बढ़ती महंगाई से पहले ही आम आदमी की कमर टूटी, अब बसों का किराया बढ़ा

बढ़ती महंगाई से पहले ही आम आदमी की कमर टूटी जा रही है। उस पर सरकार ने महंगे सफर का एक बोझ और लाद दिया है। बसों का किराया बढ़ा दिया गया है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Mon, 24 Feb 2020 12:42 PM (IST) Updated:Mon, 24 Feb 2020 04:37 PM (IST)
बढ़ती महंगाई से पहले ही आम आदमी की कमर टूटी, अब बसों का किराया बढ़ा
बढ़ती महंगाई से पहले ही आम आदमी की कमर टूटी, अब बसों का किराया बढ़ा

देहरादून, सोबन सिंह गुसांई। प्रदेश में शराब का कारोबार राजस्व का सबसे बड़ा साधन है। इस कारोबार से सरकार को करोड़ों का राजस्व भी होता है। मौजूदा समय में रोजगार और महंगाई को लेकर सरकार को किरकिरी झेलनी पड़ रही है। इस विरोध के बीच सरकार ने नए वित्त वर्ष से शराब सस्ती करने की घोषणा कर दी है। जनता के नजरिये से देखें तो पेट्रोल, डीजल और खाद्य सामग्री सस्ती होती तो इसका हर परिवार को फायदा पहुंचता। हालांकि, शराब सस्ती होने से यह भी फायदा होगा कि बाहर से तस्करी पर रोक लगेगी और जहरीली शराब की तस्करी रुकेगी। हरिद्वार के मंगलौर और देहरादून जिले में जहरीली शराब से कई लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद शराब तस्करी जारी है। बीती जनवरी में ही पुलिस ने 66 मुकदमे दर्ज कर 1800 बोतल शराब बरामद की। उत्तराखंड में शराब सस्ती मिलती है तो जाहिर है कि तस्करी पर रोक लग सकेगी।

सफर महंगा कर दिया बड़ा झटका

बढ़ती महंगाई से पहले ही आम आदमी की कमर टूटी जा रही है। उसपर सरकार ने महंगे सफर का एक बोझ और लाद दिया है। गलत नीतियों के कारण घाटे में चल रहे उत्तराखंड परिवहन निगम को उबारने के लिए जनता की जेब पर बोझ डालना आखिर कहां तक सही है? पिछले डेढ़ महीने में रोडवेज बसों का किराया दो बार बढ़ाया जा चुका है। जिस तेजी से रोडवेज के किराये में बढ़ोत्तरी हो रही है, उससे तो यही लग रहा है कि आने वाले समय में आम लोगों के लिए बस से सफर करना मुश्किल हो जाएगा। इससे परिवहन निगम को दोहरा झटका लग सकता है। पहला तो सवारियां कम होने का। अगर ऐसा हुआ तो उसकी घाटे से उबरने की मंशा को भी निश्चित तौर पर धक्का लगेगा। साथ ही डग्गामारी और ओवरलोडिंग को बढ़ावा मिलेगा। जिससे प्रदेश में सड़क हादसों का ग्राफ भी बढऩे की आशंका है।

सिफारिश नहीं अच्छा काम करके दिखाओ

विभागों में सिफारिश लगवाकर ट्रांसफर करवाना आम बात है। सिफारिश पर अधिकारी पद तो ले लेता है, लेकिन अच्छा परिणाम नहीं दिखा पाता। लेकिन, कप्तान साहब सिफारिश नहीं काम देखते हैं। पिछले दिनों एक इंस्पेक्टर ने कहीं से ट्रांसफर की सिफारिश कर दी। इस बात पर कप्तान ने कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि काम में सिफारिश करने की बजाय अपने काम में तेजी लेकर आएं। उन्होंने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को साफ निर्देश दिए हैं कि किसी पद तक पहुंचने के लिए अच्छा काम दिखाना पड़ेगा, तभी पद भी मिलेगा। आउटपुट न दिखा पाने वाले के लिए कोई रहम नहीं होगी। यही बात है कि सभी अधिकारी और कर्मचारी तबादला या अन्य सिफारिश लगाने से पहले कई बार सोचते हैैं कि कहीं इसका परिणाम गलत न हो जाए। हां, यह भी है कि अगर कोई कर्मचारी या अधिकारी खुद सही सिफारिश करता है तो उसे नकारा भी नहीं जाता।

यह भी पढ़ें: औली के ढलानों पर बिखरा कूड़ा आयोजकों की बदइंतजामी की करता रहा चुगली

बुलट के पटाखों से थोड़ी राहत

शहर में पटाखे फोड़ते बेखौफ दौड़ रहे बुलट चालकों पर जैसे ही पुलिस ने कार्रवाई शुरू की तो पटाखे फूटने कुछ कम हो गए हैं। पिछले कुछ दिनों में देहरादून में पटाखे फोडऩे वाली बुलट की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी हो गई थी। पुलिस की ओर से कार्रवाई न होने के कारण बुलट चालक बेखौफ होकर नियम-कानूनों का मखौल उड़ा रहे थे। गली-मोहल्लों के साथ पुलिस के सामने भी यातायात नियमों का उल्लंघन किया जा रहा था। इसकी जानकारी मिली तो एसएसपी ने पुलिस को कार्रवाई का निर्देश दिया। नतीजतन अब सड़क पर पटाखे फोडऩे वाले बुलट चालक कम ही नजर आ रहे हैं। एसएसपी जल्द ही ऐसे मैकेनिकों को भी सलाखों के पीछे भेजने की तैयारी कर रहे हैं, जोबुलट मॉडीफाई कर साइलेंसर बदल देते हैं। ऐसे मैकेनिकों को चिह्नित करने का काम थाना स्तर पर शुरू भी हो गया है। जल्द ही इनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। 

यह भी पढ़ें: उत्‍तराखंड के अंदर रोडवेज बसों में सफर करना हो गया महंगा

chat bot
आपका साथी