तेजी से बढ़ा जंक फूड का चलन, हर महीने 10 करोड़ का जंक फूड खा रहा दून

जंक फूड के नफे-नुकसान से हर कोई परिचित है। फिर भी इसे खाने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बीते वर्षों में दून में भी जंक फूड का चलन तेजी से बढ़ा है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Wed, 29 Jan 2020 05:17 PM (IST) Updated:Wed, 29 Jan 2020 08:25 PM (IST)
तेजी से बढ़ा जंक फूड का चलन, हर महीने 10 करोड़ का जंक फूड खा रहा दून
तेजी से बढ़ा जंक फूड का चलन, हर महीने 10 करोड़ का जंक फूड खा रहा दून

देहरादून, सुकांत ममगाईं। फास्ट फूड या जंक फूड के नफे-नुकसान से हर कोई परिचित है। फिर भी इसे खाने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बीते वर्षों में दून में भी जंक फूड का चलन तेजी से बढ़ा है। जानकर हैरानी होगी कि वर्तमान में दूनवासी हर महीने करीब 10 करोड़ रुपये का जंक फूड चट कर जाते हैं। 

जंक फूड का नाम आते ही बच्चों की जुबां पर पानी आ जाता है। ताज्जुब की बात यह है कि बच्चों के साथ अभिभावक भी इसे बड़े चाव के साथ खाते हैं। यही वजह है कि कुछ वर्षों में ही जंक फूड का कारोबार करोड़ों में पहुंच गया है। आज दून की हर गली-नुक्कड़, कैंटीन, रेस्टोरेंट और मॉल में पिज्जा, बर्गर, रोल, चाऊमीन, फ्रैंच फ्राई जैसे खाद्य पदार्थ बिक रहे हैं। यानी सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले ये पदार्थ हर जगह सहजता से उपलब्ध हैं। 

दून में छोटे-बड़े करीब 500 निजी स्कूल हैं। स्कूल में विद्यार्थी टिफिन में जंक फूड न लाएं और यह कैंटीन में न बिके, इसके लिए शिक्षा विभाग, सीबीएसई बोर्ड और बाल संरक्षण आयोग ने निर्देश जारी किए हैं, लेकिन धरातल पर इसका असर होता नहीं दिख रहा। न उच्च शिक्षण संस्थानों में ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देशों का पालन हो रहा है। प्रतिबंध के बावजूद स्कूल और कॉलेजों की कैंटीन में पिज्जा, बर्गर, चाऊमीन, फ्रैंच फ्राई आदि धड़ल्ले से बिक रहे हैं। स्कूल-कॉलेज में अगर यह न भी बिके तो आसपास हर जगह इसकी सहज उपलब्धता है। बाकी कसर फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म ने पूरी कर दी है।   

अभिभावक समझें जिम्मेदारी 

जंक फूड ने बच्चों के टिफिन में भी घुसपैठ कर ली है। कुछ स्कूलों ने टिफिन का मेन्यू निर्धारित किया है, लेकिन बच्चे जंक फूड से परहेज नहीं कर रहे। स्कूलों के पास भी ऐसा कोई तंत्र नहीं है कि हर बच्चे का टिफिन चेक किया जाए। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पीएस रावत का कहना है ऐसे में अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को हेल्दी खाना दें। उसका आकार प्रकार भले ही जंक फूड जैसा हो, लेकिन पौष्टिकता भी होनी चाहिए। ज्यादा जंक फूड खाने से न सिर्फ बीमारियां होती हैं, बल्कि मोटापा आपकी काया को ही बदल देता है। 

'जंक फूड' ऐसे पड़ा नाम 

जंक फूड उन खाद्य पदार्र्थों को कहा जाता है, जिनमें प्रोटीन, विटामिन या खनिज कम होते हैं और चीनी या वसा की मात्रा अधिक होती है। 'जंक' शब्द से तात्पर्य यह है कि उस खाद्य पदार्थ में 'पोषण मूल्य' बहुत कम है और वसा, चीनी, नमक और कैलोरी अधिक। 

