लंबित मांगों को लेकर नर्सों के तेवर तल्ख, सामूहिक अवकाश और कार्य बहिष्कार की दी चेतावनी

नर्सेज एसोसिएशन के तेवर तल्ख हो गए हैं। एसोसिएशन से जुड़ी नर्सों का कहना है कि अगर जल्द ही उनकी मांगों का समाधान नहीं होता है तो वह 21 सितंबर को सामूहिक अवकाश करेंगी।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Sun, 30 Aug 2020 04:37 PM (IST) Updated:Sun, 30 Aug 2020 04:37 PM (IST)
लंबित मांगों को लेकर नर्सों के तेवर तल्ख, सामूहिक अवकाश और कार्य बहिष्कार की दी चेतावनी
लंबित मांगों को लेकर नर्सों के तेवर तल्ख, सामूहिक अवकाश और कार्य बहिष्कार की दी चेतावनी

देहरादून, जेएनएन। लंबित मांगों को लेकर नर्सेज एसोसिएशन के तेवर तल्ख हो गए हैं। एसोसिएशन से जुड़ी नर्सों का कहना है कि अगर जल्द ही पदोन्नति, वेतन विसंगति आदि मांगों का समाधान नहीं होता है, तो वह 21 सितंबर को सामूहिक अवकाश करेंगी और 30 सितंबर से कार्य बहिष्कार शुरू कर देंगी।

नर्सेज एसोसिएशन की प्रांतीय अध्यक्ष मीनाक्षी जखमोला और महासचिव कांति राणा ने शनिवार को बयान जारी कर कहा है कि कोविड अस्पतालों और कोविड केयर सेंटरों में तैनात नर्सेज अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना के मरीजों की सेवा कर रही हैं। इसके बावजूद उनकी मांगों की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने कहा कि कोविड ड्यूटी में तैनात नर्सों को क्वारंटाइन की सुविधा भी नहीं मिल रही है। उनसे लगातार काम करवाया जा रहा है। 

नर्सों के संवर्ग से संबंधित फाइलें लंबे समय से एक विभाग से दूसरे विभाग में घूम रही हैं। हर बार आश्वासन तो दिया जाता है, लेकिन समस्याओं का समाधान अब तक नहीं हुआ है। अन्य राज्यों में नर्सों का वेतनमान फार्मसिस्टों से अधिक है, लेकिन उत्तराखंड में वर्ष 2013 में तत्कालीन सरकार ने वेतन आयोग की संस्तुति बिना ही नियम विरुद्ध फार्मसिस्टों का वेतन नर्सों से अधिक कर दिया। यह नर्सों के साथ अन्याय है। 

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उन्होंने मांग की है कि नर्सों को 5400 रुपये का प्रथम ग्रेड पे अनुमन्य किया जाए। साथ ही केंद्र के समान नर्सों का पदनाम परिवर्तित किया जाए। अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर मुख्यमंत्री इस संदर्भ में घोषणा भी कर चुके हैं, लेकिन इसका शासनादेश अब तक जारी नहीं हुआ है। कोरोनाकाल में ड्यूटी करने पर नर्सों का एक दिन का वेतन न काटा जाए और काटे गए वेतन को वापस किया जाए।

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