देश में 101 हाथी कॉरीडोर, अधिकतर पर बढ़ रहा है दबाव Dehradun News
मानव और हाथी के बीच बढ़ रहा संघर्ष चिंताजनक स्थिति की तरफ बढ़ रहा है। इस बात को देखते हुए विश्व हाथी दिवस पर भारतीय वन्यजीव संस्थान में मंथन किया गया।
देहरादून, जेएनएन। मानव और हाथी के बीच बढ़ रहा संघर्ष चिंताजनक स्थिति की तरफ बढ़ रहा है। इस बात को देखते हुए विश्व हाथी दिवस पर भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) में मंथन किया गया। साथ ही उन तकनीक पर प्रकाश डाला गया, जिससे इस संघर्ष विराम को रोका नहीं तो कम से कम न्यूनतम स्तर तक लाया जा सकता है। कार्यक्रम में हाथी क प्रतीतात्मक स्वरुप का अनावरण किया गया।
सोमवार को डब्ल्यूआइआइ में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल विश्व के मुकाबले ढाई फीसद भी नहीं है, जबकि यहां सात फीसद से अधिक जैवविविधता है। उसमें भी देश की कुल जैवविविधता में उत्तराखंड का योगदान करीब 28 फीसद है। हालांकि, इस बड़े वन्य भूभाग के चलते लोगों और सरकार के सामने बड़ी चुनौती भी है। जिसमें मानव-हाथी संघर्ष भी बड़ी चुनौती है। इसे दूर करने के लिए वन विशेषज्ञों को हरसंभव प्रयास करने चाहिए।
वहीं, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन के अपर सचिव प्रवीण गर्ग ने कहा कि विशेषज्ञ संस्थान इस संघर्ष को रोकने के लिए जो भी सुझाव दे रहे हैं, उन पर त्वरित रूप से काम किया जा रहा है। क्योंकि अब तक के अध्ययन के अनुसार देश में 101 हाथी कॉरीडोर हैं और अधिकतर पर दबाव बढ़ रहा है।
कार्यक्रम में रेलवे ट्रैक पर दुर्घटना से होने वाली हाथियों की मौत को रोकने के लिए अपनाई जा रही आधुनिक तकनीक पर प्रस्तुतीकरण भी दिया गया। साथ ही विश्व हाथी दिवस पर उपलक्ष्य पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत भी किया गया। इस अवसर पर महानिदेशक वन सिद्धांत दास, प्रमुख वन संरक्षक जयराज, नोयल थॉमस, डब्ल्यूआइआइ के निदेशक डॉ. वीबी माथुर, सीके मिश्रा आदि उपस्थित रहे।
उत्तराखंड के दो कॉरीडोर बेहद बाधित
भारतीय वन्यजीव संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बी पांडव ने कहा कि उत्तराखंड के गढ़वाल में कोटद्वार के पास तट गदेरा व कुमाऊं में गौला क्षेत्र के एलीफैंट कॉरीडोर (हाथी गलियारा) बेहद संकरे हो चुके हैं। इनको खोलने के लिए सरकार के स्तर पर पुख्ता प्रयास करने की जरूरत है।
छत्तीसगढ़ में छह हाथियों पर लगाए रेडियो कॉलर
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. पांडव ने बताया कि छत्तीसगढ़ में हर साल हाथियों के हमले में 60 से 70 लोगों की मौत हो रही है। इसे देखते हुए छह हाथियों पर रेडियो कॉलर लगाकर दो साल से मॉनिटरिंग की जा रही है। पता लगाया जा रहा है कि उनका मूवमेंट किस वजह से और कब आबादी की तरफ होता है। यदि हाथियों के व्यवहार पर किया जा रहा यह प्रयोग सफल हुआ तो देशभर के लिए इससे नई राह खुल सकती है।
पेंटिंग प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागी
स्कूल, पहला, दूसरा, तीसरा
उच्च माध्यमिक डोईवाला-अंजुम निशा, दीप्ति, रहनुमा
ब्लू स्टार वनगुजर जुनियर हाईस्कूल, समीर-रिया, सान्या
जीआइसी लाल ढांग-सान्या, डॉली, नितिन सैनी
जीआइसी गैंडी खाता-भाग्यश्री, महक अंसारी, पूजा पोखरियाल
हाईस्कूल टाटावाला-प्रियंका, आंचल, अंजलि
जू.हा. लाल ढांग-शहनवाज, सोहेेल, सोनम
जीआइसी बीएचईएल-पिंकी, अक्षय पाल, अनुराधा
हाईस्कूल पीली पड़ाव-दिनेश कुमार, संदीप कुमार, सुरजीत सिंह
इंटर कॉलेज श्यामपुर-उर्वशी, पल्लवी, रूपाली।
क्विज के विजेता प्रतिभागी (टीम-कक्ष छह से आठ)
पहला, एन मैरी स्कूल, देहरादून
दूसरा, एशियन स्कूल, देहरादून
तीसरा, डीएवी पब्लिक स्कूल, देहरादून
(कक्षा नौ से ग्यारह)
पहला, हेरीटेज स्कूल, देहरादून
प्रेजीडेंसी स्कूल, देहरादून
डीपीएस, गाजियाबाद
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