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उत्‍तराखंड में जलाशयों और नहरों से भी होगा रेत-बजरी का उठान

नदियों के साथ ही जलाशय व नहरों के क्षेत्रांतर्गत जो स्थल उपखनिज चुगान के लिए चिह्नित नहीं हैं अब वहां रिवर बेस्ड मटीरियल का निस्तारण आसानी से हो सकेगा।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 13 Jan 2020 07:55 AM (IST)Updated: Mon, 13 Jan 2020 07:55 AM (IST)
उत्‍तराखंड में जलाशयों और नहरों से भी होगा रेत-बजरी का उठान

देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में नदियों के साथ ही जलाशय व नहरों के क्षेत्रांतर्गत जो स्थल उपखनिज चुगान के लिए चिह्नित नहीं हैं, अब वहां रिवर बेस्ड मटीरियल (आरबीएम) का निस्तारण आसानी से हो सकेगा। कैबिनेट ने उत्तराखंड रिवर ट्रेनिंग नीति-2016 में बदलाव को मंजूरी दे दी है। इसमें अब जलाशयों व नहरों को भी शामिल किया गया है। आरबीएम उठान को अब तक दी जाने वाली दो माह की अनुमति को बढ़ाकर चार माह करने का प्रविधान किया गया है। साथ ही जेसीबी व पोकलैंड मशीनों के उपयोग से भी रोक हटा दी गई है।

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नदियों में वर्षा ऋतु में अत्यधिक मात्रा में रेत, बजरी, बोल्डर के रूप में आरबीएम जमा होने से भूमि कटाव के साथ ही पानी के आबादी क्षेत्र में घुसने से जानमाल की आशंका बनी रहती है। इसे देखते हुए पूर्व में उत्तराखंड रिवर ट्रेनिंग नीति लाई गई, मगर में तमाम मामलों में स्पष्ट प्रविधान न होने से जिला स्तर पर इसके क्रियान्वयन में दिक्कतें पेश आ रही थीं। इसी के दृष्टिगत रिवर ट्रेनिंग नीति में बदलाव का मसौदा तैयार किया गया, जिसे रविवार को कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी।

रिवर ट्रेनिंग नीति के तहत अब नदियों के साथ ही नहरों व जलाशयों के तल क्षेत्र में सिल्ट, रेत-बजरी, बोल्डर के रूप में जमा आरबीएम का निस्तारण हो सकेगा। इसके लिए संबंधित क्षेत्रों के एसडीएम की अध्यक्षता वाली कमेटी इच्छुक लोगों व संस्थाओं से आवेदन प्राप्त करेगी और फिर खुली नीलामी के आधार पर कार्य का आवंटन किया जाएगा। यदि कोई आवेदक नहीं आता है तो प्रशासनिक व्यवस्था से जनहित में ये कार्य कराया जाएगा।

आरबीएम के निस्तारण को पूर्व में दी जाने वाली दो माह की अनुमति को बढ़ाकर अब चार माह कर दिया गया है। यही नहीं, इस कार्य में जेसीबी व पोकलैंड मशीनों के प्रयोग की इजाजत भी दे दी गई है। नीति में साफ किया गया है कि नदियों, जलाशयों व नहरों से निकाले गए सिल्ट और आरबीएम का व्यावसायिक उपयोग नहीं किया जाएगा।

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खनन पट्टाधारकों को दी राहत

राज्य में किसी खनन क्षेत्र में किसी भी कारण से खनन कार्य रोके जाने की अवधि को बाधित अवधि माना जाएगा। यानी अब यदि किसी पट्टाधारक को आवंटित क्षेत्र में तय समयावधि के भीतर किसी भी कारण से खनन कार्य रोका जाता है तो उसे बाधित अवधि मानते हुए पट्टाधारक को इस अवधि के समतुल्य अवधि में खनन कार्य करने की अनुमति दी जाएगी। पूर्व में उत्तराखंड खनिज परिहार नियमावली में यह प्रविधान नहीं था। अब कैबिनेट ने इस संशोधन प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

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