Move to Jagran APP

37 साल बाद पता चला, सड़क को अनुमति की जरूरत नहीं

सरकार को 37 साल बाद यह पता चला कि गढ़वाल और कुमाऊं मंडल को जोड़ने के लिए कंडी रोड के निर्माण के लिए अनुमति की जरूरत नहीं है। इससे इस सड़क के बनने का रास्ता साफ हो गया।

By BhanuEdited By: Published: Sat, 04 Nov 2017 08:28 AM (IST)Updated: Sat, 04 Nov 2017 10:42 PM (IST)
37 साल बाद पता चला, सड़क को अनुमति की जरूरत नहीं
37 साल बाद पता चला, सड़क को अनुमति की जरूरत नहीं

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: गढ़वाल व कुमाऊं मंडलों को राज्य के भीतर ही सीधे सड़क से जोड़ने वाली कंडी रोड के लालढांग-चिलरखाल (कोटद्वार-पौड़ी) के निर्माण को लेकर सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लिया है। यह सड़क डामरीकृत होगी और इसे लोनिवि बनाएगा। इसके लिए उस फैसले को आधार बनाया गया, जिसमें यह साफ है कि वन अधिनियम लागू होने से पहले यदि जंगल से गुजरने वाली कोई सड़क डामरीकृत थी तो उसके लिए फॉरेस्ट क्लीयरेंस की जरूरत नहीं है। हालांकि, यह बात समझने में मशीनरी को 37 साल लग गए। 

prime article banner

वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने लोनिवि को निर्देश दिए कि वह 2016 में स्वीकृत 7.06 करोड़ की राशि से सड़क का निर्माण करने के साथ ही इसका संशोधित प्राक्कलन जल्द से जल्द प्रस्तुत करे। साथ ही सप्ताहभर के भीतर इस सड़क से जुड़ी दिक्कतें दूर करने के निर्देश वन विभाग व लोनिवि के अधिकारियों को दिए।

दरअसल, अंग्रेजी शासनकाल से चली आ रही कंडी रोड (रामनगर-कालागढ़-कोटद्वार-लालढांग) मार्ग के कोटद्वार से रामनगर तक का हिस्सा कार्बेट टाइगर रिजर्व में पड़ता है और इसी को लेकर विवाद है। लैंसडौन वन प्रभाग के अंतर्गत चिलरखाल (कोटद्वार)-लालढांग(हरिद्वार) वाले हिस्से पर कोई विवाद नहीं है। 

इसे देखते हुए राज्य गठन के बाद से यह मांग उठती आ रही कि पहले चरण में इस हिस्से का निर्माण करा दिया जाए, ताकि कोटद्वार (गढ़वाल) आने-जाने को उप्र के बिजनौर क्षेत्र से होकर गुजरने के झंझट से मुक्ति मिल सके। 

अब जाकर सरकार इस दिशा में कुछ गंभीर हुई है और उसने लालढांग-चिलरखाल मार्ग को डामरीकृत सड़क बनाने का निश्चय किया है।

सरकार का यह फैसला इस लिहाज से भी ऐतिहासिक है कि यह बात समझने में सरकारी मशीनरी को 37 साल का वक्फा लग गया कि इस सड़क में वन कानून आड़े नहीं आएगा। 

वन अधिनियम-1980 लागू होने पर यह व्यवस्था दी गई थी कि जंगल से होकर गुजरने वाले जो मार्ग पहले डामरीकृत थे, उनके पक्कीकरण को वन विभाग से फॉरेस्ट क्लीयरेंस लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस सड़क को लेकर 2011 में वन, राजस्व और लोनिवि ने संयुक्त सर्वे किया तो बात सामने आई कि वन विभाग की लालढांग रेंज के अभिलेखों में 1970-80 के दशक में यह सड़क डामरीकृत थी। लिहाजा, इसके डामरीकरण को भारत सरकार से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है।

वन मंत्री डा.हरक सिंह रावत ने विधानसभा में वन, लोनिवि व राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर इसी सर्वे को आधार मानते हुए सड़क का निर्माण करने के निर्देश दिए। डॉ.रावत के अनुसार 11.50 किमी लंबी इस सड़क की राह में पूर्व के भुगतान समेत जो भी अड़चनें हैं, उन्हें सप्ताहभर के भीतर दूर करने के निर्देश दिए गए हैं। 

यह भी पढ़ें: जौलजीवी में भी बने इनर व नोटिफाइड लाइन 

यह भी पढ़ें: आपका स्मार्ट फोन बताएगा फल अच्छे हैं या खराब, जानिए कैसे 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.