उत्तराखंड में थम गर्इ रफ्तार, मैक्सी-कैब के चक्काजाम से यात्रियों की फजीहत

उत्तराखंड में मैक्सी-कैब संचालकों की हड़ताल से आम जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हो गया है। यात्रियों की जमकर फजीहत हो रही है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Thu, 14 Jun 2018 02:05 PM (IST) Updated:Fri, 15 Jun 2018 05:34 PM (IST)
उत्तराखंड में थम गर्इ रफ्तार, मैक्सी-कैब के चक्काजाम से यात्रियों की फजीहत
उत्तराखंड में थम गर्इ रफ्तार, मैक्सी-कैब के चक्काजाम से यात्रियों की फजीहत

देहरादून, [जेएनएन]: राज्य में पुराने व्यावसायिक वाहनों में स्पीड गवर्नर की बाध्यता खत्म करने की मांग को लेकर गुरुवार को प्रदेश के सभी टैक्सी व मैक्सी संचालक पूरा दिन हड़ताल पर रहे। वाहनों का संचालन ठप होने से समूचे पहाड़ की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था ठप पड़ गई। यात्रा-सीजन में इस बेमियादी हड़ताल को लेकर सरकार ने आनन-फानन में हड़ताली ट्रांसपोर्टरों व परिवहन विभाग की समझौता वार्ता बुलाई। देर शाम परिवहन सचिव डी. सेंथिल पांडियन द्वारा मामले के परीक्षण के लिए आरटीओ देहरादून सुधांशु गर्ग के निर्देशन में एक कमेटी गठित कर दी गई और आदेश दिए गए कि कमेटी की रिपोर्ट मिलने तक एक अक्टूबर 2015 से पुराने वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाने का फैसला स्थगित रहेगा। फैसले के बाद ट्रांसपोर्टरों ने बेमियादी हड़ताल खत्म करने का एलान किया। वहीं, देहरादून से पर्वतीय मार्गों पर चलने वाली लगभग 1500 टैक्सी, मैक्सी, ट्रैकर व जीप के पहिए पूरे दिन थमे रहने से पहाड़ की लाइफ-लाइन थमी रही। 

पुराने वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाने के विरुद्ध प्रदेशभर के मैक्सी कैब संचालकों ने पूर्व में दी चेतावनी के तहत गुरुवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी। इससे पूरे गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के पहाड़ी मार्गों की 'लाइफ-लाइन' थम गई। दरअसल, मुंबई में लोकल ट्रेनों की तर्ज पर प्रदेश के पर्वतीय मार्गों पर जीप-ट्रैकर को सार्वजनिक परिवहन की लाइफ-लाइन माना जाता है। पर्वतीय मार्गों पर निजी और रोडवेज बसें भी चलती हैं लेकिन एक तो इनकी संख्या बेहद कम है और दूसरा छोटे व संकरे मार्गों पर बसें नहीं जा पातीं।

ऐसे में दैनिक सफर के लिए आमजन जीप और ट्रैकर का ही इस्तेमाल करता है। बीते दिनों परिवहन मुख्यालय ने इन वाहनों के लिए स्पीड गवर्नर लगाना अनिवार्य कर दिया है और इसके बिना वाहनों को फिटनेस नहीं दी जा रही। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि वे स्पीड गवर्नर के विरोध में नहीं हैं, लेकिन पहाड़ में वाहन पहले ही 30-35 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ते हैं। यहां स्पीड गवर्नर की बाध्यता नहीं होनी चाहिए।

यही नहीं, ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि जो नए वाहन आ रहे हैं, उनमें निर्माता कंपनी यह डिवाइस लगाकर दे। पुराने वाहनों में यह डिवाइस लगाना जुगाड़बाजी है, जो हादसे का कारण बन सकती है। परिवहन विभाग ने मनमानी कर नौ कंपनियों को डिवाइस लगाने का ठेका दिया हुआ है। डिवाइस दो से ढाई हजार रुपये की है लेकिन कंपनियां ट्रांसपोर्टरों से सात-आठ हजार रुपये तक वसूल रही हैं। फैसले के विरुद्ध ट्रांसपोर्टरों ने प्रदेश के सभी परिवहन कार्यालयों में धरना-प्रदर्शन भी किया। 

बस अड्डे पर मायूस खड़े रहे यात्री 

कोटद्वार में वाहनों गढ़वाल जीप टैक्सी समिति हड़ताल पर चली गई है। जीप-टैक्सियों की हड़ताल के कारण आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हड़ताल के कारण सुबह से ही रोडवेज व जीएमओयू बस अड्डे पर यात्रियों की भीड़ लगी है। अधिक परेशानी उन क्षेत्रों में हो रही है, जहां यातायात के नाम पर मात्र जीप टैक्सी संचालित होती हैं। 

स्थानीय लोगों के साथ पर्यटकों की फजीहत 

वहीं हल्द्वानी में भी टैक्सी चालकों की हड़ताल का असर देखने को मिल रहा है। पर्यटकों और स्थानीय यात्रियों को हड़ताल से बेहद परेशानी हो रही है। नैनीताल रोड स्थित टैक्सी स्टैंड पहुंचने पर मायूस होकर उन्हें रोडवेज और केमू की बस से सफर करना पड़ा। वहीं गुपचुप तरीके से सवारियां भरकर जाने वाली टैक्सियों को चालक समिति के सदस्यों ने रानीबाग पर रोककर सवारियां उतार ली। इस दौरान यात्रियों से उनकी नोंकझोंक भी हुई। 

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