ऋषिकेश में अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव की धूम, साधक सीख रहे सफल जीवन के सूत्र..., पढ़ें खबर

अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के चलते तीर्थनगरी में विश्व के कोने-कोने से योग साधकों का जमावड़ा लगा है। गंगा के निर्मल प्रवाह के साथ दोनों छोरों पर योग ज्ञान की सरिता भी हिलोरे ले रही है।

By sunil negiEdited By: Publish:Sun, 06 Mar 2016 10:14 AM (IST) Updated:Mon, 07 Mar 2016 09:27 AM (IST)
ऋषिकेश में अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव की धूम, साधक सीख रहे सफल जीवन के सूत्र..., पढ़ें खबर

ऋषिकेश (देहरादून)। अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के चलते तीर्थनगरी में विश्व के कोने-कोने से योग साधकों का जमावड़ा लगा है। गंगा के निर्मल प्रवाह के साथ दोनों छोरों पर योग ज्ञान की सरिता भी हिलोरे ले रही है।
उत्तराखंड पर्यटन विभाग, परमार्थ निकेतन और गढ़वाल मंडल विकास निगम के संयुक्त सहयोग से आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के पांचवें दिन परमार्थ निकेतन परिसर में पांच अलग-अलग स्थानों पर चली योग कक्षाओं में योग शिक्षकों ने साधकों को सफल व सार्थक जीवन के सूत्र सिखाए।

प्रात: चार बजे गंगा तट पर कुंडलिनी साधना के साथ योग कक्षाएं शुरू हुई। सुखमंदिर सिंह खालसा ने प्रेम और प्राणायाम एवं नाद विषय पर साधकों को कुंडलिनी योग का अभ्यास कराया। अमेरिका की एरिका काफमैन ने लिली सूर्य नमस्कार, टोमी रोजेन ने दिव्य आवृत्ति की ओर गमन, जापान के अकिरा वातामोता ने बंधाज एवं लाक और दक्षिण अफ्रीका की भाविनी काला कुंडिलीनी नमस्कारम प्रवाह की जानकारी दी।

वहीं मध्यकालीन सत्र में साधना, आसन के माध्यम से गंगा योग, प्राणायाम व मंत्र की कक्षाएं अमेरिका की लौरा प्लंब द्वारा संचालित की गई। डॉ. एचएस अरुण ने वासना, भावनाओं एवं अहं पर नियंत्रण विषयों पर साधकों का मार्गदर्शन किया। अयंगर योग के शिक्षक भरत शेट्टी ने इंडिया विन्यास योग का अभ्यास कराया। जबकि कैलिफोर्निया अमेरिका के सोल डेविड राये ने अर्द्ध-प्रेयर का अभ्यास कराया। दूसरी ओर वैद्य बालेंदु प्रकाश ने आयुर्वेद पर चर्चा की। विजय आनंद ने कुंडलिनी योग, मर्ट गूलर ने रूमी लव मेडीटेशन, आनंद्रा जार्ज ने मधुर मंत्रोच्चार और साध्वी भगवाती ने गंगा फ्लो मेडिटेशन की कक्षाएं ली।

अमेरिकी राजदूत ने की योग साधकों से मुलाकात

शनिवार को अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा ने परमार्थ निकेतन में चल रहे अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में शामिल होकर योग जिज्ञासुओं से भेंट की। परमार्थ गंगा घाट पर सांध्यकालीन गंगा आरती में शामिल होकर उन्होंने योग साधकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मानव जीवन परमात्मा की सबसे बड़ी देन है। लिहाजा इस जीवन को उत्कृष्ठ ढंग से जीने की कला सीखना सबसे बड़ा धर्म है। श्रेष्ठ जीवन जीने के लिए योग सबसे बढिय़ा जरिया है। उन्होंने परमार्थ निकेतन के सृजनशील व रचनात्मक कार्यों की सरहना करते हुए पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों में संचेना जागृत करने के परमार्थ निकेतन के अभियान में शामिल होने का आह्वान किया।

गंगा हमें उदारता सिखाती है: स्वामी चिदानंद
अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के पांचवें दिन बौद्धिक कक्षा में परमर्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदांनद सरस्वती मुनि महाराज ने कहा कि गंगा हमें हृदय की उदारता सिखाती है। वह हमारे अतीती को पवित्र कर आत्मा को शुद्ध करती है। 'प्रेम योग' विषय पर विचार रखते हुए साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि जब हम हृदय की गहराई से प्रेम करते हैं तो वास्तव में हम ईश्वर से ही प्रेम करते हैं। भले ही हमारा प्रेम बच्चे, माता-पिता, पति-पत्नी अथवा मित्र के प्रति हो। दिव्यता हमारे जीवन का सार है। यदि हमारा प्रेम केवल शरीर से है तो वास्तव में वह कामुकता है। ऋषिकेश के आनंद मेहरोत्रा ने 'ओपनिंग द एक्सटेरिका गेट्स टू हर्ट' विषय पर जानकारी दी। मैगनीफिसेंट ग्रेस विषय पर गुरुमुख कौर खालसा ने कुंडलिनी योग का अभ्यास कराया। स्कॉन संस्था के राधानाथ स्वामी ने 'योग ऑफ लव एंड भक्ति' विषय पर चर्चा करते हुए श्रीमद भागवत गीता के दृष्टांत प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि भक्ति का अभ्यास तथा ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण भाव से किया गया प्रेम योग का सर्वोत्तम मार्ग है।

खानपान की अनियमितता से बढ़ रहा मधुमेह
अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के तहत गढ़वाल मंडल विकास निगम के गंगा रिसोर्ट मुनिकीरेती में आयोजित कार्यक्रमों के तहत योगाचार्यों ने योग क्रियाओं के जरिए मधुमेह पर नियंत्रण की जानकारी दी। कृष्णमाचारी योग मंदिरम चेन्नई के योगाचार्य अरुण, नृत्य व गीता शंकर ने प्रात:कालीन कक्षाओं में साधकों को मधुमेह कम करने के प्राणायामों का अभ्यास करवाया। उन्होंने कहा कि भारत में मधुमेह की स्थिति बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। इसका सबसे बड़ा कारण खान-पान की अनियमितता है।

खान-पान की वर्तमान स्थिति से टाइप-2 मधुमेह की स्थिति भयावह है। मधुमेह में मानसिक तनाव और चिंताओं का शरीर पर ऋणात्मक प्रभाव पड़ता है। जिस पर नियंत्रण मात्र योग से ही हो सकता है। डॉ. राज्यलक्ष्मी ने योगासन व प्राणायाम के बारे में बताया कि उत्तराखंड की जलवायु योग के लिए सबसे उत्तम है। स्वामी दयानंद सरस्वती के शिष्य योगाचार्य स्वामी चेतनानंद ने वेदांत में उल्लखित त्रिकारा पद्धति को पूर्व, वर्तमान व भविष्य संबंध से अवगत कराया। इस मौके पर जिलाधिकारी टिहरी नीरज ज्योति खैरवाल ने भी योग कक्षा में शिरकत की।
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