सरकारी आवासों पर कब्जा जमाए बैठे नौ आइएएस समेत 50 को नोटिस, पढ़िए पूरी खबर

तय से ज्यादा वक्त तक सरकारी आवासों पर काबिज पूर्व और मौजूदा नौकरशाहों से अब बाजार दर से किराया वसूली होगी। इसको लेकर नौ आइएएस समेत करीब 50 को नोटिस भेजे हैं।

By Edited By: Publish:Wed, 13 Nov 2019 03:00 AM (IST) Updated:Wed, 13 Nov 2019 03:39 PM (IST)
सरकारी आवासों पर कब्जा जमाए बैठे नौ आइएएस समेत 50 को नोटिस, पढ़िए पूरी खबर
सरकारी आवासों पर कब्जा जमाए बैठे नौ आइएएस समेत 50 को नोटिस, पढ़िए पूरी खबर
देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। उत्तराखंड को पूर्व मुख्यमंत्रियों ने जो राह दिखाई, शासन के भूतपूर्व और मौजूदा नौकरशाहों और फिर उनकी तर्ज पर ही विभिन्न महकमों के रसूखदार अफसरों ने भी धड़ल्ले से उसी दिशा में कदम बढ़ा दिए। सेवानिवृत्त होने या तबादले के बाद भी बड़ी संख्या में पूर्व और मौजूदा नौकरशाह सरकारी आवासों पर कब्जा जमाए हैं। तय से ज्यादा वक्त तक सरकारी आवासों पर काबिज पूर्व और मौजूदा नौकरशाहों से अब बाजार दर से किराया वसूली होगी। इस मामले में नौ आइएएस समेत करीब 50 अफसरों और रसूखदार लोगों को राज्य संपत्ति महकमे ने नोटिस भेजे हैं। 
सरकारी आवासों पर काबिज रहने की पूर्व मुख्यमंत्रियों में लगी रही होड़ का जमकर लुत्फ लेने में सूबे की नौकरशाही पीछे नहीं रही है। बंगलेनुमा सरकारी आवासों का मोह इसकदर तारी रहा कि पहले पूर्व मुख्यमंत्रियों और अब नौकरशाहों के इन्हें छोड़ने में पसीने छूट गए। इन आवासों की बंदरबांट सिर्फ नौकरशाहों तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि रसूखदार गैर नौकरशाह लोगों को भी जनता की गाढ़ी कमाई से बनने वाले सरकारी आवासों से नवाजा गया। माले मुफ्त दिले बेरहम का आलम ये रहा कि ऐसे लोग भी मनचाहे ढंग से आवासों पर चिपके रहे। 
हाईकोर्ट के आदेश पर पूर्व मुख्यमंत्रियों ने सरकारी आवास से कब्जा छोड़ दिया, लेकिन हाईकोर्ट का बाजार दर से किराया देने का फरमान उनकी मुश्किलें बढ़ाए हुए है। सरकार उन्हें किराए से राहत देने को बाकायदा अध्यादेश ला चुकी है। यह दीगर बात है कि इस अध्यादेश को हाईकोर्ट में चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई चल रही है। हाईकोर्ट ने सरकारी आवासों पर नियमों को ताक पर रखकर किए गए कब्जे के मामले में पूर्व मुख्यमंत्रियों के साथ ही नौकरशाहों समेत सभी लोगों पर शिकंजा कसा है। इसके बाद सरकार को हरकत में आना पड़ा। 
राज्य संपत्ति महकमे की ओर से कई बार नोटिस भेजने के बावजूद सरकारी मकान खाली नहीं कर रहे अधिकारियों और अन्य लोग अब हाईकोर्ट के सख्त रुख से भयभीत हैं। पूर्व और मौजूदा नौकरशाहों की हनक ढीली पड़ी है। नोटिस के बाद आवास छोड़ने का सिलसिला शुरू हो चुका है। इन सभी लोगों को अब बाजार दर से किराया देना होगा। सेवानिवृत्ति या तबादले के दो माह के भीतर सरकारी आवास खाली करने का प्रावधान है। राज्य संपत्ति विभाग ने ऐसे अधिकारियों को नोटिस थमा दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक जिन्हें नोटिस दिए गए हैं, उनमें कुछ पूर्व मुख्य सचिव और मौजूदा नौ आइएएस शामिल हैं। जिलाधिकारी रहने के बाद शासन में तैनात कुछ अधिकारी भी इस सूची में हैं। 
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