अब इस नर्इ तकनीक से बनार्इ जाएंगी सड़कें

लोकनिर्माण विभाग अब सड़कों का निर्माण अब नर्इ तकनीक से करेगा। दून से इसकी शुरुआत रिसाइक्लिंग कोल्ड मिलिंग मशीन से कर दी गई है।

By Edited By: Publish:Wed, 16 May 2018 03:00 AM (IST) Updated:Thu, 17 May 2018 04:59 PM (IST)
अब इस नर्इ तकनीक से बनार्इ जाएंगी सड़कें
अब इस नर्इ तकनीक से बनार्इ जाएंगी सड़कें

देहरादून, [जेएनएन]: लोक निर्माण विभाग अब सड़क निर्माण की पारंपरिक शैली से हटकर नवीन तकनीक का उपयोग करेगा। दून से इसकी शुरुआत रिसाइक्लिंग कोल्ड मिलिंग मशीन से कर दी गई है। इसके अलावा पहाड़ी जिलों में पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक वेस्ट मैटीरियल से सड़क बनाने का लक्ष्य रखा गया है। लोक निर्माण विभाग मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण से लेकर सौंदर्यीकरण में नवीन तकनीक अपना रहा है। इसके लिए दून में 2017 में सहसपुर-शंकरपुर-भाऊवाला मोटर मार्ग का निर्माण प्लास्टिक वेस्ट मैटीरियल से किया गया। 

दून के परेड ग्राउंड, मसूरी रोड आदि इलाकों में ऐसी सड़कें बनाई गई। इसके अच्छे परिणाम भी सामने आए हैं। अब लोनिवि ने इस तकनीक को पहाड़ में ले जाने की योजना बनाई है। इसके लिए 10 जिलों में इसी साल दो-दो किमी की प्लास्टिक मैटीरियल से सड़क बनाई जाएंगी। इसका लोनिवि ने डिटेल प्लान बनाया है। इसके अलावा मुख्य स्टेट हाईवे, जिला मार्ग और गली-मोहल्लों की सड़कें घर से स्तर से ऊपर उठने पर जलभराव की स्थिति रहती है। इसके लिए भी लोनिवि ने नई तकनीक इजाद की है। इसके लिए डेढ़ करोड़ की रिसाइक्लिंग कोल्ड मीलिंग मशीन खरीदी है। 

यह मशीन उत्तराखंड में पहली और एकमात्र है। इस मशीन से सड़कों को उखाड़कर वेस्ट मैटीरियल से दोबारा रिसाइक्लिंग विधि से सड़क तैयार की जाएगी। सहारनपुर रोड व पटेलनगर में इसका ट्रायल किया गया, जो फिलहाल सफल रहा है। दून में एक माह के भीतर करीब 12 किमी ऐसी सड़क बननी है। डेढ़ लाख प्रति किमी फायदा लोनिवि की रिसाइक्लिंग कोल्ड मीलिंग मशीन से डेढ़ लाख रुपये प्रति किमी का फायदा हो रहा है। इसके अलावा काम की रफ्तार भी दोगुनी हुई है और कम संसाधनों में ज्यादा काम हो रहा है। पर्यावरण को फायदा अभी तक सड़क पेटिंग में उप खनिज का ज्यादा उपयोग हो रहा था। मगर प्लास्टिक वेस्ट मैटीरियल और रिसाइक्लिंग विधि से पुरानी सड़क को नई सड़क बनाने में नए उप खनिज का उपयोग नहीं हो रहा है। इसका फायदा पर्यावरण संरक्षण को मिल रहा है। 

यहां बनेगी प्लास्टिक सड़कें

पौड़ी, कोटद्वार, हल्द्वानी, चमोली, रुद्रप्रयाग, चंपावत, बागेश्वर, पिथौरागढ़, हरिद्वार, नैनीताल, देहरादून। 

लोनिवि के अधीक्षण अभियंता आरसी अग्रवाल ने बताया कि दून में प्लास्टिक की सड़कें सफल रही हैं। अब नए इलाकों में प्लास्टिक सड़कों को विस्तार दिया जा रहा है। रिसाइक्लिंग कोल्ड मीलिंग मशीन से भी पुरानी सड़कों को नया रूप दिया जा रहा है। इससे आर्थिक लाभ, संसाधन और समय की बचत हो रही है। 

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