गोमुख के पास भूस्खलन से बदला भागीरथी नदी का रुख

गंगा के उद्गम स्थल गोमुख (उत्तरकाशी) के नजदीक भूस्खलन से आए मलबे के कारण वहां भागीरथी के बहाव का रुख थोड़ा सा बदला है, लेकिन प्रवाह पर कोई असर नहीं पड़ा है।

By BhanuEdited By: Publish:Thu, 14 Dec 2017 08:17 AM (IST) Updated:Thu, 14 Dec 2017 08:54 PM (IST)
गोमुख के पास भूस्खलन से बदला भागीरथी नदी का रुख
गोमुख के पास भूस्खलन से बदला भागीरथी नदी का रुख

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: भारत-चीन सीमा पर उत्तराखंड में गंगा के उद्गम स्थल गोमुख (उत्तरकाशी) के नजदीक भूस्खलन हुआ है। इसके चलते आए मलबे से वहां भागीरथी के बहाव का रुख थोड़ा सा बदला है, लेकिन प्रवाह पर कोई असर नहीं पड़ा है। 

इंटेलिजेंस ब्यूरो (आइबी) से मिली सीमा पर भूस्खलन की सूचना के बाद इसे तस्दीक करने को चल रही सरकारी कवायद के बाद बुधवार शाम शासन ने यह स्पष्ट किया। हालांकि, सही स्थिति की जानकारी लेने उत्तरकाशी से भेजी गई 12 सदस्यीय टीम खराब मौसम के कारण गंगोत्री से करीब दो किमी आगे कनखू बैरियर से वापस लौट आई। यही नहीं, रेकी के मद्देनजर बुधवार को भी हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर पाए। बताया गया कि मौसम साफ रहा तो तभा हेलीकॉप्टर से रेकी की जाएगी।

शासन को सोमवार शाम आइबी से इनपुट मिला कि भारत-चीन सीमा पर किसी स्थान पर भूस्खलन हुआ है। इस सिलसिले में एक सेटेलाइट इमेज भी शासन को उपलब्ध कराई गई। इसके बाद हड़कंप मचा और आनन-फानन सभी जिलाधिकारियों को अलर्ट करने के साथ ही उत्तरकाशी व टिहरी के डीएम को खास निर्देश दिए गए। सूत्रों ने बताया कि सेटेलाइट इमेज का परीक्षण कराया गया तो बात साफ हुई कि गोमुख के पास यह भूस्खलन हुआ है।

सचिव आपदा प्रबंधन अमित नेगी ने बताया कि गोमुख के नजदीक जिस स्थान पर भूस्खलन हुआ है, वहां आए मलबे के कारण नदी के बहाव का रुख थोड़ा बदला है, लेकिन झील नहीं बनी है। भागीरथी का प्रवाह निरंतर बना हुआ है। नदी के प्रवाह की लगातार मॉनीटरिंग की जा रही है। उन्होंने बताया कि हेलीकॉप्टर से रेकी करने में मौसम दुश्वारियां खड़ी कर रहा है। मौसम साफ रहा तो हेलीकॉप्टर उड़ान भरेंगे।

वहीं, उत्तरकाशी से मंगलवार को गोमुख के लिए रवाना हुई टीम ने कनखू बैरियर से वापस लौटने के साथ ही जिलाधिकारी डॉ.आशीष चौहान को स्थिति से अवगत कराया। बताया कि पर्याप्त संसाधनों की कमी और भारी बर्फवारी के कारण टीम कनखू से आगे नहीं बढ़ सकी। 

डॉ.चौहान ने बताया कि मौसम ठीक होते ही नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) के दल के साथ टीम को दोबारा गोमुख भेजा जाएगा। डीएम के अनुसार टीम के सदस्यों ने यह भी जानकारी दी कि कहीं भी भागीरथी का पानी मटमैला होने के संकेत नहीं मिले। 

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