वन्यजीव सुरक्षा: चीन-नेपाल सीमा पर कड़ी चौकसी, हाई अलर्ट घोषित
पुराने साल की विदाई और नए साल के स्वागत को होने वाले जश्न ने वन्यजीव महकमे की नींद उड़ा दी है।
देहरादून, केदार दत्त। क्रिसमस से लेकर पुराने साल की विदाई और नए साल के स्वागत को होने वाले जश्न ने वन्यजीव महकमे की नींद उड़ा दी है। लिहाजा, खतरनाक माने जाने वाले इस वक्त में वन्यजीव सुरक्षा के मद्देनजर चीन और नेपाल की सीमा से लगे संरक्षित क्षेत्रों में चौकसी कड़ी कर दी गई है। साथ ही प्रदेशभर में हाई अलर्ट घोषित किया गया है और अंतरराज्यीय सीमा पर विशेष निगहबानी की जा रही है।
यह किसी से छिपा नहीं है कि उत्तराखंड के वन्यजीव शिकारियों और तस्करों के निशाने पर हैं। इनके तार सीमा पार से जुड़े होने की बातें भी कई मर्तबा सामने आई हैं। अब जबकि क्रिसमस से लेकर न्यू इयर ईव तक चलने वाले जश्न की तैयारियां चल रही हैं तो वन्यजीव महकमे की चिंता बढ़ गई है। जश्न के माहौल के दौरान शिकारियों व तस्करों के सक्रिय होने की आशंका रहती है। यही कारण भी है कि क्रिसमस से लेकर पांच जनवरी तक के वक्त को विभाग की भाषा में 'खतरनाक वक्त' कहा जाता है। पूर्व में इस अवधि में शिकार की कई घटनाएं हो चुकी हैं।
खतरनाक वक्त में वन्यजीवों पर कोई आंच न आए, इसके मद्देनजर महकमे ने सुरक्षा को लेकर खास ताना-बाना बुना है। इसमें वन्यजीवों का शिकार और तस्करी रोकना सबसे अहम है। उत्तराखंड के मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) आरके मिश्र के अनुसार अंतरराष्ट्रीय और अंतरराज्यीय सीमाओं से लगे क्षेत्रों में चौकसी कड़ी की गई है। उत्तर प्रदेश, हिमाचल से लगी सीमा पर भी हाईअलर्ट है। वहां इन राज्यों के साथ मिलकर निगहबानी की जा रही है। उन्होंने बताया कि कर्मियों की छुट्टियां पहले ही रद की जा चुकी हैं।
वन विश्राम गृह, होटल-रिसॉर्ट्स पैक
कार्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व समेत अन्य संरक्षित क्षेत्रों के भीतर व इनसे लगे वन विश्राम गृह सैलानियों से पैक हो चुके हैं। यही स्थिति संरक्षित क्षेत्रों से लगे होटल-रिसॉर्ट्स की भी है। वहां जश्न की तैयारियां चल रही हैं। इस दौरान यदि किसी बेजुबान की जान चली गई या पेड़ों पर आरी चल गई तो कौन जवाबदेह होगा। इसके मद्देनजर खास निगाह रखी जा रही है।