जीएसटी परिषद की बैठक में उठा राजस्व हानि का मुद्दा

वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने जीएसटी परिषद की बैठक में जीएसटी के संरचनात्मक कारणों से उत्तराखंड को हो रही राजस्व हानि का मुद्दा पुरजोर तरीके से उठाया।

By Edited By: Publish:Sun, 23 Dec 2018 03:00 AM (IST) Updated:Sun, 23 Dec 2018 07:34 PM (IST)
जीएसटी परिषद की बैठक में उठा राजस्व हानि का मुद्दा
जीएसटी परिषद की बैठक में उठा राजस्व हानि का मुद्दा
देहरादून, राज्य ब्यूरो: वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने नई दिल्ली में जीएसटी परिषद की 31वीं बैठक में जीएसटी के संरचनात्मक कारणों से उत्तराखंड को हो रही राजस्व हानि का मुद्दा पुरजोर तरीके से रखा। उन्होंने सरकारी विभागों में कार्य करने वाले संविदाकारों को बिल भुगतान में हो रही परेशानी दूर करने की पैरवी की। उन्होंने प्राकृतिक आपदा को लेकर एनडीआरएफ के मानकों में परिवर्तन करने की मांग भी की। 
बैठक में वित्त मंत्री प्रकाश पंत और आयुक्त कर सौजन्या ने आम जनता की ओर से उपभोग में लाए जाने वाले 100 रुपये प्रति किलो तक सस्ते बिस्किट पर कर की दर को पांच फीसद किए जाने का अनुरोध भी किया। वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी के चलते राज्य को केंद्रीय बिक्री व स्टॉक ट्रांसफर पर आइटीसी रिवर्सल से कुल राजस्व का 34.5 फीसद प्राप्त होता था, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर राजस्व की यह प्राप्ति मात्र आठ फीसद थी। इससे राज्य के राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। 
उन्होंने उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्जा होने के चलते जीएसटी संरचना से हो रही राजस्व हानि की भरपाई करने का अनुरोध किया। उन्होंने जीएसटी लागू होने से राज्य को होने वाली हानि की भरपाई के लिए परिषद को अपनी सिफारिशें 15वें वित्त आयोग को भेजने की पुरजोर पैरवी की। 
वित्त मंत्री ने कहा कि संविदाकारों को बिल जारी करने के बाद कई माह तक उक्त बिल का भुगतान नहीं हो पाता है। इस कारण उन्हें खुद अपने साधनों से कर जमा करना पड़ता है या देरी से रिटर्न व कर जमा करने पर विलंब शुल्क और ब्याज का अतिरिक्त भार वहन करना पड़ता है। सरकारी विभागों में कार्य करने वाले संविदाकारों के संबंध में आपूर्ति का समय भुगतान प्राप्ति के समय से किए जाने पर सभी संविदाकारों की उक्त कठिनाइयों का निवारण हो सकेगा। 
वैट प्रणाली की भांति जीएसटी के तहत भी समाधान योजना का लाभ संविदाकारों को देने का तर्क रखा। इससे छोटे संविदाकार लाभान्वित हो सकेंगे। उन्होंने आपदा की दशा में एनडीआरएफ के माध्यम से प्राप्त होने वाली धनराशि के पुनर्वास व पुनर्निर्माण कार्यो के लिए न होकर तात्कालिक प्रवृत्ति के होने के कारण एनडीआरएफ के मानकों में परिवर्तन करने की मांग की गई। 
उन्होंने आपदा की दशा में संसाधन सृजित करने को माल और सेवा कर की दर में अधिकतम एक फीसद वृद्धि करने की पैरवी भी की। राज्य विशिष्ट आपदा उपकर लगाने की स्थिति में उक्त उपकर को विशेष माल और सेवाओं तक सीमित तक सीमित न कर समस्त माल और सेवाओं पर अधिरोपित करने पर जोर दिया। उन्होंने आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के प्रावधानों व वित्त आयोग की सिफारिशों के बीच सामंजस्य स्थापित करने की मांग भी की।
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