लक्ष्मण झूला सेतु ने कई फिल्मों में छोड़ी अपनी छाप, अमिताभ बच्चन ने शेयर की फोटो

लक्ष्मण झूला पुल सिर्फ नदी के दो पाटों को जोड़ने वाला सेतु नहीं है बल्कि पूरे एक युग का इतिहास समेटे हुए है। अमिताभ बच्चन ने इस पुल पर बंदरों के साथ अपनी फोटो भी शेयर की।

By BhanuEdited By: Publish:Sat, 13 Jul 2019 12:11 PM (IST) Updated:Sun, 14 Jul 2019 10:35 AM (IST)
लक्ष्मण झूला सेतु ने कई फिल्मों में छोड़ी अपनी छाप, अमिताभ बच्चन ने शेयर की फोटो
लक्ष्मण झूला सेतु ने कई फिल्मों में छोड़ी अपनी छाप, अमिताभ बच्चन ने शेयर की फोटो

ऋषिकेश, जेएनएन। गंगा पर बना लक्ष्मण झूला पुल सिर्फ नदी के दो पाटों को जोड़ने वाला सेतु नहीं है, बल्कि पूरे एक युग का इतिहास समेटे हुए है। लगभग 90 वर्ष की आयु पूरी कर चुका यह झूला पुल अब भले ही एक धरोहर बन गया हो, मगर करोड़ों लोगों के दिलों में यह हमेशा बसा रहेगा। रूपहले पर्दे पर कई बार नजर आ चुका यह पुल और इससे जुड़ी तमाम यादें लोगों के जेहन में हमेशा ताजा रहेंगी। वहीं, अमिताभ बच्चन ने इस पुल पर बंदरों के साथ अपनी फोटो भी शेयर की है। 

गौरतलब है कि लक्ष्मण झूला पुल पर आवाजाही पूरी तरह से बंद कर दी जाएगी। इसके बाद इसकी मरम्मत होगी। फिलहाल इस पर पैदल आवाजाही हो रही है। दोपहिया वाहनों के लिए इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। जिस स्थान पर आज लक्ष्मण झूला पुल विद्यमान है, मान्यता है कि वहां पर गंगा पार करने के लिए त्रेता युग में भगवान राम के अनुज लक्ष्मण ने जूट की रस्सियों से सेतु का निर्माण किया था। स्कंद पुराण के केदार खंड के अध्याय 123 के 25वें श्लोक में इस स्थान पर लक्ष्मण कुंड व इंद्र कुंड का वर्णन मिलता है। ऋषिकेश से बदरीनाथ व केदारनाथ धाम जाने का पौराणिक पैदल मार्ग भी यहीं से होकर जाता था। तब यहां जूट की रस्सियों को आर-पार बांधकर छींके की मदद से यात्रियों को गंगा पार उतारा जाता था। 

प्राचीन चारधाम पैदल यात्रा मार्गों की खोज में सक्रिय सामाजिक चिंतक वेदिका वेद बताते हैं कि वर्ष 1889 में बाबा काली कमली वाले के नाम से विख्यात स्वामी विशुद्धानंद की प्रेरणा से कोलकाता के रायबहादुर सेठ सूरजमल तुलस्यान ने यहां 50 हजार की लागत से लोहे के मजबूत रस्सों का 274 फीट लंबा झूला पुल बनवाया था। 

जो अक्टूबर 1924 में गंगा में आई बाढ़ की भेंट चढ़ गया। इसके बाद वर्ष 1927 से 1929 के बीच ब्रिटिश काल में सार्वजनिक निर्माण विभाग ने लक्ष्मण झूला पुल का निर्माण कराया। तब सेठ सूरजमल तुलस्यान के पुत्र रायबहादुर शिव प्रसाद तुलस्यान ने इसके लिए 1.20 लाख की धनराशि दान दी थी। 450 फीट लंबा यह पुल गंगा से 60 फीट की ऊंचाई पर है। इस पुल को 11 अप्रैल 1930 को संयुक्त प्रांत के गवर्नर मेलकम हेली ने जनता को समर्पित किया था। 

छोटे-बड़े पर्दे पर अविस्मरणीय बना लक्ष्मणझूला

गंगा के ऊपर बना यह सस्पेंशन ब्रिज उस दौर में इंजीनियरिंग का अनूठा नमूना था। पुल की खूबसूरती कोजो एक बार निहार लेता, इसका मुरीद हो जाता। यही वजह रही कि तीर्थनगरी की शांत वादियों में स्थित लक्ष्मणझूला पुल ने मायानगरी की चकाचौंध से दूर होते हुए भी फिल्म निर्माताओं को भी अपनी ओर आकर्षित किया। 

