Chamoli News: शीतकाल के लिए बंद हुए बदरीनाथ धाम के कपाट, इस सीजन में पहुंचे रिकार्ड 17.60 लाख तीर्थ यात्री

Chamoli News बदरीनाथ धाम के कपाट शनिवार को दोपहर बाद 3.35 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। सुबह 4.30 बजे अभिषेक पूजा के साथ बाहर से दर्शनों का क्रम शुरू हुआ और आठ बजे से मंदिर के अंदर दर्शन होने लगे।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Sat, 19 Nov 2022 07:18 PM (IST) Updated:Sat, 19 Nov 2022 07:18 PM (IST)
Chamoli News: शीतकाल के लिए बंद हुए बदरीनाथ धाम के कपाट, इस सीजन में पहुंचे रिकार्ड 17.60 लाख तीर्थ यात्री
Chamoli News बदरीनाथ धाम के कपाट शनिवार को दोपहर बाद 3.35 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए।

संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: Chamoli News बदरीनाथ धाम के कपाट शनिवार को दोपहर बाद 3.35 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इस मौके पर पांच हजार से अधिक तीर्थ यात्रियों ने भगवान बदरी नारायण के दर्शन किए। इसी के साथ चारधाम यात्रा ने विधिवत रूप से विराम ले लिया। इस यात्रा सीजन में रिकार्ड 17 लाख 60 हजार 649 तीर्थ यात्री भगवान नारायण के दर्शनों को पहुंचे, जो कि अब तक की सबसे बड़ी संख्या है।

मंदिर की 15 क्विंटल फूलों से भव्य सजावट

कपाटबंदी के मौके पर मंदिर की 15 क्विंटल फूलों से भव्य सजावट की गई थी। रविवार को भगवान नारायण के प्रतिनिधि एवं बालसखा उद्धवजी, देवताओं के खजांची कुबेरजी की उत्सव डोली यात्रा आदि शंकराचार्य की गद्दी के साथ धाम से योग-ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर के लिए रवाना होगी। उधर, परंपरा के अनुसार बदरीनाथ धाम के साथ ही जोशीमठ-नीती हाइवे पर सुभाई गांव में स्थित भविष्य बदरी धाम के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद हो गए।

तीन बजे मंदिर खुलने के साथ शुरू हुई प्रक्र‍िया

बदरीनाथ धाम के कपाट करने की प्रक्रिया तड़के तीन बजे मंदिर खुलने के साथ ही शुरू हो गई थी। सुबह 4.30 बजे अभिषेक पूजा के साथ बाहर से दर्शनों का क्रम शुरू हुआ और आठ बजे से मंदिर के अंदर दर्शन होने लगे। 10:15 बजे भगवान को राज भोग लगाया गया और दोपहर 12:45 बजे सायंकालीन पूजाएं शुरू हो गईं।

माता लक्ष्मी को गर्भगृह में क‍िया विराजमान

दोपहर दो बजे भगवान के प्रतिनिधि उद्धवजी व देवताओं के खजांची कुबेरजी के विग्रह को मंदिर के गर्भगृह से मंदिर परिसर में लाया गया। दोपहर 2:15 बजे रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने स्त्री वेश धारण कर शीतकाल के लिए माता लक्ष्मी को गर्भगृह में विराजमान किया। इसके बाद माणा गांव की महिलाओं द्वारा तैयार किए गए ऊन के कंबल पर ज्योतिर्मठ से लाए गए गाय के घी का लेपन कर उसे माता लक्ष्मी व भगवान नारायण को ओढ़ाया गया और ठीक 3:35 बजे विधि-विधान पूर्वक मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए।

पांडुकेश्वर पहुंचेंगी दोनों डोली

कपाटबंदी के मौके पर धर्माधिकारी पं.राधेकृष्ण थपलियाल, पूर्व धर्माधिकारी पं.भुवन चंद्र उनियाल, वेदपाठी पं.रविंद्र प्रसाद भट्ट, पं.अरुण डिमरी, पं.मोहित सती, मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय, उपाध्यक्ष किशोर सिंह पंवार आदि उपस्थित रहे। परंपरा के अनुसार उद्धवजी की डोली रावल निवास में स्थापित की गई है, जबकि कुबेरजी की डोली धाम के निकट बामणी गांव ले जाई गई। दोनों डोलियां आदि शंकराचार्य की गद्दी के साथ आज पांडुकेश्वर पहुंचेंगी। 21 नवंबर को शंकराचार्य की गद्दी को पांडुकेश्वर से जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर लाया जाएगा और इसी के साथ दोनों स्थानों पर भगवान बदरी नारायण की शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जाएंगी।

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