चमोली में ग्रामीणों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बना मशरूम मैन

चमोली जिले का एक युवा मशरूम उत्पादन कर न सिर्फ स्वरोजगार को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि ग्रामीणों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बना हुआ है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Mon, 10 Apr 2017 01:41 PM (IST) Updated:Thu, 13 Apr 2017 05:10 AM (IST)
चमोली में ग्रामीणों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बना मशरूम मैन
चमोली में ग्रामीणों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बना मशरूम मैन

गैरसैंण, [जोध सिंह रावत]: सीमांत चमोली जिले का एक युवा मशरूम उत्पादन कर न सिर्फ स्वरोजगार को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि ग्रामीणों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बना हुआ है। रोजाना 20 से 25 किलो मशरूम उगाकर वह खुद तो तीन से चार हजार रुपये कमाता ही है, उत्पादन कार्य से ग्रामीणों को जोड़कर रोजगार के अवसर भी पैदा कर रहा है। कम समय में अधिक आय का मंत्र दे रहे इस युवक की इकाई को देखने रोजाना बड़ी तादाद में आसपास के गांवों के ग्रामीण पहुंचते हैं, लेकिन लौटते व्यवसाय से जुड़ने का मन बनाकर ही हैं।

तहसील मुख्यालय गैरसैंण से आठ किमी दूर धुनारघाट-मठकोट मोटर मार्ग पर स्थित ग्राम पजियाणा निवासी 35 वर्षीय भागवत जुयाल ने कुछ माह पूर्व मशरूम उत्पादन का मन बनाया। परीक्षण के तौर पर उसने पॉलीथिन बैग में मशरूम उगाई, जिसमें उसे आशातीत सफलता मिली। लिहाजा उसने बड़े पैमाने पर मशरूम उगाने का निर्णय लिया। इसके लिए उसने गांव के समीप चार कमरों का भवन बनाया। इनमें से दो कमरों में बांस के डंडों बहुपरतीय मशरूम बैड बनाए गए हैं, जबकि अन्य दो कमरों को छंटाई व स्टोर के रूप में प्रयुक्त किया जा रहा है।

वर्तमान में भागवत गांव के एक युवा और दो महिलाओं को रोजगार भी दे रहे हैं। मशरूम इकाई की देखभाल कर रहे जनार्दन प्रसाद जुयाल बताते हैं कि फिलहाल इकाई से रोजाना 20 से 30 किलो बटन प्रजाति का मशरूम उत्पादन हो रहा है। बाजार में इसकी कीमत 200 रुपये प्रति किलो मिल जाती है। 

उन्होंने बताया कि यदि सरकार समीपस्थ गांवों के ग्रामीणों को मशरूम उगाने का प्रशिक्षण व सहायता दे तो स्थानीय बेरोजगारों को स्वरोजगार से जोड़ा जा सकता है। भागवत बताते हैं कि अब उनका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों को मशरूम उत्पादन से जोड़ना है। ताकि उन्हें रोजगार के लिए शहरों की ओर पलायन न करना पड़े।

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