शौचालय में तीन महीने से नहीं पानी, यहां हर दिन होती है परेशानी

आंगनबाड़ी केंद्रों में शौचालय बनाने का दावा करने वाला महिला और बाल विकास विभाग के खुद के शौचालय कक्ष में तीन महीने से पानी नहीं आ रहा। यहां के कर्मचारियों के साथ ही बाहर से आने वाले लोग हर दिन पानी न होने से परेशानी का सामना करते हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Mon, 19 Oct 2020 06:22 PM (IST) Updated:Mon, 19 Oct 2020 10:53 PM (IST)
शौचालय में तीन महीने से नहीं पानी, यहां हर दिन होती है परेशानी
शौचालय में तीन महीने से नहीं पानी, यहां हर दिन होती है परेशानी। जागरण

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड के आंगनबाड़ी केंद्रों में शौचालय बनाने का दावा करने वाला महिला और बाल विकास विभाग के खुद के शौचालय कक्ष में तीन महीने से पानी नहीं आ रहा है। यहां के कर्मचारियों के साथ ही बाहर से आने वाले लोग हर दिन पानी न होने से परेशानी का सामना करते हैं, लेकिन हैरत की बात यह है कि इसके बाद भी विभाग के अधिकारी अनजाने बने बैठे हैं।

नंदा की चौकी स्थित महिला और बाल विकास विभाग के प्रथम और द्वितीय तल में निदेशक, उपनिदेशक, जिला कार्यक्रम अधिकारी के साथ ही महिला आयोग और बाल आयोग के अधिकारी बैठते हैं। प्रथम तल में तीन विभागों के अधिकारी समेत तकरीनब 50 कर्मचारी हैं। इनके साथ ही आयोग में सुनवाई और अन्य कार्यों से यहां आने वालो लिए भव्य शौचालय कक्ष बनाया गया है।

लेकिन हैरत की बात है कि पिछले तीन महीने से इसमें पानी तक नहीं आ रहा है। कर्मचारी भी खुद इससे परेशान हैं, लेकिन ऊपरी अधिकारियों को वह इसकी शिकायत भी नहीं करते। क्योंकि पूर्व में भी कुछ कर्मचारियों ने इस बारे में शिकायत की थी, लेकिन उसके बाद भी कुछ नहीं हुआ। ऐसे में हर दिन आने वाले लोग और कर्मचारी इस समस्या से जूझ रहे हैं।

बाल आयोग ने शासन को भेजा पत्र

इस समस्या को देखते हुए बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी छह महीने पहले शासन को पत्र लिखकर व्यवस्था सही करने को कहा था। कुछ समय के लिए पानी आने लग गया लेकिन, मोटर फुंक जाने और अन्य तकनीकी दिक्कत के चलते स्थिति पहले जैसे हो गई। गत जून अंतिम सप्ताह से यहां के शौचालयों में पानी तक नहीं है। आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने बताया कि इस संबंध में दोबारा पत्र भेजा जाएगा।

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90 हजार का खर्चा

सूत्रों के मुताबिक वरिष्ठ अधिकारी इसलिए भी शौचालय में पानी की समस्या को अनदेखा कर रहे हैं, क्योंकि कुछ समय पहले अंडर ग्राउंड विद्युत फिटिंग डैमेज हो गई थी। जिस पर एक एजेंसी से अधिकारियों ने बात भी की तो खर्चा लगभग 90 हजार का बताया। ऐसे में इतना खर्चा कैसे और कहां से आएगा इसलिए भी इसपर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। वहीं, उस बारे में विभाग के उप निदेशक एसके सिंह का कहना है कि यह मामला गंभीर है, जांच के बाद इसे सही करवाया जाएगा।

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