उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने निभाया वादा, मंत्रियों के दफ्तरों में सन्नाटा

आमजन के लिए सरकार व मशीनरी की सुलभता के मद्देनजर बुधवार को आधे दिन और गुरुवार को पूरे दिन मुख्यमंत्री व मंत्रियों के अपने कार्यालय में बैठने की व्यवस्था का वादा सीएम ही निभा सके।

By Edited By: Publish:Wed, 19 Feb 2020 09:16 PM (IST) Updated:Thu, 20 Feb 2020 08:17 AM (IST)
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने निभाया वादा, मंत्रियों के दफ्तरों में सन्नाटा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने निभाया वादा, मंत्रियों के दफ्तरों में सन्नाटा

देहरादून, राज्य ब्यूरो। आमजन के लिए सरकार व मशीनरी की सुलभता के मद्देनजर बुधवार को आधे दिन और गुरुवार को पूरे दिन मुख्यमंत्री व मंत्रियों के अपने कार्यालय में बैठने की व्यवस्था अमल में आ गई है। हालांकि, पहले बुधवार को सिर्फ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ही वादा पूरा कर पाए। अपने व्यस्ततम कार्यक्रम के बावजूद वह शाम को विधानसभा स्थित अपने कार्यालय में बैठे। अलबत्ता, मंत्रियों के दफ्तरों में सन्नाटा पसरा रहा।

सरकार के सभी मंत्रियों के देहरादून से बाहर होने के कारण वे अपने कार्यालय में उपलब्ध नहीं पाए। कुछ मंत्रियों के आज यहां पहुंचने पर अपने कार्यालय में बैठने की संभावना है। उधर, सचिवालय में भी यहां मौजूद सभी अधिकारी अपने कार्यालय में मौजूद रहे। हाल में मंथन कार्यक्रम के दौरान विधायकों ने मुख्यमंत्री के समक्ष नौकरशाही की बेरुखी का मसला उठाया था। इस पर मुख्यमंत्री ने व्यवस्था दी थी कि हर बुधवार को आधे दिन और गुरुवार को पूरे दिन मुख्यमंत्री, मंत्री, सचिव और जिलों में डीएम समेत अन्य अधिकारी अपने दफ्तरों में बैठेंगे। 

इस पहल से जनप्रतिनिधियों के साथ ही आमजन भी अपनी समस्याओं को आसानी से सरकार और शासन-प्रशासन के नुमाइंदों के समक्ष रख सकेंगे। सरकार की ओर 17 फरवरी को मुख्यमंत्री और मंत्रियों के लिए इस व्यवस्था के आदेश निर्गत कर दिए। इसे देखते हुए सभी की नजरें बुधवार को विधानसभा स्थित मुख्यमंत्री और मंत्रियों के कार्यालयों पर टिकी थी। 

सुबह से मीडियाकर्मियों का जमावड़ा विधानसभा में था, लेकिन दिनभर इंतजार के बावजूद कोई भी मंत्री अपने कार्यालय में नहीं पहुंचे। इसके चलते मंत्रियों के दफ्तरों में सन्नाटे जैसा आलम था। मंत्रियों के कार्यालयों से बताया गया कि सभी मंत्री विभिन्न कार्यक्रमों में शहर से बाहर हैं। ये कार्यक्रम पहले से ही तय हुए थे। 

अलबत्ता, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपना वादा निभाया और शाम करीब साढ़े चार बजे वह विधानसभा पहुंचे। सबसे पहले उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल से उनके कक्ष में मुलाकात कर बजट सत्र को लेकर चर्चा की। इसके बाद देर शाम तक अपने कार्यालय में न सिर्फ सरकारी कामकाज निबटाया, बल्कि लोगों की समस्याएं भी सुनीं। 

इस दौरान उन्होंने उत्तराखंड आए एडीबी के अफसरों से भी विचार-विमर्श किया। हालांकि, बुधवार व गुरुवार को बैठने की व्यवस्था के आदेश अभी केवल मुख्यमंत्री व मंत्रियों के लिए हुए हैं, लेकिन सचिवालय में भी इसका असर नजर आया। सचिवालय में बुधवार को मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह समेत यहां मौजूद लगभग सभी अधिकारी अपने कार्यालयों में उपलब्ध रहे। दिन तय होने से नहीं रहेगा कोई असमंजस 

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के अनुसार, नई व्यवस्था को लेकर ये न समझा जाए कि मंत्री अपने कार्यालयों में नहीं बैठते। वे बैठते हैं, लेकिन जनता में असमंजस रहता है कि मंत्री उपलब्ध होंगे अथवा नहीं। दिन नियत होने से यह सुनिश्चित रहेगा कि मंत्री उपलब्ध रहेंगे तो असमंजस नहीं रहेगा। 

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उन्होंने कहा कि जहां तक बुधवार को मंत्रियों के कार्यालय में उपलब्ध न होने पाने की बात है तो काफी लोग हमारी पार्टी के एक पदाधिकारी के परिवार में विवाह समारोह के मद्देनजर इंदौर गए हैं। लौटने पर सभी मंत्री अपने कार्यालयों में बैठेंगे।

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