ट्रेड यूनियनों के हड़ताल से दूसरे दिन भी आमजन रहे परेशान
ट्रेड यूनियनों की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही। हड़ताल के दौरान बैंक, बीमा और आयकर, डाक में कामकाज ठप रहने के कारण आमजन को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।
देहरादून, जेएनएन। केंद्र सरकार के श्रम विरोधी नीतियों के विरोध में ट्रेड यूनियनों की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही। हड़ताल के दौरान बैंक, बीमा और आयकर, डाक में कामकाज ठप रहने के कारण आमजन को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। अन्य विभागों में हड़ताल का मिला-जुला असर रहा। हड़ताल के दूसरे दिन भी ट्रेड यूनियनों से गांधी पार्क से रैली निकालकर सभा आयोजित की और केंद्र के श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ आक्रोश व्याप्त किया।
न्यूनतम वेतन 18 हजार किए जाने, श्रम कानूनों में बदलाव सहित केंद्र सरकार की विभिन्न श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन्स की ओर से दो दिवसीय हड़ताल की घोषणा की थी। हड़ताल में उत्तराखंड के ट्रेड यूनियनों सीट, एटक, इंटक, बैंक इंप्लाइज यूनियन, आशा वर्कर, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों, चाय बागान मजदूर संघ, एलआइसी, आदि संगठनों ने प्रतिभाग किया। हड़ताल के दौरान बैंक दूसरे दिन भी पूरी तरह से बंद रहे। जिससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। आयकर, बीमा, डाक सेवाएं भी बाधित होने के कारण लोगों को काम के लिए भटकना पड़ा।
दून में ट्रेड यूनियनों ने गांधी पार्क में एकत्रित होकर रैली निकाली और इसके बाद सभा आयोजित की। सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि ट्रेड यूनियनों की दो दिनी हड़ताल पूरी तरह से सफल रही। कहा कि केंद्र सरकार लगातार श्रमिकों का शोषण करने पर तुली हुई है। लगातार श्रमिक विरोधी नीतियां जारी की जा रही है। सामरिक महत्व के रक्षा संस्थानों सहित अन्य संस्थानों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी की जा रही है। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार से श्रम विरोधी नीतियों को बदलने की मांग की।
इस अवसर पर वीरेंद्र भंडारी, शमर भंडारी, राजेंद्र सिंह, लेखराज,जगमोहन मेंहदी रत्ता, एपी अमोली, अशोक शर्मा, महावीर शर्मा, शिवा दुबे, मोनिका, नीलेश, सुनीता, हिमांशु चौहान, मामचंद, अनंत आकाश, लेखराज आदि मौजूद थे।
दूसरे दिन भी हड़ताल में रहे बैंक कर्मी, गुरुवार को खुलेंगे बैंक
देहरादून समेत प्रदेशभर में बैंककर्मी दूसरे दिन भी दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शामिल हुए। बुधवार को भी बैंकों में ताले लटके रहे और लेन-देन समेत अन्य कामकाज ठप रहा। इन दो दिनों में प्रदेशभर में बैंकों में करीब एक हजार करोड़ से ज्यादा रुपये का लेन-देन प्रभावित होने का अनुमान है। वहीं, दो दिन की हड़ताल के बाद गुरुवार को बैंक खुलेंगे।
बुधवार को उत्तरांचल बैंक इंप्लाइज यूनियन के बैनर तले बैंक अधिकारी-कर्मचारियों ने गांधी पार्क के बाहर धरना-प्रदर्शन कर केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ आक्रोश जताया। यूनियन के महामंत्री जगमोहन मेंदीरत्ता ने कहा कि बैंकों का निजीकरण देश की अर्थव्यवस्था के लिए घातक है। लेकिन, केंद्र सरकार यह समझने को तैयार नहीं। कहा कि सरकार इसके पीछे सरकारी बैंकों में बढ़ रहे एनपीए को कम करने का प्रयास बता रही, लेकिन पिछले महीनों एसबीआइ में कई बैंकों का विलय करने के बाद भी स्थिति में सुधार न आना, इस निर्णय की विफलता का प्रमाण है। उन्होंने नए बैंककर्मियों के लिए पुरानी पेंशन योजना की बहाली समेत कई अन्य मांगें भी दोहराई। प्रदर्शन में एआइबीईए से रघुवीर बिष्ट, अनिल जैन, सीके जोशी, विनय शर्मा, एलएम बडोनी समेत कई अन्य पदाधिकारी शामिल रहे।
दो दिन से जनता रही परेशान
हड़ताल के कारण दो दिन बैंक बंद रहने से उपभोक्ता परेशान रहे। वहीं, डाकघरों में भी अधिकांश कार्य बाधित रहा। इससे लेन-देन संबंधी कार्य न होने से लोगों के कई काम अटक गए।
एटीएम में दूर होगा नकदी संकट
बैंकों की हड़ताल के कारण दो दिन से खाली पड़े एटीएम में नकदी नहीं डाली जा सकी। इससे लोगों को नकदी संकट से दो-चार होना पड़ा। अब गुरुवार को एटीएम खुलने के बाद एटीएम में भी नकदी का संकट दूर होगा।डाककर्मियों के साथ बैंककर्मियों ने भरी हुंकार
गांधी पार्क से बैंककर्मी जुलूस की शक्ल में घंटाघर स्थित जीपीओ पहुंचे और यहां धरना दे रहे डाककर्मियों को समर्थन दिया। अखिल डाक कर्मचारी संघ के प्रांतीय सचिव आरपी उनियाल ने कहा कि सभी संवर्गों में शीघ्र भर्ती, सीएसआइ एवं आरआइसीटी संबंधी समस्याओं का निस्तारण, जीडीएस-नियमित कर्मियों को प्रमाण-पत्र जारी करने समेत अन्य मांगों पर केंद्र सरकार जल्द कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि गुरुवार से डाककर्मी काम पर लौंटेंगे। धरने में केंद्रीय संगठन के अध्यक्ष बीडी भट्ट, डीपी यादव, अवनीश त्रिवेदी, विकास थापा आदि शामिल रहे।
नरमू ने भी दिया समर्थन
नॉर्दन रेलवे मेन्स यूनियन (नरमू) ने भी हड़ताल को समर्थन दिया। नरमू के शाखा अध्यक्ष उग्र्रसेन व शाखा सचिव राजेंद्र सिंह गुसाईं ने कहा कि केंद्र सरकार को योजनाओं में कर्मचारियों के हितों को नजरंदाज नहीं करना चाहिए।
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