सीएयू ने लागू किया बीसीसीआइ का संविधान, कई पदाधिकारियों को छोड़ना होगा पद

क्रिकेट एसोसिएशन में मठाधीशी खत्म करने और पारदर्शिता लाने की दिशा में क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (सीएयू) ने बीसीसीआइ का नया संविधान लागू कर दिया है।

By Edited By: Publish:Mon, 24 Sep 2018 03:00 AM (IST) Updated:Mon, 24 Sep 2018 12:07 PM (IST)
सीएयू ने लागू किया बीसीसीआइ का संविधान, कई पदाधिकारियों को छोड़ना होगा पद
सीएयू ने लागू किया बीसीसीआइ का संविधान, कई पदाधिकारियों को छोड़ना होगा पद

देहरादून, [जेएनएन]: क्रिकेट एसोसिएशन में मठाधीशी खत्म करने और पारदर्शिता लाने की दिशा में क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (सीएयू) ने बड़ी पहल की है। सीएयू ने बीसीसीआइ का नया संविधान लागू कर दिया है। संविधान में आयु सीमा की बाध्यता नियम के चलते एसोसिएशन के अध्यक्ष, सचिव व कोषाध्यक्ष को पद छोड़ना होगा। इससे एसोसिएशन में सभी पदों पर नए सिरे से चुनाव कराने होंगे। 

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में बीसीसीआइ का नया संविधान लागू किया गया है। इसमें क्रिकेट में एकाधिकार खत्म करने व पारदर्शिता लाने के लिए कई सख्त प्रावधान किए गए हैं। बीसीसीआइ की प्रशासक समिति ने उत्तराखंड की क्रिकेट एसोसिएशनों को भी संविधान लागू करने के निर्देश दिए थे। इस कड़ी में सीएयू ने संविधान को अपना लिया है।

एसोसिएशन ने उप निबंधक फर्म सोसायटी एंड चिट्स देहरादून में पंजीयन करा दिया है। इससे सीएयू के सदस्य नए संविधान के पालन को बाध्य होंगे। सबसे अहम यह कि एसोसिएशन के वर्तमान अध्यक्ष हीरा सिंह बिष्ट, सचिव पीसी वर्मा व कोषाध्यक्ष पद पर एएस लिंगवाल की उम्र 70 वर्ष से अधिक है। इससे नियमानुसार ये पदाधिकारी पद छोड़ने को बाध्य होंगे। क्योंकि नए संविधान में निर्धारित अधिकतम आयु सीमा का सख्त प्रावधान है। 

सीएयू के सचिव महिम वर्मा ने बताया कि जल्द ही एसोसिएशन के पांचों पदों पर चुनाव कराए जाएंगे। दूसरी एसोसिएशनों पर दबाव सीएयू की इस सकारात्मक पहल से अन्य क्रिकेट एसोसिएशनों पर भी बीसीसीआइ के नए संविधान को लागू करने का दबाव बनेगा। 

अगर वह ऐसा नहीं करती तो ऐसे में उनकी मंशा पर सवाल उठना भी तय है। क्योंकि नया संविधान क्रिकेट की बेहतरी को लागू हुआ है। संभव है कि जल्द ही अन्य एसोसिएशन भी इसे लागू कर दें। 

ये हैं मुख्य प्रावधान 

-एसोसिएशन में पांच पद निर्धारित 

-पदाधिकारी की अधिकतम आयु 70 वर्ष से अधिक न हो 

-कोई भी पदाधिकारी सरकारी पद पर न हो 

-पदाधिकारी के कार्यकाल की सीमा तीन वर्ष हो

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