बॉलीवुड की दर्जनों फिल्मों व धारावाहिकों का ही नहीं, बल्कि हॉलीवुड ने भी इस पुल पर आकर फिल्मांकन किया। बॉलीवुड की कई सुपरहिट फिल्में गंगा की सौगंध, सौगंध, संन्यासी, नमस्ते लंदन, बंटी और बबली, महाराजा, अर्जुन पंडित, करम, दम लगाके आइसा जैसी फिल्मों के अलावा सीआइडी, भाभीजी घर पर हैं, जैसे धारावाहिकों में इस पुल का आकर्षण अपनी छाप छोड़ चुका है।

अमिताभ बच्चन को यहीं मारा था लंगूर ने थप्पड़

विश्वविख्यात लक्ष्मणझूला पुल लंगूर और बंदरों की भी ठिकाना रहा है। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन जब 70 के दशक में यहां शूटिंग के लिए आए थे तो उन्हें एक लंगूर ने चांटा रसीद कर दिया था। अमिताभ बच्चन ने हाल ही में इस पुल पर बंदरों के साथ फोटो भी ट्वीट की है। 

सन 1978 में फिल्म गंगा की सौगंध की शूटिंग के सिलसिले में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन यहां आए थे। अमिताभ बच्चन पर लक्ष्मण झूला पुल के ऊपर घोड़ा दौड़ाते हुए दृश्य शूट किया गया था। शूटिंग के सिलसिले में सिने अभिनेता अमिताभ बच्चन ने यहां काफी वक्त बिताया। 

इस दौरान उनके साथ एक ऐसा हादसा हुआ जिसे वह आज तक नहीं भूल पाए। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने 18 अक्टूबर 2013 को अपने फेसबुक वॉल पर उस दौर का एक संस्मरण शेयर किया था। उन्होंने बताया कि जब शूटिंग करके वह वापस लौट रहे थे तो लक्ष्मण झूला पुल के समीप एक लंगूर उनकी कार के आगे आ गया। 

वह नीचे उतरे तो लंगूर उनसे कुछ मांगने लगा। अमिताभ बच्चन ने बताया कि उन्होंने कार से चने और केले निकालकर लंगूर को दे दिए। इसी बीच थोड़ी दूरी पर मौजूद दो अन्य लंगूर भी वहां पर आ पहुंचे उन्हें अनदेखा कर जब वह कार में वापस आने लगे तो एक लंगूर ने उन्हें जोरदार थप्पड़ रसीद कर दिया। 

बिग बी अमिताभ बच्चन इसके बाद दिसंबर 2016 में न्यू ईयर मनाने होटल आनंदा नरेंद्र नगर (ऋषिकेश) आए थे। एक जनवरी 2018 को वह एक बार फिर से लक्ष्मणझूला की उन जगहों पर गए जहां उन्होंने कई वर्ष पूर्व गंगा की सौगंध फिल्म की शूटिंग की थी। यहां स्थित बिड़ला हाउस से उन्होंने अपनी पत्नी जया बच्चन के साथ जी भर कर लक्ष्मणझूला पुल के दीदार भी किए थे।

पुल को देखे बिना अधूरी मानते हैं यात्रा

प्रतिवर्ष देश-दुनिया से ऋषिकेश पहुंचने वाले लाखों पर्यटक और यात्री लक्ष्मणझूल पुल को देखे बिना तीर्थनगरी की अपनी यात्रा को अधूरी मानते हैं। यह पुल पर्यटकों के लिए किसी अजूबे से कम नहीं है। यहां पहुंचने वाले पर्यटक यादगार के तौर पर इस पुल के साथ अपनी फोटो जरूर खिंचवाते हैं। आज भी देश-विदेश में रहने वाले लोगों की पुरानी यादों से जुड़ी एलबम में कहीं-न-कहीं लक्ष्मणझूला पुल की फोटो जरूर होगी, जो अब उन्हें इसकी याद दिलाएगी। 

बेरोजगार हो जाएगी छायाकारों की जमात 

लक्ष्मणझूला पुल ने अपने एक सदी के कालखंड में न जाने कितने लोगों को गंगा के एक छोर से दूसरे छोर पर पहुंचाया होगा। यहां लक्ष्मणझूला व तपोवन में एक बड़े वर्ग का व्यापार भी इसी पुल के कारण वर्षों से आबाद है। इस पुल पर करीब एक दर्जन से अधिक छायाकार भी प्रत्यक्ष रूप से रोजगार पाते थे। जो पर्यटकों की फोटो खींचकर और उन्हें डेवलप करने के बाद पर्यटकों के पते पर भेज देते थे। 

