छात्रवृत्ति घोटाला: कार्रवाई के डर से अफसरों की उड़ी रातों की नींद

अगर सरकार ने छात्रवृत्ति घोटाला की जांच कराई तो कई पर शिकंजा कसना तय है। खासकर लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सरकार घोटाले का नफा और नुकसान का आकलन कर कार्रवाई कर सकती है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Sun, 20 Jan 2019 02:57 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jan 2019 02:57 PM (IST)
छात्रवृत्ति घोटाला: कार्रवाई के डर से अफसरों की उड़ी रातों की नींद
छात्रवृत्ति घोटाला: कार्रवाई के डर से अफसरों की उड़ी रातों की नींद

देहरादून, जेएनएन। करोड़ों की छात्रवृत्ति घोटाले में फंस रहे अफसरों की रातों की नींद उड़ गई है। एनएच-74 की तर्ज पर अगर सरकार ने छात्रवृत्ति घोटाला की जांच कराई तो कई पर शिकंजा कसना तय है। खासकर लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सरकार घोटाले का नफा-नुकसान का आकलन कर कार्रवाई कर सकती है। सूत्रों का कहना है कि छात्रवृत्ति योजना का लाभ उठाने वाले संस्थानों के बाद सत्यापन करने वाले अफसरों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। यही कारण है कि जांच की आंच से बचने के लिए कई अफसर रास्ते तलाशने में जुट गए हैं। 

दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाले की जांच अभी तक सिर्फ हरिद्वार और देहरादून जिले तक सिमटी है। एसआइटी को पूरे प्रदेश में हुए घोटाले की जांच करनी है। अभी तक एसआइटी ने संदिग्ध कॉलेज और प्रोफेशनल संस्थानों को राडार पर लिया है। इसके बाद से संस्थानों के अधिकारी, समाज कल्याण विभाग और सत्यापन करने वाले अधिकारी जांच के दायरे में आ गए हैं। यही कारण है कि समाज कल्याण विभाग के साथ जिलों में तैनात रहे प्रशासनिक अफसरों के लिए अपनी ही रिपोर्ट गले की हड्डी बनने लगी है। 

एसआइटी इस मामले में प्राथमिक जानकारी जुटा रही है। पुख्ता सबूत मिलते ही इस पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है। इसी वजह से घोटाले में संलिप्त अफसरों में बेचैनी नजर आ रही हैं। सूत्रों की मानें तो एसआइटी प्रभारी मंजूनाथ टीसी ने जो रिपोर्ट हाईकोर्ट में दी है, उसमें समाज कल्याण विभाग से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका का भी जिक्र किया गया है। 

इस रिपोर्ट के आधार पर निष्पक्ष जांच हुई तो प्रकरण में बड़ी कार्रवाई से इन्कार नहीं किया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस सरकार के दौरान जिस तरह से एनएच-74 घोटाला सामने आया है, ठीक 2011-12 के बाद छात्रवृत्ति घोटाला कांग्रेस सरकार के दौरान होना पाया गया है। ऐसे में लोकसभा चुनाव से एनमौके पर सरकार इसका नफा-नुकसान देखकर कार्रवाई की तैयारी कर रही है। 

मुकदमे के बाद भी निलंबन नहीं 

छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता रवींद्र जुगरान ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजते हुए प्रकरण में निष्पक्ष जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि डोईवाला और हरिद्वार में दर्ज मुकदमे में आरोपितों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उनका कहना है कि प्रकरण में अफसरों का गठजोड़ जांच को प्रभावित करने की कोशिश में जुटा है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण मुख्यमंत्री के निर्देश पर बनी एसआइटी को खत्म कर आनन-फानन में दूसरी एसआइटी बनाया जाना है। 

एक साल तक लटकाए रखी जांच   

छात्रवृत्ति घोटाले में मुख्यमंत्री ने जून 2017 में एसआइटी गठन के निर्देश दिए थे। मगर, कई माह तक इस मामले में कार्रवाई नहीं हुई। एसआइटी गठित होने के बाद भी छह माह तक जांच शुरू नहीं हो पाई। इसके पीछे अफसरों का दबाव बताया जा रहा है। आरोप है कि जांच की आंच उन तक न पहुंचे, ऐसे में एसआइटी जांच को ठंडे बस्ते में डाला गया। 

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