सरकार और स्‍कूलों के बीच बढ़ी तनातनी, फीस वसूल रहे निजी स्कूलों की सूची तलब

मुख्य शिक्षा अधिकारी ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को ऑनलाइन पढ़ाई न करवाने के बावजूद फीस वसूल रहे निजी स्कूलों की रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Mon, 18 May 2020 09:35 PM (IST) Updated:Mon, 18 May 2020 09:35 PM (IST)
सरकार और स्‍कूलों के बीच बढ़ी तनातनी, फीस वसूल रहे निजी स्कूलों की सूची तलब
सरकार और स्‍कूलों के बीच बढ़ी तनातनी, फीस वसूल रहे निजी स्कूलों की सूची तलब

देहरादून, जेएनएन। हाईकोर्ट के निजी स्कूलों पर सख्ती के निर्देश के बाद शिक्षा विभाग हरकत में आ गया है। मुख्य शिक्षा अधिकारी ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को ऑनलाइन पढ़ाई न करवाने के बावजूद फीस वसूल रहे निजी स्कूलों की रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं। सभी खंडों से 20 मई तक ऐसे स्कूलों की सूची तलब की गई है।

शासन स्तर से आदेश जारी होने के बाद सभी जिलों में मुख्य शिक्षा अधिकारी निजी स्कूलों के कामकाज की रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। मुख्य शिक्षा अधिकारी आशा रानी पैन्यूली ने बताया कि शासन ने ऑनलाइन पढ़ाई करा रहे, पढ़ाई नहीं करवा रहे, पढ़ाई ना करवाने के बावजूद फीस वसूल रहे और अभिभावकों से जबरन फीस लेने का दबाव बना रहे स्कूलों की सूची तलब की है। सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को 20 मई तक यह सूची तैयार करनी है। इसके अलावा अभिभावकों की शिकायत पर निजी स्कूलों पर अब तक की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भी विभाग तैयार कर रहा है।

बीडीओ के लिए आफत का काम

शासन के आदेशों पर जिला स्तर पर अभिभावकों की शिकायतों के निस्तारण की जिम्मेदारी बीडीओ (ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर) को सौंपी गई है। शिक्षा विभाग के काम विकास अधिकारियों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहे हैं। विकास अधिकारियों को कहना है कि उनके पास पहले से ही अपने विभाग के कई काम हैं। बावजूद इसके शासन ने उन्हें शिक्षा विभाग के काम सौंप दिए हैं। हालांकि, मुख्य शिक्षा अधिकारी आशारानी पैन्यूली ने कहा कि शासन के निर्देशों का पालन करते हुए बीडीओ को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। हालांकि व्यवहारिकता को देखते हुए अब खंड स्तर के शिक्षा अधिकारियों को उनकी सहायता करने की जिम्मेदारी दे दी गई है।

92 प्रतिशत रिजल्ट

लॉकडाउन में जनपद चमोली के सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन पढ़ाई वरदान साबित हो रही है। ऑनलाइन शिक्षण कार्य के 15 दिन बाद विद्यार्थियों की परीक्षा का मूल्यांकन करने पर यह बात सामने आई है। परीक्षा में 92 प्रतिशत से अधिक ने सभी प्रश्नों के सही उत्तर दिए। रविवार को नवीं कक्षा के अंग्रेजी और सामाजिक विज्ञान, 10वीं कक्षा के गणित व विज्ञान और 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों का अंग्रेजी, अर्थशास्त्र और भौतिक विज्ञान विषयों में टेस्ट लेकर इसका मूल्यांकन किया गया।

स्कूलों की चाबियां सरकार को सौंपेंगे निजी स्कूल

महामारी में निजी स्कूलों में फीस वसूली बड़ा मुद्दा बन गया है। सरकार और हाई कोर्ट ने निजी स्कूलों के फीस वसूली के रास्ते बंद कर दिए हैं। बिना किसी आर्थिक मदद के फीस वसूली पर रोक लगने से निजी स्कूलों में रोष है। इसके विरोध में निजी स्कूल संचालकों ने अपने स्कूलों की चाबियां सरकार को सौंपने का फैसला किया है।

पूर्व में सरकार ने निजी स्कूलों को आदेश दिया था कि सिर्फ समर्थ अभिभावकों से ही फीस लें। जबरन फीस के लिए दवाब न बनाया जाए। लेकिन इससे असंतुष्ट अभिभावकों ने हाईकोर्ट में फीस वसूली पर रोक लगाने की याचिका दायर की थी। जिसके बाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को निजी स्कूलों पर लगाम कसने के सख्त निर्देश दिए।

अब स्कूल संचालकों का कहना है एक ओर सरकार निजी स्कूलों को हर कर्मचारी को पूरा वेतन देने के आदेश दे रही है। दूसरी ओर फीस वसूली पर रोक लगा दी गई है। प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कश्यप ने कहा कि बिना किसी आॢथक सहायता के फीस वसूली पर रोक लगाना अव्यवहारिक है। सरकार को दोनों पक्षों के बीच समन्वय बनाकर इस फैसले को लेना होगा। बताया कि निजी स्कूलों में केवल समर्थ अभिभावकों से फीस ली जा रही थी।

असमर्थ अभिभावकों पर फीस के लिए कोई दबाव नहीं बनाया जा रहा है। अब तक अप्रैल महीने में भी मात्र पांच फीसद अभिभावकों ने फीस जमा की है। यही हालात रहे तो स्कूल बंद करने होंगे। बताया कि प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग को मांग पत्र भेजा गया है, जिसमें समर्थ अभिभावकों से फीस वसूली की छूट मांगी गई है। कश्यप ने कहा कि अगर सरकार चाहती है कि निजी स्कूल फीस ना लें तो संस्थान को चलाने और कर्मचारियों का वेतन जारी करने के लिए सरकार को फंड भी जारी करना चाहिए।

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कोर्ट में पक्ष रखेंगे निजी स्कूल

निजी स्कूलों में फीस वसूली पर पूर्णता रोक लगाने के विरोध में सीबीएसई सहोदय स्कूल्स कॉम्प्लेक्स कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहा है। एसोसिएशन के अध्यक्ष छाया खन्ना ने कहा कि निजी स्कूलों के पास छात्र-छात्राओं से आने वाली फीस के अलावा दूसरा विकल्प नहीं होता। ऐसे में बिना फीस वसूली के कर्मचारियों का वेतन और दूसरे खर्चे निकालना असंभव है। सरकार ने अभिभावकों के पक्ष में एकतरफा नियम बनाए हैं, इसके विरोध में निजी स्कूल हाईकोर्ट में अपनी बात रखेंगे। 

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