तेंदुए से दो-दो हाथ करने वाली इस बच्‍ची का नाम भेजा जाएगा राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार को

अपने चार वर्ष के भाई की रक्षा के लिए गुलदार से दो-दो हाथ करने वाली राखी के अदम्य साहस को देखते हुए जिला प्रशासन उसका नाम राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए भेजेगा।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Tue, 08 Oct 2019 09:34 AM (IST) Updated:Tue, 08 Oct 2019 08:00 PM (IST)
तेंदुए से दो-दो हाथ करने वाली इस बच्‍ची का नाम भेजा जाएगा राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार को
तेंदुए से दो-दो हाथ करने वाली इस बच्‍ची का नाम भेजा जाएगा राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार को

देहरादून, जेएनएन। अपने चार वर्ष के भाई की रक्षा के लिए गुलदार (तेंदुआ) से दो-दो हाथ करने वाली राखी के अदम्य साहस को देखते हुए पौड़ी जिला प्रशासन की ओर से राखी का नाम राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए भेजा जाएगा। इधर, सोमवार को दिल्ली के सफदरजंग चिकित्सालय में राखी का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया, जहां उसकी स्थिति को खतरे से बाहर देखते हुए उसे दवा देकर घर भेज दिया। हालांकि, नौ अक्टूबर को उसे सिर पर बंधी पट्टी को बदलवाने के लिए पुन: चिकित्सालय में बुलाया है। 

वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भाई को गुलदार से बचाते हुए घायल हुई बालिका राखी के परिजनों से फोन पर बात कर उसके स्वास्थ्य की जानकारी ली। साथ ही राज्य सरकार से हर तरह की मदद का भरोसा दिलाया। इलाज के लिए दिल्ली के अस्पताल में भर्ती हुई बालिका राखी अब खतरे से बाहर है और उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। सीएम ने राखी के पूर्ण स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हुए कहा कि बालिका ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए अपने छोटे भाई को बचाया। हम अपनी बेटी की वीरता पर गौरान्वित हैं। मुख्यमंत्री ने दिल्ली स्थित उत्तराखंड के अपर स्थानिक आयुक्त को बालिका राखी के परिजनों के सम्पर्क में रहते हुए हर आवश्यक उपचार और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिये हैं। 

बताते चलें कि शनिवार को वीरोंखाल प्रखंड के अंतर्गत ग्राम देवकंडाई निवासी दलवीर सिंह रावत की 11 वर्षीय पुत्री राखी अपने छोटे भाई राघव (चार वर्ष) को कंधे में बिठाकर खेत से गांव की ओर आ रही थी। राखी के साथ उसकी मां शालिनी देवी भी थी, जो कि राखी के पीछे कुछ दूरी पर थी। रास्ते में अचानक गुलदार ने राघव पर झपट्टा मार दिया। राखी ने गुलदार की ओर झपट्टा मार राघव को गुलदार के पंजे से छुड़ा दिया व उसे अपने सीने से चिपका कर मुंह के बल लेट गई। गुलदार ने पंजे व दांतों से राखी पर कई वार किए, लेकिन राखी ने राघव को नहीं छोड़ा। 

इसी दौरान उसकी मां वहां पहुंची व शोर मचाते हुए गुलदार की ओर पत्थर फेंके, जिस पर गुलदार जंगल की ओर भाग गया। शोर सुनकर मौके पर पहुंचे ग्रामीण राखी व राघव को लेकर पोखड़ा स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, जहां से उन्हें कोटद्वार रेफर कर दिया गया। शनिवार शाम परिजन दोनों को लेकर कोटद्वार बेस चिकित्सालय में आए, जहां से राघव को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई, जबकि राखी को एम्स ऋषिकेश के लिए रेफर कर दिया गया। राखी के सिर व पीठ पर काफी चोटें आई हैं। एम्स के चिकित्सकों ने भी राखी की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे सफदरजंग अस्पताल, दिल्ली के लिए रेफर कर दिया।

सफदरजंग में नहीं हो पाई भर्ती

गंभीर रूप से घायल राखी को सफदरजंग चिकित्सालय के चिकित्सकों ने भर्ती नहीं किया। राखी की बुआ मंजू देवी ने बताया कि चिकित्सकों ने राखी का सीटी स्कैन करवाया, जिसमें उसे सिर की किसी हड्डी में चोट की पुष्टि नहीं हुई। चिकित्सकों ने दवा देकर उन्हें घर भेज दिया व नौ अक्टूबर को सिर पर लगाई गई पट्टी को बदलवाने के लिए पुन: बुलाया है।

वीरता पुरस्कार को जाएगा नाम

भाई की रक्षा के लिए स्वयं की जान पर खेलने वाली राखी का नाम राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए भेजा जा रहा है। जिलाधिकारी धीराज ङ्क्षसह गब्र्याल ने बताया कि राखी ने जीवन रक्षा के लिए अपने जीवन की परवाह किए बिना अदम्य साहस का परिचय दिया। बताया कि राखी के इसी साहस को देखते हुए उसका नाम वीरता पुरस्कार के लिए भेजा जाएगा।

पौड़ी में आतंक का पर्याय नरभक्षी गुलदार ढेर

पौड़ी जिले के पाबौ ब्लाक में आतंक का पर्याय बने नरभक्षी गुलदार को मार गिराया गया। दो अक्टूबर को इस गुलदार ने मां के साथ घास लेकर लौट रही 10 वर्षीय बच्ची को निवाला बनाया था। मारे गए गुलदार की उम्र छह से सात वर्ष के बीच है।

इन दिनों पौड़ी जिले के कई गांव गुलदार के आतंक से त्रस्त हैं। लोग दिन ढलने के बाद घरों से बाहर निकलने से कतरा रहे हैं। बीते बुधवार को 10 वर्षीय बच्ची की मौत से गुस्साए ग्रामीणों ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम लगाकर हंगामा किया। गढ़वाल वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी लक्ष्मण सिंह रावत ने बताया कि गुलदार को नरभक्षी घोषित कर मारने के आदेश जारी किए थे। इसके लिए शिकारी अजहर खान व विपिन ख्याली को तैनात किया गया। ये दोनों शिकारी घटना स्थल के पास मचान बनाकर गुलदार की गतिविधियों पर नजर रख रहे थे। रविवार शाम को करीब छह बजे गुलदार घटना स्थल के पास नजर आया।

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इसके बाद सात बजे गुलदार फिर दिखा तो शिकारी अजहर खान ने गोली चला दी। गोली लगने से घायल गुलदार जंगल में भाग गया। रातभर शिकारी घायल गुलदार को तलाशते रहे। सोमवार सुबह वह जंगल में नजर आया तो शिकारियों ने फिर गोली चलाई। इस पर नरभक्षी ढेर हो गया। प्रभागीय वनाधिकारी ने बताया कि क्षेत्र में और भी गुलदारों की मौजूदगी सामने आई है। इसके लिए गांवों के आसपास पिंजरे लगाए हैं।

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