कार्बोनिक ड्रिंक भी घातक 

आज की पीढ़ी को कोल्ड ड्रिंक भी खूब भाती है, लेकिन इसमें मौजूद प्रमुख कंपोनेंट सोडा वाटर या कार्बोनेटेड वाटर हमारी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। जानकार बताते हैं कि सॉफ्ट ड्रिंक, फिज्जील ड्रिंक में सोडा होता है। आजकल सोडा वाटर बॉटल में विशेष दाब की स्थितियों में कार्बन डाई ऑक्साइड इंजेक्ट करके बनाया जाता है। अत्यंत कम मात्रा में सोडियम कार्बोनेट को सामान्यत: एक सुरक्षित पदार्थ माना जाता है, लेकिन इसका नियमित या अधिक मात्रा में सेवन बहुत नुकसानदायक हो सकता है। जंक फूड की तरह ही कार्बोनिक ड्रिंक भी सहज उपलब्ध है। क्या बच्चे और क्या युवा, हर कोई इसका सेवन भी खूब कर रहा है। जबकि इनमें शुगर, कैफीन और कैलोरी की मात्रा काफी अधिक होती है और पोषक तत्व शून्य। 

इनके सेवन से हमारे शरीर को नुकसान के अलावा कुछ नहीं प्राप्त होता। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. एनएस खत्री के अनुसार कोल्ड ड्रिंक का लगातार सेवन बच्चों की हड्डियों को कमजोर बना रहा है। कोल्ड ड्रिंक पीने से शरीर में फास्फेट बढ़ता है और यह कैल्शियम की मात्रा को कम करता है। इससे हड्डी कमजोर होती है। इसमें काफी केमिकल भी पाए जाते हैैं, जो पेट में गर्मी पैदा करते हैं। इससे एसिडिटी और अल्सर का खतरा बढ़ जाता है। ज्यादा शुगर से डायबिटिज का भी खतरा रहता है। 

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जंक फूड के नुकसान 

-बाजार में पैकेट में मिलने वाले फ्रैंच फ्राइज, आलू टिक्की, चिप्स आदि ज्यादा हानिकारक होते हैं। 

-तुरंत पकने वाले नूडल्स आजकल सबसे ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं, लेकिन इनमें मौजूद कई हानिकारक तत्व बीमारियों को न्योता दे सकते हैं। 100 ग्राम नूडल्स में 138 कैलोरी होती है, जो चर्बी और दिल के रोगों के लिए जिम्मेदार हो सकती है। इसमें मौजूद मैदा आंतों को नुकसान पहुंचा सकता है। 

-पैकेट बंद नूडल्स और सूप में काफी मात्रा में स्टार्च और नमक होता है। इसके अलावा इनमें मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) होता है, जिसे ज्यादा खाने से विकृति उत्पन्न होती है। 

-डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों को खराब होने से बचाने के लिए केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है, जो शरीर के लिए हानिकारक होते हैं। 

-पिज्जा की एक स्लाइस में 151 कैलोरी होती है। यह शरीर को रोजाना मिलने वाले फैट का 28 फीसद होता है। इससे मेटाबॉलिक रेट कम हो जाता है। जरूरत से ज्यादा सेवन करने से हृदय संबंधी रोगों का जोखिम बढ़ जाता है। 

-बर्गर हाई कैलोरी फूड की कैटेगरी में आता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 100 ग्राम के एक हैमबर्गर में करीब 295 कैलोरी होती है। जिससे शरीर में चर्बी बढ़ने का खतरा भी बढ़ता है। 

-बर्गर में मौजूद तेल कोलेस्ट्रॉल और फैट को बढ़ावा देता है। इसमें मौजूद मैदे से आंत और हृदय रोगों का जोखिम बढ़ता है। हाई ब्लडप्रेशर और किडनी रोग का भी खतरा रहता है। 

-मोमोज के साथ मिलने वाला मेयोनीज सॉस कोलेस्ट्रॉल और फैट बढ़ाने का काम करता है। 

-पैक्ड फूड में मौजूद ट्रांसफैट की मात्रा सेहत के लिए हानिकारक होती है। यह ट्रांसफैट हाइड्रोजन गैस और तेल के मिश्रण से तैयार होता है। हालांकि, प्राकृतिक रूप से यह ट्रांसफैट मांसाहार और दुग्ध उत्पाद में पाया जाता है। यह कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। इससे मोटापे के साथ धमनियों में चर्बी जमने की आशंका होती है। 

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