केवि खोलने की दिशा में बढ़ा एक और कदम

नगर क्षेत्र में केंद्रीय विद्यालय खोलने की दिशा में संगठन ने एक और कदम आगे बढ़ा लिया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 19 Feb 2020 11:13 PM (IST) Updated:Wed, 19 Feb 2020 11:13 PM (IST)
केवि खोलने की दिशा में बढ़ा एक और कदम
केवि खोलने की दिशा में बढ़ा एक और कदम

संवाद सहयोगी, द्वाराहाट : नगर क्षेत्र में केंद्रीय विद्यालय खोलने की दिशा में संगठन ने एक और कदम बढ़ा लिया है। बुधवार को केंद्रीय विद्यालय संगठन देहरादून संभाग की सहायक आयुक्त के नेतृत्व में संयुक्त टीम ने बिपिन त्रिपाठी कुमाऊं प्रौद्योगिकी संस्थान (बीटीकेआइटी) परिसर में चयनित भूमि व भवनों का निरीक्षण किया। सहायक आयुक्त ने बताया कि रिपोर्ट शीघ्र ही संगठन के देहरादून व दिल्ली कार्यालयों को भेज दी जाएगी।

बीते तीन सितंबर को निरीक्षण के बाद केंद्रीय विद्यालय संगठन की टीम बुधवार को फिर क्षेत्र में पहुंची। विद्यालय की स्थापना के लिए इस निरीक्षण को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। टीम ने बीटीकेआइटी द्वारा दी गई 1.610 हेक्टेयर भूमि,10 कक्षों वाले भवन के अलावा दो अन्य खाली भवनों तथा त्रिशूल छात्रावास का भी मुआयना किया। सहायक आयुक्त सुकृति रैवानी ने चयनित भूमि के बारे में राजस्व विभाग से तथा ढाचागत सुविधाओं के लिए बीटीकेआइटी निदेशक प्रो. वीएन मिश्रा से जानकारी ली। सहायक आयुक्त ने बताया कि विद्यालय के लिए आवश्यक सभी मूलभूत सुविधाओं का अवलोकन कर लिया गया है। जिसकी रिपोर्ट संगठन के देहरादून व दिल्ली कार्यालयों को शीघ्र भेज दी जाएगी। निरीक्षण के दौरान क्षेत्रीय विधायक महेश नेगी, केंद्रीय विद्यालय केंट हल्द्वानी के प्रधानाचार्य टीपी आर्या, अल्मोड़ा की प्रधानाचार्य डॉ. माला तिवारी, एसडीएमआरके पाडे, पूर्व सैनिक संगठन के विनोद जोशी, सुधीर साह के अलावा भूपेंद्र काडपाल आदि मौजूद रहे।

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मानव संसाधन मंत्री निशक के हस्तक्षेप के बाद आई तेजी

करीब डेढ़ दशक पूर्व से केंद्रीय विद्यालय के लिए चल रही कवायद शायद अब रंग ले आए। दरअसल मामले में तेजी मानव संसाधन मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशक' के हस्तक्षेप के बाद आई है। विद्यालय के लिए पूर्व सैनिक संगठन ने 2005 में कार्रवाई शुरु की। 2010 में विद्यालय की सैद्धातिक स्वीकृति प्रदान हुई। 2011 में बिपिन त्रिपाठी कुमाऊं प्रौद्योगिकी संस्थान ने अपनी 1.610 हेक्टेयर भूमि केंद्रीय विद्यालय के लिए दी। 2012 में इस भूमि से हाईटेंशन विद्युत लाइन हटाई गई। इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। मगर 2019 में इसने फिर गति पकड़ी और बुधवार को आयुक्त स्तरीय निरीक्षण के बाद अब विद्यालय स्थापित होने की उम्मीद जगी है।

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