यहां गिरे से देवी सती के कुंज, अब स्थापित है मंदिर; जानिए इतिहास

सिद्धपीठ मां कुंजापुरी का मंदिर प्रसिद्ध सिद्धपीठों में एक है। मान्यता है कि यहां देवी सती के बाल (कुंज) गिरे थे।

By BhanuEdited By: Publish:Fri, 12 Oct 2018 09:35 AM (IST) Updated:Fri, 12 Oct 2018 09:35 AM (IST)
यहां गिरे से देवी सती के कुंज, अब स्थापित है मंदिर; जानिए इतिहास
यहां गिरे से देवी सती के कुंज, अब स्थापित है मंदिर; जानिए इतिहास

देहरादून, [जेएनएन]: सिद्धपीठ मां कुंजापुरी का मंदिर टिहरी जिले में ऋषिकेश-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग नरेंद्रनगर के पास स्थित है। यह प्रसिद्ध सिद्धपीठों  में एक है। मान्यता है कि यहां देवी सती के बाल (कुंज) गिरे थे। अब यहां हर वर्ष नवरात्रि पर कुंजापुरी पर्यटन विकास मेले के नाम से मेला आयोजित होता है। 

सिद्धपीठ कुंजापुरी मंदिर में वर्ष 1974 से मेला आरंभ हुआ था। यहां से बंदर पूंछ, चौखंबा, नीलकंठ, सुंरकंडा आदि विहंगम व धार्मक स्थलों के दर्शन होते हैं। कुंजापुरी मंदिर के पुजारी राजेंद्र भंडारी ने बताया कि मंदिर में सुबह शाम विधिवत पूजा की जाती है। 

सुबह को देवी को स्नान करवाने के बाद पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्र पर्व के अवसर पर मंदिर में बाहर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। यहां नवरात्र पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है।

इतिहास: 

मान्यता है कि यहां देवी सती के बाल (कुंज) गिरे थे जिस कारण इस स्थान का नाम कुंजापुरी पड़ा। स्कंध पुराण के केदारखंड के अनुसार पौराणिक काल में कनखल हरिद्वार में दक्ष प्रजापति ने विशाल यज्ञ का आयोजन किया गया था। इसमें सभी देवताओं को आमंत्रित किया गया, लेकिन उसमें शंकर व अपनी पुत्री सती को निमंत्रण नहीं दिया गया। 

जब सती को यज्ञ का पता चला तो वह उसमें शामिल होने कनखल चली गई। यज्ञ में शिव का अपमान देख सती ने यज्ञ कुंड में आहुति दे दी। शिव को जब यह पता चला तो वह हरिद्वार पहुंचे और यहां से सती का शरीर लेकर कैलाश की ओर चल पड़े। सती का शव रास्ते में टूट कर जगह-जगह गिरता रहा कुंजापुरी में सती के कुंज गिरे जिस कारण इसका नाम कुंजापुरी पड़ा।

इस तरह पहुंचे मंदिर

ऋषिकेश से बस या टैक्सी में 16 किमी की दूरी तय कर नरेंद्रनगर पहुंचा जा सकता है। यहां से फिर 11 किमी आगे ङ्क्षहडोलाखाल तक बस सेवा है। यहां से मंदिर परिसर तक छोटे वाहन से जा सकता हैं। यहां सांय तक हर समय वाहन की सुविधा है। यहां से सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन ऋषिकेश पड़ता है, जबकि हवाई सेवा जौलीग्रांट तक है।

वर्षभर खुले रहते हैं मंदिर के कपाट 

मंदिर के पुजारी राजेंद्र भंडारी के मुताबिक सिद्धपीठ मां कुंजापुरी प्रसिद्ध सिद्धपीठों में एक है। माता के प्रति लोगों को की इतनी अटूट श्रद्धा है कि दूर-दराज क्षेत्रों से माता के दर्शन करने के लिए लोग यहां आते हैं। जो भी श्रद्धालु सच्च मन से माता के पास आता है उसकी सभी मनाकामनाएं पूर्ण होती है। माता के कपाट वर्षभर श्रद्धालुओं के लिए खुले रहते हैं।

नवरात्र में नौ दिन लगता है मेला 

मंदिर समिति के प्रबंधक जगमोहन भंडारी के अनुसार हिंडोलाखाल या आगराखाल से छोटे वाहनों के जरिए मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। यहां पर प्रतिवर्ष नवरात्रि में नौ दिन का सिद्धपीठ कुंजापुरी पर्यटन व विकास मेले का आयोजन होता है जहां दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। श्रद्धालुओं को भी हर संभव सुविधाएं प्रदान की जाती है।

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