देहरादून में 40 फीसद तक बढ़े जमीनों के सर्किल रेट, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून में सर्किल रेट में राज्य सरकार ने 40 फीसद तक की बढ़ोत्तरी की है। हालांकि दून में 180 ऐसे क्षेत्र भी हैं जहां सर्किल रेट पहले की तरह यथावत रखे गए हैं।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Mon, 13 Jan 2020 11:54 AM (IST) Updated:Mon, 13 Jan 2020 11:54 AM (IST)
देहरादून में 40 फीसद तक बढ़े जमीनों के सर्किल रेट, पढ़िए पूरी खबर
देहरादून में 40 फीसद तक बढ़े जमीनों के सर्किल रेट, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, जेएनएन। देहरादून जिले 2264 क्षेत्रों में अब जमीनें महंगी हो गई हैं। यहां के सर्किल रेट में राज्य सरकार ने 40 फीसद तक की बढ़ोत्तरी की है। हालांकि, दून में 180 ऐसे क्षेत्र भी हैं, जहां सर्किल रेट पहले की तरह यथावत रखे गए हैं। इनमें दून के ऐसे वह प्रमुख इलाके शामिल हैं, जहां जमीनें बहुत कम बची हैं और पहले से ही सर्किल रेट आसमान छू रहे हैं।

संशोधित सर्किल रेट कृषि व अकृषि भूमि के हिसाब से अलग-अलग तय किए गए हैं। इसके साथ ही अकृषि भूमि पर बढ़ोत्तरी के नौ स्लैब व कृषि भूमि पर आठ स्लैब बनाए गए हैं। कृषि भूमि पर अधिकतम 35 फीसद तक सर्किल रेट बढ़ाए गए हैं। जिन क्षेत्रों में भूमि न सिर्फ शेष है, बल्कि खरीद-फरोख्त भी अधिक हो रही है, वहां उतने ही अधिक सर्किल रेट बढ़ाए गए हैं। इनमें दून के बाहरी इलाके शामिल हैं।

सर्किल रेट की दरें इस बार भी मुख्य मार्ग व मार्ग की चौड़ाई के हिसाब से कम व ज्यादा तय की गई हैं। जिन भूखंडों के दोनों तरफ मार्ग हैं, वहां उसी अनुपात में दरें बढ़ाई गई हैं। इसी तरह मुख्य मार्गों से अधिक दूरी वाले इलाकों में जमीनों का आधार मूल्य उतना ही कम है। इसे इस तरह समझा जा सकता है कि जैसे किसी क्षेत्र को एक से पांच फीसद वाले स्लैब में रखा गया है तो पांच फीसद इजाफा मुख्य मार्गों से लगे भूखंडों पर लागू होगा, जबकि मुख्य मार्ग से सबसे अधिक दूर वाले भूखंड को एक फीसद की बढ़ोत्तरी के दायरे में रखा जाएगा।

10 फीसद भूभाग को ही पूरी राहत

देहरादून में अधिकतम 10 फीसद ही भूभाग ऐसा है, जहां की जमीनों के सर्किल रेट में कुछ भी इजाफा नहीं किया गया।

26 फीसद भूभाग पर अधिकतम पांच फीसद बढ़ी दरें

सबसे कम बढ़ोत्तरी की बात की जाए तो कृषि व अकृषि श्रेणी में 26.5 फीसद भूभाग को न्यूनतम एक से पांच फीसद के स्लैब में रखा गया है। इसके बाद वाले 35 से 45 फीसद भूभाग ऐसा है, जहां 15 फीसद तक सर्किल रेट बढ़े हैं। वहीं, 25 से 28 फीसद ही भूभाग ऐसा है, जहां इसके अधिक दर पर सर्किल रेट बढ़ाए गए हैं।

आधा फीसद भूभाग पर ही उच्चतम इजाफा

जिन क्षेत्रों में 40 फीसद की बढ़ोत्तरी की गई है, उसमें अकृषि श्रेणी में महज आधा (0.5) फीसद भूभाग ही शामिल है, जबकि कृषि श्रेणी में उच्चतम 35 फीसद तक की बढ़ोत्तरी वाले क्षेत्र तीन फीसद हैं।

अकृषि भूमि पर संशोधित दरें बढ़ोत्तरी--------------क्षेत्र संख्या-------भूभाग फीसद शून्य-------------------152--------------10 01 से 05--------------375--------------26 06 से 10--------------163--------------11 11 से 15---------------370--------------25 16 से 20---------------212--------------15 21 से 25---------------111---------------08 26 से 30-----------------32---------------02 31 से 35-----------------40---------------2.5 36 से 10-----------------08---------------0.5

कृषि भूमि पर संशोधित दरें शून्य-------------------28-------------------03 01 से 05-------------261-----------------27 06 से 10-------------207-----------------21 11 से 15-------------236-----------------24 16 से 20-------------156-----------------16 21 से 25--------------40------------------04 26 से 30--------------19------------------02 31 से 35---------------34------------------03  

