भारत-चीन सीमा पर कमजोर पड़ रही हमारी द्वितीय रक्षापंक्ति

भारत-चीन सीमा से लगे जोशीमठ विकासखंड की द्वींग तपोण ग्राम पंचायत में पलायन चिंता का सबब बन रहा है। इन गांवों के निर्जन होते जाने से सीमा पर द्वितीय रक्षापंक्ति कमजोर पड़ रही है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Fri, 05 Oct 2018 09:14 AM (IST) Updated:Sat, 06 Oct 2018 08:30 AM (IST)
भारत-चीन सीमा पर कमजोर पड़ रही हमारी द्वितीय रक्षापंक्ति
भारत-चीन सीमा पर कमजोर पड़ रही हमारी द्वितीय रक्षापंक्ति

गोपेश्‍वर, चमोली [देवेंद्र रावत]: सीमावर्ती क्षेत्रों के गांवों से बढ़ता पलायन चिंता का सबब बन रहा है। सीमा पर बसी आबादी को द्वितीय रक्षापंक्ति कहा जाता है, जो सीमा की सतत निगरानी में मददगार साबित होती है। इन गांवों के निर्जन होते जाने से सीमा पर द्वितीय रक्षापंक्ति कमजोर पड़ती जा रही है।

सरकार सीमावर्ती गांवों के विकास के लाख दावे करे, घोषणाएं करे और योजनाएं बनाए, लेकिन जमीनी हकीकत संतोषप्रद नहीं है। इसकी बानगी है चमोली, उत्तरांखड के भारत-चीन सीमा से लगे जोशीमठ विकासखंड की द्वींग तपोण ग्राम पंचायत। स्वीकृति के नौ साल बाद भी यहां अदद सड़क नहीं पहुंच पाई। यह स्थिति तब है, जब इस पंचायत को अटल आदर्श ग्राम की श्रेणी में रख विकास को वरीयता देने का दावा किया गया था। 

द्वींग तपोण गांव के लिए नौ वर्ष पूर्व सड़क मंजूर होने के बाद वनभूमि के हस्तांतरण की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई, लेकिन काम शुरू नहीं हो सका। मामला सैद्धांतिक स्वीकृति पर अटका हुआ है। नतीजा, गांव के प्रवेश मार्ग पर लगा अटल आदर्श ग्राम का बोर्ड मुंह चिढ़ाता नजर आता है। 

द्वींग तपोण ग्राम पंचायत को वर्ष 2009 में अटल आदर्श ग्राम का दर्जा मिला था। तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सात किमी लंबे लंगसी-द्वींग तपोण मार्ग का शिलान्यास भी कर दिया। साथ ही सड़क निर्माण के लिए 3.24 करोड़ रुपये की धनराशि भी लोक निर्माण विभाग को आवंटित कर दी गई, लेकिन सड़क नहीं बन सकी। 

अगर सड़क का निर्माण हो गया होता तो 120 परिवारों वाली ग्राम पंचायत की 600 की आबादी को पैदल पगडंडियां नहीं नापनी पड़तीं। द्वींग तपोण की प्रधान रीना देवी बताती हैं कि सड़क को लेकर ग्रामीणों ने कई बार आंदोलन भी किए। यहां तक कि तहसील मुख्यालय जोशीमठ में बेमियादी अनशन पर भी बैठे। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसी की परिणति है कि लोग धीरे-धीरे शहरों की ओर रुख करते गए। पलायन का सिलसिला जारी है।

सीमावर्ती गांवों से बढ़ता पलायन निश्चित रूप से चिंता का विषय है। द्वींग तपोण की ग्राम प्रधान रीना देवी कहती हैं कि आए दिन भारतीय सीमा में चीनी सैनिकों के घुसपैठ की सूचना मिलती रहती है। ऐसे में सीमा पर स्थित गांवों का आबाद रहना जरूरी है। हमें भूलना नहीं चाहिए कि कारगिल में पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ की जानकारी भी सबसे पहले सीमा क्षेत्र के एक ग्रामीण ने ही भारतीय सेना को दी थी। 

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