भी है। स्कूल की छुंट्टी होने पर पुलिस के लिए भी मुश्किल खड़ी हो गई। बाद में पुलिस ने धरना दे रहे कर्मियों को बेरिकेडिंग लगाकर सड़क के एक छोर तक सीमित किया।

राहगीरों-प्रदर्शनकारियों के बीच बहस

हाथीबड़कला में जाम की स्थिति बनने से राहगीरों व प्रदर्शनकारियों के बीच कई बार तीखी बहस हुई। विजय कॉलोनी निवासी रिटायर्ड सूबेदार मेजर राजेंद्र सिंह ने धरना दे रहे कर्मचारियों को खूब खरी-खरी सुनाई। 

उन्होंने कहा कि हाथीबड़कला में धरना-प्रदर्शन आए दिन की बात हो गई है। जिससे आसपास के लोगों को दिक्कत उठानी पड़ती है। कहा कि राजधानी जल्द से जल्द गैरसैंण चली जाए। ताकि दून के लोग सुकून से जी सकें। उनके व पूर्व कर्मचारियों के बीच बहस कुछ ऐसी छिड़ी की पुलिस को बीचबचाव करना पड़ा। बाद में कई अन्य लोगों की भी कर्मचारियों के साथ बहस होती रही।

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