'पहुंच' वालों के लिए शहर भी 'दूर'

जागरण संवाददाता, देहरादून: तबादले की भूलभुलैया भी अजब है। यहां कौन सा 'गणित' चलता है, इसका तक अता-पत

By Edited By: Publish:Sat, 05 Sep 2015 09:36 PM (IST) Updated:Sat, 05 Sep 2015 09:36 PM (IST)
'पहुंच' वालों के लिए शहर भी 'दूर'

जागरण संवाददाता, देहरादून: तबादले की भूलभुलैया भी अजब है। यहां कौन सा 'गणित' चलता है, इसका तक अता-पता नहीं। अब स्वास्थ्य विभाग का ही उदाहरण लीजिए। विभाग में 16 चिकित्सकों के तबादले किए, मगर हैरत यह कि इनमें छह को उसी स्थान पर तैनाती दे दी गई। इनमें पांच सुगम में हैं। ऐसे में फिर वही सवाल उठ खड़ा हुआ कि आखिर डॉक्टर साहब पहाड़ कैसे चढ़ेंगे।

स्वास्थ्य विभाग लंबे समय से ट्रांसफर लिस्ट पर उलझा रहा। यहां तक की दीर्घ ठहराव की अवधि 10 से 12 और फिर 14 साल कर दी गई। मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद स्थानांतरण सूची पर दोबारा कसरत हुई। इस बीच पहाड़ से जी चुराने वाले कई डॉक्टर विभाग को नौकरी छोड़ने तक का भय दिखाते रहे। शुक्रवार शाम शासन ने संयुक्त निदेशक व अपर निदेशक पद पर तैनात चिकित्साधिकारियों की तबादला सूची जारी की। जिसमें प्रदेशभर से 16 डॉक्टरों के स्थानांतरण किए गए। लेकिन, इनमें छह डॉक्टरों को पुन: उसी स्थान पर एडजस्ट कर दिया गया। ऐसे में तबादलों को लेकर प्रश्न खड़ा हो गया है। डॉक्टर ही कह रहे हैं कि सरकार ने मानकों को ताक पर रखकर चहेते डॉक्टरों को सुगम से सुगम में ही तैनाती दे दी। इससे चिकित्सकों में रोष भी है। प्रश्न यह भी उठ रहा है कि यदि सरकार दुर्गम क्षेत्रों में सरकारी सेवाएं दुरुस्त करने की बात कर रही है तो पहाड़ में विशेषज्ञ डॉक्टरों को तैनाती क्यों नहीं दी जा रही। जबकि, पहाड़ों में अधिकांशत: विशेषज्ञ डॉक्टरों की ही जरूरत है।

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विशेषज्ञ डॉक्टरों को ही वर्तमान तैनाती स्थल पर तैनाती दी गई है। साथ ही उम्र 55 वर्ष से अधिक होने व स्वास्थ्य संबंधी कारणों से कुछ डॉक्टर दुर्गम में नहीं भेजे गए।

-ओम प्रकाश, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य

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