दूसरे राज्यों से खेल रहीं महिला क्रिकेटरों की वापसी से दूर हो सकता है संकट
उत्तराखंड में घरेलू क्रिकेट लिए महिला टीम का गठन भी टेढ़ी खीर है। यदि दूसरे राज्यों से महिला क्रिकेटर वापसी करें तो संकट दूर हो सकता है। फिलहाल ऐसी सूरत नजर नहीं आ रही है।
देहरादून, [जेएनएन]: उत्तराखंड को इसी सत्र में बीसीसीआइ के घरेलू टूर्नामेंट में खेलने का मौका तो मिल रहा है। लेकिन, टीमों के गठन में खासकर महिला टीम बनाने में उत्तराखंड क्रिकेट कंसेंसस कमेटी को पापड़ बेलने पड़ सकते हैं। हां, अगर दूसरे राज्यों से खेल रही प्रदेश की महिला क्रिकेटर वापसी करें तो बात बन सकती है। लेकिन, इसकी राह भी आसान नजर नहीं आ रही है। क्योंकि कई क्रिकेटर वापसी से साफ इन्कार कर रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से चयनित प्रशासकों की समिति ने उत्तराखंड में क्रिकेट संचालन के लिए कंसेंसस कमेटी का गठन किया है। इसमें बीसीसीआइ से बोर्ड की मान्यता की दौड़ में शामिल चार क्रिकेट संघ और प्रदेश सरकार की ओर से नामित सदस्य शामिल हैं।
पिछले दिनों कमेटी की पहली बैठक भी हुई, जिसमें टीमों के गठन पर चर्चा हुई। लेकिन, इसके लिए क्या फार्मूला अपनाया जाएगा इस पर कोई निष्कर्ष नहीं निकला। बीसीसीआइ का घरेलू कैलेंडर सितंबर से शुरू हो रहा है।
ऐसे में पुरुष वर्ग में अंडर-16 से लेकर रणजी ट्रॉफी के लिए टीम तैयार करने में तो मेहनत करनी होगी ही। लेकिन, महिला टीमों के गठन में शायद ही सफलता मिले। दरअसल प्रदेश में पिछले सात-आठ साल से ऐसा कोई भी आयोजन नहीं हुआ, जिसमें महिला क्रिकेटरों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला हो। प्लेटफार्म न मिलने के कारण प्रतिभावान क्रिकेटरों को पलायन करना पड़ा। इसका मुख्य कारण किसी भी क्रिकेट संघ को बोर्ड से मान्यता नहीं मिलना भी है।
दूसरे राज्यों से खेल रही कुछ खिलाड़ियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वह अब राज्य से खेलने वापस नहीं आएंगी। उनका कहना है कि जब राज्य के पास बोर्ड से मान्यता नहीं थी तब इन्हीं राज्यों ने उन्हें खेलने का मौका दिया था। कहा कि एनओसी लेने में समय लगता है और अब इतना समय नहीं है। उनका कहना है कि पुराने खिलाड़ियों को छोड़ जो खिलाड़ी राज्य से खेल रहे हैं उन्हीं पर ध्यान देकर मजबूत टीम का चयन किया जाए।
उपलब्ध खिलाड़ियों के कराए जाएंगे ट्रायल
सीएयू सचिव व कांसेंसस कमेटी के सदस्य महिम वर्मा के अनुसार जो महिला खिलाड़ी दूसरे प्रदेशों से खेल रही हैं उनकी वापसी संभव नहीं है। ऐसे में जो खिलाड़ी प्रदेश में उपलब्ध हैं उनका ट्रायल कराए जाएंगे। इसके आधार पर ही चयन कर महिला टीम बनाई जाएगी।
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