जरूरी संसाधन को जूझ रहे अशासकीय माध्यमिक स्कूल

शासन की बेरुखी से अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Nov 2019 11:03 PM (IST) Updated:Mon, 25 Nov 2019 11:03 PM (IST)
जरूरी संसाधन को जूझ रहे अशासकीय माध्यमिक स्कूल
जरूरी संसाधन को जूझ रहे अशासकीय माध्यमिक स्कूल

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : शासन की बेरुखी से अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पा रही है। जिले में कुल 33 अशासकीय विद्यालय संचालित हैं, जिनमें 136 शिक्षकों के पद लंबे अर्से से खाली पड़े हैं। वहीं 13 विद्यालय प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापक विहीन भी चल रहे हैं। ऐसी दशा में इन विद्यालयों में माध्यमिक शिक्षा ले रहे छात्र-छात्राओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

जिले के नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों में छात्र-छात्राओं को माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा देने के लिए विभिन्न विकास खंडों में कुल 33 अशासकीय माध्यमिक विद्यालय संचालित हैं। लेकिन इनमें शिक्षा के लिए जरूरी संसाधन शिक्षकों की कमी बनी हुई है। हालत यह है कि प्रवक्ता संवर्ग में विभिन्न विषयों के 218 स्वीकृत पदों के सापेक्ष 35 पद खाली चल रहे हैं तो वहीं हाईस्कूल स्तर पर कुल स्वीकृत 294 पदों के सापेक्ष 101 पद रिक्त चल रहे हैं। ऐसी दशा में इन विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को संबंधित विषयों का पूरा ज्ञान नहीं मिल पा रहा है। अनेक विद्यालयों में मुखिया ही नहीं हैं। जैसे-तैसे प्रभारी व्यवस्था से काम चलाया जा रहा है। हाईस्कूल स्तर पर स्वीकृत नौ प्रधानाध्यापकों के पदों में से चार खाली चल रहे हैं। वहीं इंटर में 24 में से नौ विद्यालयों में प्रधानाचार्य ही नहीं है। ऐसे में जहां शिक्षा की मॉनीटरिग प्रभावित हो रही है, वहीं अन्य कार्यो पर भी असर पड़ रहा है। उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षक संघ लंबे अर्से से रिक्त पदों पर नियुक्तियां किए जाने की मांग उठा रहा है, लेकिन इन शिक्षा के मंदिरों की कोई सुध नहीं ली जा रही है।

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लिपिक व कर्मचारियों की भी कमी इन विद्यालयों में मिनिस्ट्रीयल कार्मिकों की कमी से कार्यालयी कार्य पर असर पड़ रहा है। 13 लिपिकों के पद लंबे समय से रिक्त चल रहे हैं। वहीं 122 चतुर्थ वर्गीय कर्मियों का टोटा बना हुआ है।

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फर्नीचर को भी जूझ रहे विद्यालय अशासकीय विद्यालयों में फर्नीचर का भी अभाव बना है। इन विद्यालयों में सीनियर कक्षाओं के लिए तो कुछ फर्नीचर है, लेकिन अधिकांश विद्यालयों के जूनियर कक्षाओं के छात्र-छात्राओं के बैठने के लिए पर्याप्त फर्नीचर ही नहीं है। ऐसे में अब शीतकाल के दिनों में छात्र-छात्राओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

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वर्जन

शासन व विभाग नौनिहालों के बेहतरी के लिए प्रयासरत है। अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों, प्रधानाचार्यो के रिक्त पदों का विवरण शिक्षा निदेशालय को भेजा गया है। नियुक्ति की प्रक्रिया गतिमान है।

-जगमोहन सोनी, मुख्य शिक्षा अधिकारी, अल्मोड़ा

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