उक्रांद ने गैरसैंण को स्‍थायी राजधानी घोषित करने को शुरू किया उपवास

राजधानी संघर्ष समिति के सहयोग से उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) के नेता उमेश खंडूड़ी ने गैरसैंण को जिला और स्‍थायी राजधानी घोषित करने के लिए रविवार से रामलीला मैदान परिसर में दो दिवसीय उपवास शुरू कर दिया है।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Sun, 01 Nov 2020 09:03 PM (IST) Updated:Sun, 01 Nov 2020 10:37 PM (IST)
उक्रांद ने गैरसैंण को स्‍थायी राजधानी घोषित करने को शुरू किया उपवास
रविवार से रामलीला मैदान में दो दिवसीय उपवास शुरू कर दिया है।

गैरसैंण (चमोली), जेएनएन। राजधानी संघर्ष समिति के सहयोग से उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) के नेता उमेश खंडूड़ी ने गैरसैंण को जिला व स्‍थायी राजधानी घोषित करने के लिए रविवार से रामलीला मैदान में दो दिवसीय उपवास शुरू कर दिया है। संघर्ष समिति के अध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट ने कहा कि जनता का आंदोलन में सहयोग मिल रहा है। निर्णय लिया गया कि गैरसैंण को जब तक ज़िला व पूर्ण राजधानी घोषित नहीं करगें तब तक संघर्ष जारी रहेगा।

उन्‍होंने कहा कि समय समय पर जनप्रनिधियों के माध्‍यम से भी मांग की जा रही है, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिससे क्षेत्रीय दल में रोष बना हुआ है। उन्‍होंने कहा कि इस मांग पर जनता का पूरा समर्थन मिल रहा है। इस मौके पर दल के ब्‍लॉक अध्यक्ष रंजीत शाह, अंकित खंडूड़ी,विनोद नेगी,आकाश पुजारी ,अनिल नेगी,नंदन सिंह आदि मौजूद थे।

देहरादून में हुआ उक्रांद महिला प्रकोष्‍ठ का सम्‍मेलन 

देहरादून में उत्तराखंड क्रांति दल महिला प्रकोष्ठ का एक दिवसीस सम्‍मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन में कोरोनाकाल में उत्कृष्ट कार्य व लगन के जनसेवा करने वाली देहरादून की नगर अधीक्षक श्‍वेता चौबे को सम्मानित किया।

सम्मेलन का प्रारंभ मुख्य अतिथि राज्‍य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी ने दीप प्रज्वलित कर किया। उन्‍होंने कहा कि आज 50 फीसद महिला आबादी होने के बावजूद आज महिला सशक्तिकरण और सुरक्षा का सवाल आज के समाज मे उठाया जा रहा है। महिलाएं देश के राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री पदों में रहते हुए देश में अनेक क्षेत्रों में अपनी सेवा देकर नाम ऊंचा कर रही हैं।

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समाज मे महिलाओं को अपने आप में सुदृढ़ और साहसी होना पड़ेगा। महारानी लक्ष्मीबाई से लेकर चिपको आंदोलन की जनक गौरा देवी, राज्य के लिये प्रथम जान न्योछावर करने वाली शहीद हंशा धनाई औऱ बेलमति चौहान के साहस इतिहास की लकीर बनकर स्वर्ण अक्षरों में लिखा है, जो महिलाओं के साहस का प्रतीक है। इस मौके पर प्रकोष्ठ की केंद्रीय अध्यक्ष प्रमिला रावत, मीनाक्षी घिल्डियाल, सरिता गौड़, निर्मला बिष्ट, निशा अतुल्य, उषा भट्ट, अल्पना जदली, प्रमिला राठौर आदि मौजूद रहे।  

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