शासन ने फेंकी वार्ता की गुगली, महासंघ हुआ सतर्क

शासन ने आंदोलन से पहले ही राज्य निगम कर्मचारी और अधिकारी महासंघ को बातचीत के लिए बुलाया है। जिसपर महासंघ सतर्क हो गया है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Sat, 19 Jan 2019 03:41 PM (IST) Updated:Sat, 19 Jan 2019 03:41 PM (IST)
शासन ने फेंकी वार्ता की गुगली, महासंघ हुआ सतर्क
शासन ने फेंकी वार्ता की गुगली, महासंघ हुआ सतर्क

देहरादून, जेएनएन। राज्य निगम कर्मचारी और अधिकारी महासंघ की ओर से 22 जनवरी से शुरू होने वाले आंदोलन को थामने के लिए शासन के अधिकारी सक्रिय हो गए हैं। आंदोलन की तिथि नजदीक आते ही शासन ने महासंघ को वार्ता की मेज पर आने का निमंत्रण भेज दिया है। लेकिन, महासंघ ने साफ कहा कि अगर बैठक विफल रही तो वह अगले कुछ दिनों के भीतर बड़ा आंदोलन शुरू करेंगे। 

राज्य निगम कर्मचारी और अधिकारी महासंघ के अध्यक्ष दिनेश गुसाईं ने बताया कि महासंघ 11 सूत्रीय मांगों को लेकर संघर्षरत है। कहा कि उन्होंने सरकार को 21 जनवरी तक का अल्टीमेटम दिया था और 22 जनवरी से आंदोलन होना था। लेकिन, आंदोलन से पहले ही शासन ने उन्हें वार्ता के लिए आमंत्रण भेजा है। गुसाईं ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वार्ता में निगम के कर्मचारी और अधिकारियों के हितों में निर्णय होगा। 

गुसाईं ने कहा कि पिछले वर्ष भी मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में त्रिपक्षीय बैठक हुई थी, जिसमें 10 बिंदुओं पर विचार करने का आश्वासन दिया था। लेकिन, अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे कर्मचारी-अधिकारियों में गुस्सा है। कहा कि वार्ता विफल रहने पर एक-दो दिन के भीतर आंदोलन की रूपरेखा सार्वजनिक की जाएगी। 

ये हैं मांगें 

- सातवें वेतन आयोग के तहत एक जनवरी 2016 से शेष वेतन व एरियर का भुगतान। 

- एक समान कार्य करने वाले निगम-संस्थानों का एकीकरण एवं राजकीयकरण। 

- परिवहन निगम का 80 करोड़ का बकाया अवमुक्त हो। प्राइवेट ऑपरेटरों को जारी परमिट निरस्त हों। 

- सार्वजनिक निगमों में एक समान पेंशन व्यवस्था लागू की जाए। 

- एमएसीपी व्यवस्था में चरित्र पंजिका में अतिउत्तम व उससे भी ऊपर की श्रेणी की बाध्यता समाप्त हो। 

- निगमों के सेवारत एवं सेवानिवृत्त कार्मिकों को आयुष्मान योजना में पूर्व की भांति उपचार सुविधा मिले। 

- आउटसोर्स, संविदा, उपनल, दैनिक कर्मचारियों का नियमितीकरण किया जाए। 

- परिवहन निगम में संविदा पर भर्ती किए 424 परिचालकों पर लगी रोक को हटाएं। 

- सभी निगमों में सातवें वेतन के अनुसार ग्रच्युटी की अधिकतम राशि 20 लाख लागू हो। 

-एसीपी को यथावत जारी रखा जाए। 

महासंघ में ये निगम हैं शामिल 

परिवहन, चिकित्सा, वन विकास निगम, पेयजल संसाधन निगम, जीएमवीएन और केएमवीएन, ब्रिडकुल, बहुद्देशीय वित्त विकास निगम, उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन, उत्तराखंड जल विद्युत निगम के अधिकारी-कर्मचारी शामिल हैं। 

सचिवालय संघ के साथ हक की लड़ाई लड़ेगा संयुक्त मोर्चा 

उत्तराखंड कार्मिक, शिक्षक, आउटसोर्स संयुक्त मोर्चा ने सचिवालय संघ से हाथ मिला लिया है। इसकी औपचारिक घोषणा 22 जनवरी को होने वाली बैठक में की गई जाएगी। मोर्चा ने निर्णय लिया कि आंदोलन से पहले मुख्यमंत्री से मुलाकात की जाएगी और उन्हें पूर्व में किए गए वायदे की याद दिलाई जाएगी। 