लक्ष्मणझूला पुल पर कई दशक तक फोटोग्राफी का काम कर चुके ऋषिकेश निवासी छायाकार अशोक शर्मा बताते हैं कि लक्ष्मणझूला पुल पर फोटो ङ्क्षखचवाने का क्रेज ही अलग होता था। यात्री व पर्यटक यहां से यादों के रूप में फोटो खिंचवाकर जाते थे। डिजिटल दौर के बाद यहां फोटोग्राफी का काम काफी हद तक प्रभावित हो गया था, मगर अब एक दर्जन छायाकारों की जमात को ही दूसरा ठौर तलाशना होगा।

लक्ष्मणझूला पुल पैदल आवाजाही रहेगी जारी

लक्ष्मणझूला पुल बंद करने की सूचना पर स्थानीय नागरिकों में आक्रोश फैल गया। पुल पर बड़ी संख्या में स्थानीय लोग पहुंच गए और धरने पर बैठ गए। लोग सरकार के फैसले के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। देररात को पुलिस की ओर से फिलहाल पुल पर आवागमन पर रोक नहीं लगाने के आश्वासन पर लोग शांत हुए। 

व्यापार मंडल लक्ष्मणझूला, होटल एसोसिएशन, लघु उद्योग व्यापार मंडल ने यह निर्णय लिया कि प्रशासन द्वारा यदि जबरदस्ती पुल बंद किया गया तो उसका पुरजोर विरोध होगा। रात सभी व्यापारी लक्ष्मणझूला पुल पर ही पहरा देंगे। किसी भी कीमत पर पुल बंद नहीं किया जाएगा ना होने दिया जाएगा। कहा कि हम सबकी यह लाइफ लाइन है। यदि यह बंद होता है तो हजारों लोग बेरोजगार हो जाएंगे।

लोगों ने कहा कि कांवड़ मेला से पूर्व ऐसा फरमान बर्दाश्त नहीं होगा। भगवान शिव की कांवड़ यात्रा में व्यवधान नहीं पड़ने देंगे और जो व्यवधान डालेगा उसका पुरजोर विरोध करेंगे। मौके पर अश्वनी गुप्ता, गुरू पाल बत्रा, उदय ङ्क्षसह नेगी, अरङ्क्षवद नेगी, अतर सिंह, ओम प्रकाश, नरेंद्र धाकड़, महेश अग्रवाल आदि लोग मौजूद थे।

पैदल आवाजाही रहेगी जारी 

देररात को मुनिकीरेती थाने के थानाध्यक्ष आरके सकलानी ने धरनास्थल पर कहा कि कांवड़ मेले को देखते हुए फिलहाल पुल को बंद नहीं किया जा रहा है। पुल पर पैदल आवाजाही जारी रहेगी। पुल पर दोपहिया और ठेलियों की आवाजाही रोकने के लिए बेरिकेडिंग लगाए जाएंगे। 

दो दशक तक आखिर क्या करते रहे जिम्मेदार

तपोवन व लक्ष्मणझूला-जौंक के बीच सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्मणझूला पुल को आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया है। मगर, शासन के इस निर्णय ने कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं। पुल का दूसरा कोई विकल्प ना होने की वजह से यहां गंगा की दोनों ओर बसी आबादी सहित यमकेश्वर प्रखंड के लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं, जो अब सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। आखिर इन दो दशकों में जिम्मेदारों का ध्यान लक्ष्मणझूला के विकल्प की ओर क्यों नहीं गया। 

लक्ष्मण झूला पुल का निर्माण वर्ष 1927-39 के बीच ब्रिटिश शासनकाल में किया गया था। अमूमन किसी पुल की उम्र 60 से 70 साल आंकी जाती है। पुराने दौर में जो पुल बनते थे उनमें भारत के घनत्व पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता था। 

अब जिन पुलों का निर्माण किया जाता है उनमें 500 किलोग्राम प्रति स्क्वायर मीटर क्षमता का डिजाइन तैयार किया जाता है। लक्ष्मण झूला पुल भी क्षमता के अनुकूल नहीं है। यह पुल करीब दो दशक पूर्व अपनी उम्र पूरी कर चुका था। मगर अब तक शासन प्रशासन ने इसके विकल्प की ओर कोई ध्यान नहीं दिया।

अब जब विशेषज्ञों की रिपोर्ट में यह पुल खतरनाक घोषित किया जा चुका है तो अचानक इस पुल को बंद कर दिया गया है। लक्ष्मणझूला पुल पर आवागमन बंद होने से सीधे तौर पर लक्ष्मणझूला, जौंक व तपोवन क्षेत्र की जनता प्रभावित होगी। यमकेश्वर प्रखंड की लाखों की आबादी भी इस पुल पर आश्रित है। 

