पीपीपी मोड में स्थापित हो सकेंगे ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन

फसल कटाई से जुड़े आंकड़े जुटाने के लिए अब राज्य के पर्वतीय क्षेत्र की न्याय पंचायतों में पीपीपी मोड पर भी ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन स्थापित किए जा सकेंगे।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Mon, 31 Aug 2020 11:38 AM (IST) Updated:Mon, 31 Aug 2020 11:38 AM (IST)
पीपीपी मोड में स्थापित हो सकेंगे ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन
पीपीपी मोड में स्थापित हो सकेंगे ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन

देहरादून, राज्य ब्यूरो। फसल कटाई से जुड़े आंकड़े जुटाने के लिए अब राज्य के पर्वतीय क्षेत्र की न्याय पंचायतों में पीपीपी मोड पर भी ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन स्थापित किए जा सकेंगे। केंद्र सरकार इसके लिए 50 फीसद धनराशि मुहैया कराएगी। इस योजना में पूर्वोत्‍तर राज्यों की भांति उत्तराखंड को भी 90:10 के फंडिंग पैटर्न में शामिल करने के राज्य सरकार के अनुरोध पर केंद्र ने सहमति जताई है।

उत्तराखंड में हर साल ही अतिवृष्टि, भूस्खलन जैसी आपदाओं से फसलों को भारी क्षति पहुंचती है। बावजूद इसके तय मानकों के अंतर्गत न आने से किसानों को क्षतिपूर्ति नहीं मिल पाती। वजह ये कि राज्य के मैदानी क्षेत्रों में क्षति के आकलन को न्याय पंचायत और पर्वतीय क्षेत्रों में तहसील को इकाई माना गया है। मौसम का जैसा मिजाज है, उसमें किसी गांव में अधिक नुकसान पहुंचता है और किसी में कम। जब इकाई के आधार पर क्षति का आकलन होता है तो यह मानकों के अंतर्गत नहीं आ पाता। 33 फीसद से ज्यादा नुकसान पर ही क्षतिपूर्ति देने का प्रविधान है।

इसे देखते हुए मौजूदा सरकार ने मैदानी क्षेत्रों में गांव और पर्वतीय क्षेत्र में न्याय पंचायत को इकाई मानने का निर्णय लिया है। इसी के दृष्टिगत मैदानी क्षेत्रों में फसल कटाई के आंकड़े आउटसोर्स के जरिये और पर्वतीय क्षेत्र में ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन के माध्यम से जुटाने का निश्चय किया गया है। असल में आपदा से फसल क्षति के आकलन में फसल कटाई के आंकड़े मुख्य भूमिका निभाते हैं। इनके आधार पर ही क्षेत्र विशेष में क्षति का आकलन किया जाता है। 

इसी कड़ी में पर्वतीय क्षेत्र की न्याय पंचायतों में ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन स्थापित किए जाने हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत इसके लिए 50 प्रतिशत राशि केंद्र की ओर से मुहैया कराने का प्रविधान है, जबकि 50 प्रतिशत की व्यवस्था राज्य को करनी होती है। अलबत्ता, पूर्वोत्‍तर राज्यों की विषम परिस्थितियों को देखते हुए वहां इसके लिए फंडिंग पैटर्न 90:10 का है। राज्य के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने केद्रीय कृषि मंत्री को पत्र भेजकर पूर्वोत्तर राज्यों की भांति उत्तराखंड को इसी फंडिंग पैटर्न में शामिल करने का आग्रह किया था।

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अब केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि मंत्री सुबोध उनियाल को भेजे पत्र में बताया है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में यह प्रविधान किया गया है कि राज्य सरकार पीपीपी मोड पर भी ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन की स्थापना करा सकती है। उन्होंने यह भी कहा है कि योजना को प्रभावशाली व किसान हितैषी बनाना एक निरंतर प्रक्रिया है। इसी कड़ी में पूर्व में योजना संशोधन भी किए गए हैं। अगले संशोधन के दौरान उत्तराखंड को भी पूर्वोत्‍तर राज्यों की भांति 90:10 के अनुरूप फंडिंग पैटर्न में शामिल करने पर विचार किया जाएगा।

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