'अतिथि देवो भव:' से सैलानियों की आवभगत

मनीष साह, रानीखेत हिमालयी राज्य में धार्मिक व ग्रामीण पर्यटन के साथ ईको एवं टी-टूरिज्म की कवायद के

By JagranEdited By: Publish:Sat, 22 Apr 2017 01:00 AM (IST) Updated:Sat, 22 Apr 2017 01:00 AM (IST)
'अतिथि देवो भव:' से सैलानियों की आवभगत
'अतिथि देवो भव:' से सैलानियों की आवभगत

मनीष साह, रानीखेत

हिमालयी राज्य में धार्मिक व ग्रामीण पर्यटन के साथ ईको एवं टी-टूरिज्म की कवायद के बीच सैलानियों को रिझाने के लिए नायाब योजना तैयार कर ली गई है। विभिन्न राज्यों व विदेश से पहुंचने वाले पर्यटकों को जहां तेज तर्रार गाइड पहाड़ की खूबियों से रूबरू कराएंगे, वहीं पर्यटक स्थलों की सीमा में कदम रखते ही प्रवेश द्वार पर उनकी विशेष आवभगत होगी। 'अतिथि देवो भव:' के सूत्र पर सूचना सेंटरों से इतर कुमाऊं व गढ़वाल मंडल में पर्यटक सहायता केंद्र (टीएचसी) स्थापित किए जाएंगे। इसकी शुरुआत धर्म नगरी हरिद्वार से की जाएगी।

बीते वर्ष चारधाम यात्रा की सफलता के बाद पर्यटन मंत्रालय ने उत्तराखंड को टूरिस्ट स्टेट की पहचान दिलाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा लिए हैं। खासतौर पर मेहमान सैलानियों को किसी भी समस्या से दो-चार न होना पड़े और उन तक शानदार मेहमाननवाजी का संदेश पहुंचे, इसके लिए कुमाऊं व गढ़वाल में हरेक पर्यटक शहर के प्रवेश द्वार पर टूरिस्ट सहायता केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इन केंद्रों पर बाकायदा पर्यटन विभाग के गाइड व कर्मचारी सैलानियों का स्वागत करेंगे। उनकी मनपसंद डिश ही नहीं बल्कि भौगोलिक जानकारी, जैव विविधता, पशु पक्षियों के संसार, तीर्थ व पर्यटक स्थलों के एतिहासिक तथ्यों से अवगत कराएंगे। ये टीएचसी पार्किग व रेस्टोरेंट से भी लैस होंगे। महत्वाकांक्षी योजना के पहले चरण में हरिद्वार में टूरिस्ट हेल्प सेंटर स्थापित किया जाएगा। पर्यटन विकास की इस नायाब पहल को अमलीजामा पहनाने के लिए हरिद्वार में भूमि चयनित कर ली गई है।

---------

यहां यहां बनेंगे टीएचसी

चिड़ियापुर (हरिद्वार), आसारोली, जसपुर, किच्छा, खटीमा, रुद्रपुर, काशीपुर, हल्द्वानी, नैनीताल, रानीखेत, अल्मोड़ा, कौसानी, जागेश्वर, पिथौरागढ़ आदि।

--------

प्रदेश के विभिन्न पर्यटक शहरों के प्रवेश द्वारों पर टूरिस्ट हेल्प सेंटर स्थापित किए जाने की योजना है। यहां सैलानियों को प्रदेश की खूबसूरती, भौगोलिक, धार्मिक व तीर्थाटन, वन संपदा आदि के साथ ही औषधीय गुणों से भरपूर वनस्पतियों आदि की जानकारी दी जाएगी। उन्हें पर्वतीय व्यंजनों की ओर भी आकर्षित किया जाएगा।

- पूनम चंद्रा ,संयुक्त निदेशक पर्यटन

chat bot
आपका साथी