भागीरथी इको सेंसेटिव जोन में सरकार ने मांगा हक

राज्य की ओर से भागीरथी इको सेंसेटिव जोन का जोनल मास्टर प्लान तैयार कर केंद्र को भेजा गया था, जिसमें कई रियायतें मांगी गईं।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Mon, 20 Nov 2017 10:48 PM (IST) Updated:Tue, 21 Nov 2017 03:47 AM (IST)
भागीरथी इको सेंसेटिव जोन में सरकार ने मांगा हक
भागीरथी इको सेंसेटिव जोन में सरकार ने मांगा हक

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: भागीरथी इको सेंसेटिव जोन ने राज्य सरकार की पेशानी पर बल डाले हुए हैं। जहां 10 जलविद्युत परियोजनाएं अधर में लटकी हैं तो पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ऑल वेदर रोड के साथ ही कई सड़कों की फॉरेस्ट क्लीयरेंस नहीं हो पा रही। यही नहीं, खनन पर पूरी तरह प्रतिबंध भी भारी पड़ रहा है। एनजीटी के निर्देश पर गठित भागीरथी जोनल मास्टर प्लान की एक्सपर्ट कमेटी की सोमवार को हुई पहली बैठक में सरकार की ओर से यह चिंता कमेटी के समक्ष रखी गईं। साथ ही आग्रह किया कि इन मामलों में राज्य को राहत प्रदान की जाए।

राज्य की ओर से भागीरथी इको सेंसेटिव जोन का जोनल मास्टर प्लान तैयार कर केंद्र को भेजा गया था, जिसमें कई रियायतें मांगी गईं। इस बीच नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) में यह मामला पहुंचने पर एनजीटी ने जुलाई में एक्सपर्ट कमेटी गठित कर उसे जोनल मास्टर प्लान का अध्ययन करने को कहा था। कमेटी की बैठक पहले 24 अक्टूबर को होनी थी, लेकिन तब यह नहीं हो पाई। सोमवार को सचिवालय में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में यह बैठक हुई।

प्रभारी सचिव वन अरविंद ह्यांकी के मुताबिक राज्य की ओर से कमेटी के समक्ष पक्ष रखा गया कि भागीरथी इको सेंसेटिव जोन के नोटिफिकेशन से पहले वहां 25-25 मेगावाट की 10 जलविद्युत परियोजनाएं स्वीकृत थीं। कहा गया कि एनजीटी जैसा भी डिजाइन अथवा बिंदु रखेगी, उसी के अनुरूप कार्य होगा, लेकिन इन परियोजनाओं के निर्माण की अनुमति दी जाए।

यह भी बताया गया कि सेंसेटिव जोन में ऑल वेदर रोड परियोजना के भूमि हस्तांतरण के मद्देनजर क्लीयरेंस नहीं हो पा रही। साथ ही सीमांत क्षेत्र में बीआरओ समेत अन्य एजेंसियां सड़कों का निर्माण नहीं कर पा रहीं। वह भी तब जबकि, वहां सड़कों का निर्माण होना जरूरी है। कहा गया कि इस क्षेत्र में सड़कों के निर्माण के साथ ही इनके स्लोप में हिमाचल की भांति राज्य को छूट मिलनी चाहिए। कमेटी को अवगत कराया गया कि इस क्षेत्र में खनन पर पूरी तरह प्रतिबंध है, जिससे निर्माण कार्यों की लागत में भारी इजाफा हो रहा है। कहा गया कि नदियों का तल अधिक न उठे, इसके लिए इनके किनारे खनन जरूरी है। इसके लिए एक लिमिट तक छूट दी जा सकती है।

बताया गया कि कमेटी ने सभी पक्षों को गंभीरता से सुना और राज्य की चिंता समेत अन्य सभी पहलुओं का गहनता से अध्ययन करने की बात कही। कमेटी की अगली बैठक नौ दिसंबर को आयोजित करने का निर्णय लिया गया। बताया गया कि कमेटी अपनी रिपोर्ट एनजीटी को देगी और फिर इसके बाद ही कुछ राहत मिलने की संभावना है।

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