चूंकी इस पुल के दूसरी ओर टैक्सी स्टैंड है, जहां से नीलकंठ सहित यमकेश्वर प्रखंड के विभिन्न गांव को वाहन संचालित होते हैं। इतना ही नहीं लक्ष्मणझूला जौंक क्षेत्र से प्रतिदिन सैकड़ों छात्र इस पुल को पार कर तपोवन, ऋषिकेश क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने आते हैं। यहां का व्यवसाय भी पूरी तरह से इस पुल पर ही आधारित है। वर्तमान में इस पुल पर पैदल और दोपहिया वाहन ही संचालित होते थे। 

मगर अब पुल बंद होने के कारण विकल्प के रूप में यहां से पांच किलोमीटर दूर गरुड़चट्टी पुल व ढाई किलोमीटर दूर रामझूला पुल ही बचे हैं। स्थानीय लोगों का सवाल यही है कि 90 वर्ष पुराने इस पुल का अभी तक कोई विकल्प तैयार क्यों नहीं किया गया। अचानक पुल को बंद करने का निर्णय उचित नहीं है।

13 वर्ष में भी नहीं बन पाया जानकी सेतु

गंगा पर बने लक्ष्मणझूला व रामझूला सेतु के विकल्प के रूप में मुनिकीरेती और वेद निकेतन के बीच जानकी सेतु का निर्माण किया जा रहा है। मगर इस पुल का निर्माण कार्य कछुआ गति से चल रहा है। लक्ष्मणझूला पुल का निर्माण 90 वर्ष पूर्व सार्वजनिक निर्माण विभाग के ने मात्र दो वर्ष की अवधि में पूरा कर लिया था। मगर, जानकी सेतु के निर्माण में 13 वर्ष का समय पूरा हो चुका है और अभी तक फुल तैयार नहीं हो पाया। जानकी सेतु की लागत तीन करोड़ से बढ़कर 51 करोड़ हो गई है, ऐसे में सरकारी मशीनरी की हालत का आंकलन किया जा सकता है।

दिसंबर 2006 में जानकी सेतु के निर्माण के लिए तीन करोड़ की लागत आंकी गई थी। इसके लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने चार लाख रुपये की टोकन मनी भी जारी कर दी थी। इसके बाद जानकी सेतु में मोटर पुल की संभावनाएं को देखते हुए इसका डिजाइन तीन लेन में बदला गया। इस प्रक्रिया में छह वर्ष का समय लग गया। 2012 में इस पुल के निर्माण के लिए फिर से शासनादेश जारी किया गया। कार्य की धीमी रफ्तार के कारण पुल का काम पूरा नहीं हुआ और कार्यदायी संस्था से काम छीन लिया गया। 

10 फरवरी 2014 को फिर से जानकी सेतु का निर्माण शुरू किया गया। इसको पूरा करने के लिए 31 मार्च 2016 की अवधि तय की गई। मगर, भुगतान न होने के कारण दूसरी कार्यदायी संस्था ने फिर से काम रोक दिया। इस बीच फिर से फुल के डिजाइन को बदला गया। पुल का जो स्पान पहले 309.40 मीटर था वह अब 346 मीटर कर दिया गया है। 

वर्तमान में हिलवेज कंस्ट्रक्शन कंपनी इस पुल का निर्माण कर रही है और अब इसका रिवाइज एस्टिमेट 50.79 करोड़ रुपये हो चुका है। जिसमें 11 दिसंबर 2018 को वित्त समिति ने इसे फिर से रिवाइज कर 49 करोड़ की मंजूरी प्रदान करते हुए काम शुरू करवाया है। अब जानकी सेतु के निर्माण के लिए इस वर्ष के दिसंबर माह का समय नियत किया गया है। जानकी सेतु का निर्माण हो भी जाता है तो यह सेतु रामझूला सेतु के भार को कम करेगा, मगर लक्ष्मणझूला सेतु का विकल्प नहीं बन पाएगा।

कभी लक्ष्मणझूला सेतु पर चलती थी मोटर 

शुरूआती दौर में कभी लक्ष्मणझूला पुल पर मोटर भी चला करती थी। हालांकि इस पुल को सिर्फ पैदल पुल व दोपहिया के लिए ही बनाया गया था। मगर, ट्रायल के लिए इस पुल पर एंबेसडर कार को भी दौड़ाया गया था। कई पुराने लोग इस बात का जिक्र करते हैं। हालांकि बाद में पुल के दोनों छोरों पर लोहे के गार्डर लगाए गए, ताकि कोई यहां चौपहिया वाहन न ले जाए। 

कुंभ 2016 में लक्ष्मणझूला व रामझूला पुलों को तिरंगे रंग से रंगा गया, जिसने इन पुलों को और भी आकर्षित बना दिया। दो वर्ष पूर्व ही लक्ष्मणझूला व रामझूला पुलों का सौंदर्यीकरण कर इन पुलों पर फास्ड लाइटें लगाई गई, जिससे यह पुल और भी जगमग हो गए।

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