हाईकोर्ट में दिए गए सरकार के जवाब से बिफरे कर्मचारी, कहा-नहीं ली गई वेतन कटौती की सहमति

हाईकोर्ट में सरकार की ओर से दाखिल जवाब पर कर्मचारी संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने वेतन कटौती पर सहमति लेना तो दूर उनसे इस मुद्दे पर बात तक नहीं की।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Sun, 28 Jun 2020 04:03 PM (IST) Updated:Sun, 28 Jun 2020 04:03 PM (IST)
हाईकोर्ट में दिए गए सरकार के जवाब से बिफरे कर्मचारी, कहा-नहीं ली गई वेतन कटौती की सहमति
हाईकोर्ट में दिए गए सरकार के जवाब से बिफरे कर्मचारी, कहा-नहीं ली गई वेतन कटौती की सहमति

देहरादून, जेएनएन। वेतन कटौती के मुद्दे पर हाईकोर्ट में सरकार की ओर से दाखिल जवाब पर कर्मचारी संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है। सरकार ने जवाब में कहा है कि वेतन कटौती कर्मचारी संगठनों की सहमति से ही की जा रही है, जबकि कर्मचारी संगठनों ने शनिवार को ऑनलाइन बैठक में एकसुर में कहा कि सरकार ने वेतन कटौती पर सहमति लेना, तो दूर उनसे इस मुद्दे पर बात तक नहीं की।

बैठक में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के कार्यकारी महामंत्री अरुण पांडे ने कहा, संगठन राज्य सरकार से मांग करेगा कि जिन कर्मचारी संगठनों और प्रतिनिधियों ने वेतन कटौती की सहमति दी या अनुरोध किया है, उनका नाम सार्वजनिक किया जाए। साथ ही यह भी पूछा जाएगा कि क्या वह प्रतिनिधि और संगठन पूरे प्रदेश के कार्मिकों की ओर से सरकार या शासन से कोई अनुरोध करने और सहमति देने के लिए सक्षम है। क्योंकि, परिषद की जानकारी के अनुसार प्रदेश के विभिन्न परिसंघों ने इस प्रकार की कोई भी सहमति राज्य सरकार को नहीं दी है।

परिषद ने यह भी कहा कि कोई भी संघ/परिसंघ अपने सदस्यों से वेतन या कोई भी धनराशि राज्य सरकार को दान किए जाने के लिए मात्र अपील कर सकता है। धनराशि देना, न देना उस कार्मिक पर निर्भर करता है। सरकार भ्रम फैलाकर खुद को बचाने की कोशिश कर रही है, जो उचित नहीं है। बैठक में प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर प्रह्लाद सिंह, नंद किशोर त्रिपाठी, शक्ति प्रसाद भट्ट, गिरजेश कांडपाल और अन्य कर्मचारी नेता भी शामिल हुए।

उत्तरांचल फेडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसो. ने भी जताई आपत्ति

उत्तरांचल फेडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन उतराखंड के प्रांतीय महामंत्री पूर्णानन्द नौटियाल ने भी सरकार से उन कर्मचारियों और उनके संघों के नाम स्पष्ट करने की मांग की है, जिन्होंने वेतन कटौती पर सहमति दी। उन्होंने कहा कि मिनिस्टीरियल फेडरेशन शुरू से ही बिना कर्मचारी संघों की सहमति के कर्मचारियों के वेतन भत्तों में किसी प्रकार की कटौती करने का विरोध करता आया है। यह अन्याय है। सरकार ने विधायकों से तो वेतन काटने की लिखित सहमति ली। उन्होंने कहा कि हमें न्यायालय पर पूर्ण भरोसा है।

एससी-एसटी फेडरेशन भी नाराज

उत्तराखंड एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन ने भी साफ किया है कि सरकार ने वेतन कटौती के संबंध में उनके संगठन से किसी तरह की सहमति नहीं ली। फेडरेशन के प्रांतीय अध्यक्ष करमराम ने कहा कि एक महीने में एक दिन का वेतन काटने का समझौता भी मौखिक हुआ था। लेकिन, सरकार ने एक साल तक हर महीने एक दिन का वेतन काटने का जो निर्णय लिया, वह कर्मचारियों को विश्वास में लिये बगैर किया गया। अब सरकार हाईकोर्ट में इस तरह का जवाब देकर अपनी किरकिरी कराने पर तुली है।

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नहीं ली सरकार ने सहमति

उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने भी हाईकोर्ट में दिए गए सरकार के जवाब पर हैरानी जताई है। एसोसिएशन के प्रांतीय महामंत्री वीरेंद्र सिंह गुसाईं ने कहा कि एक माह वेतन में कटौती करना तो ठीक है, मगर एक साल तक वेतन कटौती को किसी से भी सहमति नहीं ली गई। यह सरकार हाईकोर्ट में अपनी किरकिरी से बचने के लिए ऐसी बातें कर रही है। सरकार के इस कदम का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।

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