राज्य के 0.01 फीसद क्षेत्र में सर्किल रेट 800 फीसद

प्रदेश में समग्र रूप से जमीनों के सर्किल रेट में भले ही 15 फीसद तक की बढ़ोतरी की गई हो, लेकिन 0.01 फीसद क्षेत्र ऐसा भी है जहां अब कृषि व अकृषि भूमि के सर्किल रेट 701 से 800 फीसद तक बढ़ेंगे। यह क्षेत्र पौड़ी जिले का है। पौड़ी के अलावा नैनीताल व उत्तरकाशी जिलों के सर्वाधिक क्षेत्रों को सर्किल रेट के दायरे में लिया गया है। वजह ये बताई गई है कि इन जिलों के तमाम क्षेत्रों के सर्किल रेट में भारी विसंगतियां थीं। कुछ जगह रेट नाममात्र के थे, जबकि उसके नजदीकी इलाके में समान गतिविधियां होने के बावजूद रेट कहीं अधिक थे।

राज्य में भूमि या भवन के क्रय, हस्तांतरण के समय सामान्यतया स्टांप डयूटी की गणना को उपयोग में लाए जाने के मद्देनजर सर्किल दरों में एकरूपता व तर्कसंगत दरों के निर्धारण का अभाव खटक रहा था। अभी तक इन दरों के निर्धारण के लिए स्थान विशेष की अवस्थिति और अन्य प्रकार की उपयोगिता और मांग का आकलन आभासिक कल्पना के आधार पर होता था। इस सबको देखते हुए अब सभी जिलों में सर्किल दरों का कलर कोडिंग और उपग्रह मानचित्र के आधार पर निर्धारण किया गया है। ऐसे में इसमें तमाम जिलों के कई नए क्षेत्र भी शामिल हुए हैं।

इस लिहाज से देखें तो नैनीताल, पौड़ी, व उत्तरकाशी जिलों के सर्वाधिक क्षेत्र सर्किल रेट के दायरे में आए हैं। नैनीताल में एक से 250 फीसद तक, पौड़ी में छह से 800 फीसद और उत्तरकाशी में एक से 70 फीसद तक सर्किल रेट आए हैं। कैबिनेट ने इन्हें मंजूरी दी है। इसके अलावा अन्य जिलों में सर्किल रेट एक से 50 फीसद तक बढ़े हैं। कृषि व अकृषि भूमि दोनों के मामलों में यही तस्वीर है।

सर्किल रेट बढ़ने से अब ज्यादा मिलेगा मुआवजा

सर्किल रेट बढ़ने से जहां भूमि खरीदना महंगा होगा, वहीं इसके कुछ फायदे भी हैं। सर्किल रेट में बढ़ोतरी से तमाम परियोजनाओं व योजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण पर किसानों को अब बढ़ी दर पर मुआवजा राशि मिल सकेगी। इसके साथ ही घर बनाने के लिए लोगों को बैंकों से ऋण लेने में भी दिक्कत नहीं आएगी।

प्रदेश के तमाम इलाकों को मौजूदा सरकार ने सर्किल रेट के दायरे में लिया है। सरकार को उम्मीद है कि इससे जहां उसे स्टांप ड्यूटी अधिक मिलेगी, वहीं लोगों को फायदा भी होगा। खासकर, भूमि अधिग्रहण के मामलों में किसानों को अब तय किए गए सर्किल रेट के आधार पर ज्यादा मुआवजा राशि मिलेगी। अभी तक तमाम इलाकों में ऐसे मामलों में मुआवजा राशि बेहद कम थी।

इसके अलावा सर्किल रेट कम और भूमि का बाजार भाव अधिक होने के कारण लोगों को बैंकों से ऋण लेने में दिक्कतें आ रही थीं। अब सर्किल रेट के कारण भूमि का महत्व बढ़ेगा और लोगों को बैंकों से आसानी से अधिक ऋण भी उपलब्ध हो सकेगा।

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पर्याप्त तथ्यों के आधार पर बढ़े रेट

मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि राज्य में जहां सर्किल रेट बढ़ाने को पर्याप्त तथ्य थे, उसी के आधार पर ये बढ़ाए गए हैं। 60 फीसद से ज्यादा हिस्से में यह बढ़ोतरी महज 10 फीसद तक है। शेष इलाकों के गहन अध्ययन व पर्याप्त आधार पर रेट बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्र विशेष में एक ही जगह समान गतिविधियों वाले इलाकों में सर्किल रेट की विसंगतियां दूर की गई हैं। आने वाले समय में यह समान हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि एक-दो दिन बाद नए सर्किल रेट के आधार पर रजिस्ट्रार भूमि की रजिस्ट्री करेंगे।

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