लकड़ी का कच्चा पुल बहने से दुर्गम हुई उर्गम घाटी की राह, पढ़िए पूरी खबर
चमोली में बरसात शुरू होते ही कल्प गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और श्रमदान कर नदी पर बनाया गया लकड़ी का कच्चा पुल भी बह चुका है। जिससे ग्रामीणों को परेशानी हो रही है।
जोशीमठ, रणजीत सिंह रावत। कल्प गंगा नदी पर छह वर्ष बाद भी पुल का निर्माण न होने से चमोली जिले की उर्गम घाटी के भेटा, भर्की, पिलखी, गवाणा, आरोशी आदि गांवों की मुसीबतें बढ़ गई हैं। बरसात शुरू होते ही कल्प गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और श्रमदान कर नदी पर बनाया गया लकड़ी का कच्चा पुल भी बह चुका है। जिससे ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ रही है। वह भी तब, जब बीते दिनों एक ग्रामीण की नदी के उफान में बहने से मौत हो चुकी है।
बदरीनाथ हाईवे पर हेलंग से तीन किमी दूर कल्प गंगा नदी पर खवाला में बना पुल वर्ष 2013 में आई आपदा की भेंट चढ़ गया था। वर्ष 2014 में यहां 48 मीटर लंबे स्टील गार्डर पुल के निर्माण की मंजूरी मिली और इसके लिए दो करोड़ की धनराशि भी स्वीकृत कर ली गई। लेकिन, कार्यदायी संस्था लोनिवि की लापरवाही के चलते अभी तक पुल निमार्ण का कार्य पूरा नहीं हो सका। इस अवधि में सिर्फ पुल के स्पान ही बन पाए हैं। यही नहीं, यहां पर ग्रामीणों द्वारा श्रमदान कर बनाया गया लकड़ी का कामचलाऊ पुल भी बीते दिनों नदी के उफान में समा चुका है।
स्थानीय ग्रामीण लक्ष्मण सिंह नेगी, बलवीर सिंह नेगी, रघुबीर सिंह नेगी व उजागर सिंह फस्र्वाण बताते हैं कि वह वर्ष 2013 से ही पुल के लिए लगातार आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन, किसी भी स्तर पर उनकी सुनवाई नहीं हो रही। नतीजा, बरसात शुरू होते ही क्षेत्र की 3000 की आबादी की आंखों में खौफ तैरने लगता है। लोनिवि के अधिशासी अभियंता डीएस रावत कहते हैं कि पुल का निर्माण बीएडीपी (बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट प्लान) के तहत हो रहा है। इसके लिए केंद्र सरकार से 70 प्रतिशत धनराशि अवमुक्त हो चुकी है। अब जिला योजना से 45 लाख की धनराशि मांगी गई है। बताया कि पुल को जोडऩे का काम शुरू हो चुका है और एक माह के भीतर पुल बनकर तैयार हो जाएगा।
पंचम केदार कल्पेश्वर की राह भी अवरुद्ध
आपदा के बाद से कल्प गंगा पर बनाए गए लकड़ी के कच्चे पुल से ही यात्री पंचम केदार कल्पेश्वर धाम भी पहुंचते हैं। लेकिन, हर बरसात यह पुल बह जाता है। इस बार भी पुल के बह जाने से यात्री आगे बढ़ने का साहस नहीं जुटा पा रहे। विदित हो कि कल्पेश्वर धाम का भी केदारनाथ धाम सरीखा ही माहात्म्य है। यहां भगवान शिव जटा रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं।
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