आवास भत्ता, पेंशन, एसीपी, पदोन्नति, ट्रांसफर आदि मांगों को लेकर प्रदेश के कर्मचारी-अधिकारी आंदोलनरत हैं। हाल ही में सचिवालय संघ ने सभी संगठनों और संघों को एक मंच पर आकर लड़ाई लड़ने का न्योता दिया। सचिवालय संघ की पहल के समर्थन में संयुक्त मोर्चा ने शुक्रवार को बैठक कर निर्णय लिया कि वह कर्मचारियों की लड़ाई में संघ के साथ है। मोर्चा के मुख्य संयोजक ठाकुर प्रहलाद सिंह ने कहा कि शिक्षक, कर्मचारी और आउटसोर्स की सभी समस्याओं को तैयार किया जाएगा।

इसके लिए 22 जनवरी को मोर्चा ने बैठक बुलाई है। बैठक में रणनीति भी तय की जाएगी। उन्होंने कहा कि मोर्चा, मंच और संघ के एकजुट होने से कर्मचारियों की समस्याएं जल्द निस्तारित होंगी। इधर, मोर्चा ने कर्मचारी नेता रवि पचौरी के निधन के बाद खाली चल रहे संयोजक सचिव पद की जिम्मेदारी संतोष रावत को दी है। 

उन्होंने रावत से उम्मीद जताई कि जिस तरह से वह कार्मिकों के हित की लड़ाई लड़ रहे थे, उसी तर्ज पर यहां भी कर्मचारियों की लड़ाई लड़ेंगे। बैठक में गजेंद्र कपिल, नंदकिशोर त्रिपाठी, राकेश प्रसाद, अनिल बांगा, आरएस बिष्ट, गुड्डी मटूड़ा, ओमवीर सिंह, आभा गौड़, बनवारी सिंह रावत, रमेश चंद्र, भोला जोशी, एसपी राणाकोटी, शक्ति प्रसाद भट्ट आदि मौजूद रहे। 

चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने तानीं मुट्ठियां 

स्वास्थ्य विभाग के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने अपनी लंबित मांगों को लेकर मोर्चा खोल दिया है। उनका कहना है कि विभाग उनकी मांगों को संजीदगी से नहीं ले रहा। यहां तक कि सेवानिवृत्त कर्मियों के भुगतान के मामले भी अटके हुए हैं। यही स्थिति रही तो उन्हें अब आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा। 

चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी संघ, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेवाएं के जिलाध्यक्ष नेलशन कुमार अरोड़ा के नेतृत्व में कर्मचारी मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में एकत्र हुए। उन्होंने नारेबाजी कर प्रदर्शन किया। अरोड़ा ने कहा कि रिटायर्ड कर्मियों का बकाया भुगतान एवं कर्मचारियों को समय पर वेतन न मिलने की वजह से उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है। 

तमाम मांगों को लेकर अफसरों से कई बार मुलाकात की गई, पत्र लिखा गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। जल्द मांगें पूरी न होने पर आंदोलन किया जाएगा। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसकेगुप्ता ने उन्हें जल्द कार्रवाई का भरोसा दिलाया। इस दौरान त्रिभुवन पाल, नवीन कुमार शर्मा, नवनीत चंदोला, दिनेश, सतीश कनौजिया, विशंबर, नवीन नवानी, बिरेंदर, तारा, रेनू, सुलोचना और सुमित्रा आदि मौजूद रहे। 

ये हैं मांगें 

- सेवानिवृत्त कर्मचारियों के बकाया भुगतान तत्काल दिए जाए। वर्तमान कर्मचारी जो रिटायरमेंट की कगार पर हैं, उनके भुगतान की व्यवस्था अभी से की जाए। आयकर विभाग द्वारा अधिष्ठान की 2661 का आयकर विभाग द्वारा लगाई गई रोक से वेतन समय पर न मिल पाने का समाधान कराया जाए। समय से वेतन जारी करने को लेकर महानिदेशालय पर वार्ता की जाए। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को मौसम के हिसाब से वर्दी दी जाए। सेवानिवृत्त कर्मियों की पेंशन का निर्धारण सातवें वेतन आयोग द्वारा की गई संस्तुतियों के आधार पर कार्यालय अध्यक्ष द्वारा ऑनलाइन किए जाने को निर्देशित किया जाए। 

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