किसानों की आय दोगुना करने की कोशिश, परंपरागत फसलों के लिए पौड़ी मॉडल

परंपरागत कृषि उत्पादों की मंडियों के जरिये खरीद के लिए पौड़ी मॉडल को लागू करने पर विचार कर रही है। इसके तहत रिवाल्विंग फंड से मंडी समितियां परंपरागत उत्पादों को खरीदेंगी।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Mon, 09 Sep 2019 09:51 AM (IST) Updated:Mon, 09 Sep 2019 09:51 AM (IST)
किसानों की आय दोगुना करने की कोशिश, परंपरागत फसलों के लिए पौड़ी मॉडल
किसानों की आय दोगुना करने की कोशिश, परंपरागत फसलों के लिए पौड़ी मॉडल

देहरादून, राज्य ब्यूरो।  किसानों की आय दोगुना करने की कोशिशों में जुटी राज्य सरकार अब कृषकों को यहां की परंपरागत फसलों का उचित दाम मुहैया कराने की दिशा में आगे बढ़ रही है। इस कड़ी में परंपरागत कृषि उत्पादों की मंडियों के जरिये खरीद के लिए ‘पौड़ी मॉडल’ को प्रदेशभर में लागू करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इसके तहत सभी जिलों में जिलाधिकारी के निर्वतन पर रखे गए रिवाल्विंग फंड से मंडी समितियां परंपरागत उत्पादों को खरीदेंगी। किसानों को फसल का उचित दाम मिले, इसके लिए सरकार जल्द ही उन परंपरागत फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) जारी करेगी, जिनका एमएसपी केंद्र सरकार नहीं करती है।

कृषि मंत्री एवं पौड़ी के प्रभारी मंत्री सुबोध उनियाल की पहल पर पौड़ी जिले में डीएम के निवर्तन पर एक करोड़ का रिवाल्विंग फंड गठित किया गया है। इस फंड के जरिये मंडी समितियां किसानों से परंपरागत फसलों मंडुवा, झंगोरा, गहथ आदि की खरीद कर रही हैं। इससे किसानों को लाभ मिला है। पौड़ी में पहले किसानों से मात्र 11 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मंडुवा खरीद रहे थे। अब मंडी समिति में इसे 31 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदा जा रहा है। अब इस पौड़ी मॉडल को प्रदेशभर में उतारने की तैयारी है। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि पौड़ी की तर्ज पर सभी जिलों में रिवाल्विंग फंड गठित कर परंपरागत कृषि उत्पाद खरीदने की व्यवस्था पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। उन्होंने बताया कि परंपरागत फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर कैबिनेट में पहले ही निर्णय लिया जा चुका है। जिन फसलों का केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य केंद्र सरकार घोषित नहीं करती है, उनका समर्थन मूल्य जल्द ही घोषित किया जाएगा।

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हरीश रावत ने परंपरागत उत्पादों की खरीद पर उठाए सवाल

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने परंपरागत कृषि उत्पादों की खरीद के मामले में सवाल उठाए हैं। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में रावत ने लिखा, ‘एक अच्छी जानकारी मिली। सरकार ने उत्तराखंड के परंपरागत उत्पादों को खरीदने का निर्णय लिया है। मंडिया उसके लिए चिह्न्ति की हैं। देर आए दूरुस्त आए, मगर आधे भी नहीं आए।’ उन्होंने कहा कि उनके द्वारा परंपरागत फसलों को प्रोत्साहित करने के लिए खरीद मूल्य निर्धारित किया गया था। साथ ही प्रोत्साहन मूल्य, बोनस, छोटा ट्रैक्टर खरीद जैसे कदम उठाए गए थे। उन्होंने कहा कि आज मंडुवा, गहथ, झंगोरे को खरीदार की दरकार नहीं है। खरीदार तो मार्केट में बन गए हैं। 

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