महाकवि कालीदास के नाटक अभिज्ञान शाकुंतलम में दर्ज रहस्यों से उठेगा पर्दा

महाकवि कालीदास के नाटक अभिज्ञान शाकुंतलम में दर्ज तथ्यों से जल्द ही पर्दा उठने जा रहा है। नाटक में जिस कण्वाश्रम का जिक्र है, वहां अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग खुदाई करेगा।

By BhanuEdited By: Publish:Tue, 24 Apr 2018 08:39 AM (IST) Updated:Fri, 27 Apr 2018 04:59 PM (IST)
महाकवि कालीदास के नाटक अभिज्ञान शाकुंतलम में दर्ज रहस्यों से उठेगा पर्दा
महाकवि कालीदास के नाटक अभिज्ञान शाकुंतलम में दर्ज रहस्यों से उठेगा पर्दा

देहरादून, [सुमन सेमवाल]: महाकवि कालीदास ने विश्वविख्यात नाटक 'अभिज्ञान शाकुंतलम' में जिस कण्वाश्रम का विस्तृत उल्लेख किया है, अब उन तथ्यों से जुड़े अवशेष बाहर आ पाएंगे। देहरादून स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के क्षेत्रीय कार्यालय को नई दिल्ली स्थित मुख्यालय से उत्तराखंड के कोटद्वार(पौड़ी गढ़वाल) स्थित कण्वाश्रम क्षेत्र में खुदाई की अनुमति मिल गई है।

कोटद्वार में मालिनी नदी के तट पर कण्वाश्रम नामक क्षेत्र जरूर है, लेकिन यहां पर अभी आश्रम जैसा कोई ढांचा मौजूद नहीं है। जबकि, अभिज्ञान शाकुंतलम में न सिर्फ मालिनी नदी का जिक्र आता है, बल्कि नाटक के प्रमुख पात्र हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत और विश्वमित्र व मेनका की पुत्री शकुंतला के प्रणय के साथ कण्वाश्रम में भरत के जन्म का भी उल्लेख मिलता है। 

बाद में इसी चक्रवर्ती सम्राट भरत के नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा। ऐतिहासिक नाटक के स्थल पर पहली बार तब मुहर लगी थी, जब वर्ष 2010 के आसपास कण्वाश्रम क्षेत्र में करीब 13वीं सदी की चामुंडा देवी की पत्थर की मूर्ति के साथ ही मंदिर के अलंकृत प्रस्तर खंड, छोटे स्तंभ आदि मिले थे। 

तभी से इस क्षेत्र पर एएसआइ की नजर थी और माना गया था कि यहां आश्रम समेत मंदिर समूह हो सकते हैं। हालांकि पहली बार वर्ष 2013 में एएसआइ ने कण्वाश्रम क्षेत्र के प्रति रुचि दिखाई और इसकी खुदाई की योजना पर काम शुरू किया गया। 

वर्ष 2015 में एएसआइ की टीम ने पहली बार कण्वाश्रम का दौरा किया था। जबकि, इस साल जनवरी में अधीक्षण पुरातत्वविद लिली धस्माना के नेतृत्व में भी टीम कण्वाश्रम पहुंची। इसके साथ ही एएसआइ मुख्यालय से खुदाई की अनुमति मांगी। 

अधीक्षण पुरातत्वविद लिली धस्माना ने बताया कि कुछ दिन पहले एएसआइ मुख्यालय से खुदाई की स्वीकृति मिल गई है। कण्वाश्रम के आरक्षित वन क्षेत्र में होने के चलते वन मुख्यालय और लैंसडौन वन प्रभाग से खुदाई की अनुमति मांगी गई थी। 

वन मुख्यालय से अनुमति प्राप्त हो गई है और वहां से लैंसडौन वन प्रभाग को भी शीघ्र अनुमति जारी करने को कहा गया है। वन प्रभाग से अनुमति मिलते ही खुदाई शुरू कर दी जाएगी।

20 वर्गमीटर क्षेत्रफल में होगी खुदाई

अधीक्षण पुरातत्वविद लिली धस्माना के मुताबिक कण्वाश्रम क्षेत्र में 20 वर्गमीट के दो ट्रांच बनाकर खुदाई करने का निर्णय लिया गया है। खुदाई में जो भी अवशेष मिलेंगे, उसके आधार पर कण्वाश्रम को राष्ट्रीय धरोहर बनाने की कार्रवाई शुरू की जाएगी।

यह भी पढ़ें: स्वर्णिम इतिहास की गवाही देगी सम्राट भरत की जन्मस्थली

यह भी पढ़ें: यहां बस पांच घंटे में घर बनाइए, दो घंटे में शौचालय; कीमत है बस इतनी

chat bot
आपका साथी