Year Ender 2021: वन्यजीव सुरक्षित रहें और मनुष्य भी, अब तक वन्यजीवों के हमलों में 888 व्यक्तियों को गंवानी पड़ी जान

Year Ender 2021 उत्तराखंड को अस्तित्व में आए 21 साल हो चुके हैं लेकिन ऐसे कई विषय हैं जिनका अभी तक समाधान नहीं हो पाया है। राज्य में निरंतर गहराता मानव-वन्यजीव संघर्ष। राज्य गठन से लेकर अब तक वन्यजीवों के हमलों में 888 व्यक्तियों को जान गंवानी पड़ी है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Fri, 31 Dec 2021 01:54 PM (IST) Updated:Fri, 31 Dec 2021 01:54 PM (IST)
Year Ender 2021: वन्यजीव सुरक्षित रहें और मनुष्य भी, अब तक वन्यजीवों के हमलों में 888 व्यक्तियों को गंवानी पड़ी जान
राज्य गठन से लेकर अब तक वन्यजीवों के हमलों में 888 व्यक्तियों को जान गंवानी पड़ी है।

केदार दत्‍त, देहरादून। Year Ender 2021: उत्तराखंड को अस्तित्व में आए 21 साल हो चुके हैं, लेकिन ऐसे कई विषय हैं, जिनका अभी तक समाधान नहीं हो पाया है। इन्हीं में एक है 71.05 प्रतिशत वन भूभाग वाले इस राज्य में निरंतर गहराता मानव-वन्यजीव संघर्ष। आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो राज्य गठन से लेकर अब तक वन्यजीवों के हमलों में 888 व्यक्तियों को जान गंवानी पड़ी है, जबकि 4490 घायल हुए हैं। ऐसे में सवाल निरंतर गहरा रहा है कि आखिर यह संघर्ष कब थमेगा। यद्यपि, इसकी रोकथाम के लिए कदम जरूर उठाए गए, मगर अभी बहुत काम किया जाना बाकी है। उम्मीद जताई जा रही है कि नए वर्ष में आने वाली नई सरकार इस विषय के समाधान के लिए प्रभावी कार्ययोजना तैयार कर धरातल पर उतारेगी। इस तरह के कदम उठाए जाएंगे, जिससे मनुष्य सुरक्षित रहे और वन्यजीव भी।

सालभर तारी रहा वन्यजीवों का खौफ

पिछले वर्षों की भांति बीते वर्ष भी उत्तराखंड में पहाड़ से लेकर मैदान तक वन्यजीवों का खौफ तारी रहा। गुलदार और हाथियों के एक के बाद एक हमलों से नींद उड़ी रही तो भालू भी नई मुसीबत के रूप में उभरकर सामने आए हैं। भालू के हमलों में किसी की जान तो नहीं गई, लेकिन करीब चार दर्जन लोग घायल हुए हैं। इस बार तो भालू शीतकाल में भी अधिक सक्रिय हैं। फिर चाहे वह चमोली जिले की बात हो, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी अथवा पिथौरागढ़ की, वहां के उच्च शिखरीय क्षेत्रों में सर्दियों में भी भालू के हमले बढ़े हैं। वह भी तब जबकि अमूमन शीतकाल में भालू शीत निंद्रा के लिए गुफाओं में चले जाते हैं। ऐसे में भालू नई चुनौती बने हैं।

प्रयास तो हुए, मगर नहीं मिला धरातल

मानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम के लिए इस वर्ष कुछ प्रयास जरूर हुए, लेकिन इन्हें धरातल नहीं मिल पाया। वन्यजीव विशेषकर गुलदार प्रभावित क्षेत्रों में वालेंटरी विलेज प्रोटेक्शन फोर्स के गठन का निर्णय लिया गया। कसरत भी हुई, लेकिन यह पूरी तरह परवान नहीं चढ़ पाई है। इसी तरह वन्यजीवों को आबादी की तरफ आने से रोकने के लिए झालर सौर ऊर्जा बाड़ के प्रयोग हुए और सफल भी रहे, लेकिन यह मुहिम उस तरह आकार नहीं ले पाई, जिसकी दरकार है। इसी तरह क्विक रिस्पांस टीमों का गठन, वन सीमा पर वन्यजीवरोधी दीवारों का निर्माण समेत अन्य कदम तो उठाए गए, पर ये वन्यजीवों को जंगल की देहरी लांघने से नहीं रोक पाए। यही नहीं, रेडियो कालर लगाकर वन्यजीवों के व्यवहार के अध्ययन के प्रयास भी चल रहे हैं, जिनके नतीजों पर सबकी नजरें टिकी हैं।

गहन अध्ययन की है जरूरत

बदली परिस्थितियों में जिस तरह से वन्यजीवों के व्यवहार में बदलाव देखा जा रहा है, उसे देखते हुए फौरी नहीं, बल्कि गहन अध्ययन की जरूरत है। वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक विनोद सिंघल भी मानते हैं कि यह समय की मांग है। विभाग ने इस दिशा में कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। जर्मन एजेंसी जीआइजेड और भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से गुलदार, हाथी, भालू जैसे जानवरों के व्यवहार का अध्ययन कराने का निर्णय लिया गया है। नए वर्ष में अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर मानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम के लिए और अधिक प्रभावी कदम उठाने की योजना है। इस कड़ी में क्या-क्या हो सकता है, वन्यजीव वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों से सुझाव लिए जा रहे हैं।

बदलना तो मनुष्य को ही होगा

प्रदेश में जिस तरह से मानव-वन्यजीव संघर्ष गहरा रहा है, उसे देखते हुए यह साफ है कि वन्यजीव तो अपना व्यवहार बदलेंगे नहीं, मनुष्य को ही बदलना होगा। जानकारों के अनुसार इसके लिए जियो और जीने दो के सिद्धांत पर आगे बढ़ते हुए सह-अस्तित्व की भावना के अनुरूप कदम उठाने होंगे।

21 साल में वन्यजीवों के हमले वन्यजीव----मृतक----घायल गुलदार------476----1481 हाथी---------191----195 बाघ----------48--------98 भालू---------00----1685 सांप--------142-------429 अन्य---------31------602

मृत प्रमुख वन्यजीव वन्यजीव----संख्या गुलदार------------1501 हाथी----------------465 बाघ----------------164

2021 में वन्यजीवों के हमले वन्यजीव----मृतक, घायल गुलदार--------20--------52 हाथी-----------05-------11 भालू------------00-------47 सांप------------07-------56 सूअर-----------00--------09

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