बालिका शिक्षा उन्नयन को नहीं मुकम्मल व्यवस्था

डीके जोशी, अल्मोड़ा ऐतिहासिक जिले में बालिका शिक्षा की स्थिति ठीक नहीं हैं। जिले में संच

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Jun 2018 11:03 PM (IST) Updated:Mon, 25 Jun 2018 11:03 PM (IST)
बालिका शिक्षा उन्नयन को नहीं मुकम्मल व्यवस्था
बालिका शिक्षा उन्नयन को नहीं मुकम्मल व्यवस्था

डीके जोशी, अल्मोड़ा

ऐतिहासिक जिले में बालिका शिक्षा की स्थिति ठीक नहीं हैं। जिले में संचालित कुल 35 राजकीय हाईस्कूल-इंटर बालिका विद्यालयों में महत्वपूर्ण विषयों के 133 शिक्षिकाओं के पद खाली हैं। इससे इन विद्यालयों में बालिकाओं को शिक्षा का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। वहीं इन विद्यालयों की उचित व्यवस्था के लिए मुखिया के भी अनेक रिक्त पड़े हैं।

एक ओर राज्य व केंद्र सरकार बालिका शिक्षा को बढ़ावा दिए जाने का राग तो खूब अलापते हैं, बालिका शिक्षा को बढ़ाने विषयक गोष्ठियों, सेमिनारों में राज्य व केंद्र सरकार के मंत्री व उच्च पदस्थ विभागीय अधिकारी बालिका शिक्षा पर अपना वक्तव्य देते नहीं अघाते हैं, कहा जाता है कि जब एक बालिका शिक्षित होगी तो इससे दो परिवारों को लाभ मिलेगा। लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और ही है। अकेले प्राचीन अल्मोड़ा जिले की बात करें तो यहां बालिकाओं को सरकारी शिक्षा देने के लिए कुल 35 हाईस्कूल व इंटर कालेज संचालित हैं। जिसमें से 14 हाईस्कूल व 21 इंटर कालेज शामिल हैं। संचालित राजकीय बालिका हाईस्कूलों में प्रधानाध्यापिकाओं के सभी पद खाली हैं तो वहीं इन विद्यालयों के लिए स्वीकृत 289 शिक्षिकाओं के पदों में से 49 पद रिक्त पड़े हैं। वहीं 21 राजकीय बालिका इंटर कालेजों में से 8 विद्यालयों में प्रधानाचार्य ही नहीं हैं। यहां प्रभारी व्यवस्था से काम चल रहा है। राजकीय बालिका इंटर कालेजों में शिक्षिकाओं के कुल 193 प्रवक्ताओं के पद सृजित तो हैं, जिसमें से महत्वपूर्ण विषयों जैसे गणित, रसायन, भौतिक विज्ञान तथा अंग्रेजी तथा अन्य विषयों के 84 शिक्षिकाओं के पद रिक्त हैं। शिक्षिकाओं की कमी से जहां करीब 21 हजार बालिकाओं की शिक्षा प्रभावित हो रही है वहीं प्रधानाचार्यो की कमी से विद्यालय की विभिन्न व्यवस्थाओं पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।

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क्या कहते हैं अभिभावक

अभिभावक ख्याली दत्त, महेश चंद्र, चंदन सिंह रावत तथा आनंद बल्लभ का कहना है कि एक ओर राज्य व केंद्र सरकारी बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की बात तो खूब करती है। वही सरकारी विद्यालयों में बालिका शिक्षा के उन्नयन के लिए गंभीर प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। उन्होंने राज्य व केंद्र सरकार से बालिका शिक्षा के बढ़ावे के लिए इन विद्यालयों में जल्द से जल्द शिक्षिकाओं की नियुक्ति करनी चाहिए। जिससे शिक्षा सत्र में बच्चों को पूरे पाठ्यक्रम का लाभ मिल सके। ताकि वह इस प्रतिस्पर्धात्मक युग में निरंतर आगे बढ़ सकें।

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शासन व विभाग बालिका शिक्षा के प्रति गंभीर है। बालिकाएं शिक्षित हों इसके लिए सरकार की ओर से उनके लिए कई कल्याणकारी योजनाएं संचालित की गई हैं। बालिका विद्यालयों में शिक्षिकाओं तथा प्रधानाचार्यो के रिक्त पदों की सूचना शिक्षा निदेशालय को भेज दी गई है।

-हर्ष बहादुर चंद, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक, अल्मोड़ा

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